बंधन जन्म जन्म का -प्राची अग्रवाल Moral stories in hindi

घर को फूलों से अच्छी तरह से सजाया जा रहा था। सभी दरवाजों पर वंदरवार लगायी जा रही थी। बैलून डेकोरेशन वाला हार्ट की शॉप में लाल गुलाबी गुब्बारे फुला रहा था। कई मेकअप आर्टिस्ट घर की और रिश्तेदारी की महिलाओं को सजाने-संवारने के लिए लगे हुए थे। कुछ रिश्तेदार आ चुके थे। कुछ आ … Read more

खरा सोना – प्राची अग्रवाल  : Moral stories in hindi

संध्या और उसके पति हेमंत दोनों ही प्राइवेट नौकरी करते। पहले केवल हेमंत एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था। घर गृहस्थी बढ़ जाने पर बच्चों की पढ़ाई लिखाई का अधिक खर्च होने के कारण संध्या भी काम पर जाने लगती है। मकान घर का है। इसलिए थोड़ी राहत सी महसूस होती। संध्या की सास … Read more

धागे प्रेम के – प्राची अग्रवाल : Moral stories in hindi

घर को फूलों से अच्छी तरह से सजाया जा रहा था। सभी दरवाजों पर वंदरवार लगायी जा रही थी। बैलून डेकोरेशन वाला हार्ट की शॉप में लाल गुलाबी गुब्बारे फुला रहा था। कई मेकअप आर्टिस्ट घर की और रिश्तेदारी की महिलाओं को सजाने-संवारने के लिए लगे हुए थे। कुछ रिश्तेदार आ चुके थे। कुछ आ … Read more

सेतु – प्राची अग्रवाल : Moral stories in hindi

“इतने सालों से हम अलग रहते आए हैं। हमारा एडजस्टमेंट नहीं होगा किसी के साथ। हम अपनी प्राइवेसी खत्म नहीं कर सकते हैं। कहां बाबूजी पुराने विचारों के, और कहां हम मॉडर्न सोसाइटी में रहने वाले लोग।” नीता समर्थ को सुना रही थी क्योंकि मां के देहांत के पश्चात समर्थ के पिताजी उनके साथ रहने … Read more

खून – प्राची अग्रवाल  : Moral stories in hindi

कामवाली सुगना की लड़की का ब्याह था। बहुत खुश थी सुगना। बड़े चाव से तैयारियांँ कर रही थी। जितना उससे बना, अपनी लड़की के लिए दहेज का सामान भी इकट्ठा किया। इज्जत से लड़की विदा हो जाएगी यह सोचकर मन ही मन हर्षित थी। चलो मेरे भाग्य में तो सुख नहीं है। क्योंकि सुगना अपने … Read more

अधूरी पहचान – प्राची अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : लाड़ली दो-दो छिके री दल्लान….. लाड़ली दो-दो छिके री दल्लान….. लाड़ली बाबा खड़े री कुछ मांग….  लाडली ताऊ खड़े री कुछ मांग….  मैं क्या मांगू मेरे बाबा हजारी…. मैं क्या मांगू मेरे ताऊ हजारी…. हाथ का दिया, भाग का लिखा चलेगा मेरे साथ…. लाडली दो दो छिके री दल्लान….. ढोलक … Read more

गांठे अंतर्मन की – प्राची अग्रवाल  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :  जब से रेनू के देवर का रिश्ता तय हुआ था, रेनू के व्यवहार में एकदम परिवर्तन आ गया। देवरानी के लिए हो रही तैयारियों को देखकर उसके मन में जलन उत्पन्न होती। हर वक्त अपने समय की तुलना करती। घर में कलेश तक काटने लगती। उसका पति शाम को थका … Read more

पश्चाताप या आत्मग्लानि : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : टीशा जैसे ही कॉलेज से आई, उसने देखा ड्राइंग रूम में कुछ गेस्ट बैठे हुए है। वह नमस्ते करके अंदर घर में दाखिल हुई और सबसे प्रश्न सूचक निगाहों से पूछने का प्रयास करती है कि कौन लोग हैं? उसकी चाची मंद-मंद मुस्कुरा कर कहती है, “बेटा अब कॉलेज-वालेज छोड़ो … Read more

वक्त जवाब देता है – प्राची लेखिका : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : श्रुति स्कूल से लौटी ही थी। पड़ोस वाली करुणा आंटी (जो हर घर की खबर रखती थी) को उसने अपने घर में बैठा पाया। श्रुति नमस्ते करके निकालना ही चाह रही थी कि आंटी ने उसको चालाकी से अपने पास बिठा लिया। श्रुति पढ़ने लिखने में साधारण थी। घर के … Read more

फेर समय का – प्राची अग्रवाल: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज नव्या एक उच्च अधिकारी है और मनीष उसी के ऑफिस में बाबू पद पर कार्यरत है। मनीष को नव्या मैडम के सामने सम्मानजनक व्यवहार प्रस्तुत करना होता था। उससे बड़ी कोफ्त महसूस होती है जब वह नव्या के केविन में किसी औपचारिक कार्य से जाता। उसका इगो बार-बार हर्ट … Read more

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