जिम्मेदारी – सरोज देवेश्वर : Moral Stories in Hindi

       वह तेज कदमों से बसस्टॉप की ओर बढ़ रही थी. आज उसे ऑफिस में ज्यादा देर  तक रुकना पड़ा. अभी बसस्टॉप तक पहुंची  ही थी कि शहर कि बत्ती गुल हो गई. घुप्प अंधेरा छा गया सड़क सुनसान और डरावनी प्रतीत हो रही थी. कुछ देर में उसने गौर किया, सड़क  पर चहल पहल भी … Read more

बदलाव – पुष्पा कुमारी ‘पुष्प’ : Moral Stories in Hindi

“आजकल आप लंच में मेरी दी हुई सब्जी नहीं खाते हैं ना?” अनिता ने आखिर आज अपने पति सुनील से पूछ ही लिया “नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है!”. कुछ जरूरी फाइलें निपटाने में व्यस्त सुनील ने अनीता की बात को टालना चाहा “आज सब्जी में गलती से नमक थोड़ा ज्यादा पड़ गया था … Read more

रिश्तों में बढ़ती दूरियां – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

आज मेरा मेरे पति समीर और मम्मी जीके बीच का रिश्ता त्रिकोण के तीसरे कोण की तरह हो गया है… एक छत के नीचे रहकर भी अजनबी से हो गए हैं एक दूसरे के लिए… दोनो बच्चे कौस्तुभ और काव्या अपनी जिंदगी और कैरियर में  लगभग दोनो में सेट हो गए हैं… थोड़ा वक्त और…समीर … Read more

सिंदूर – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

मैं दिल्ली में रहने वाली लड़की थी | मेरी पढ़ाई लिखाई सब दिल्ली से ही हुई | मैं एक छोटी सी कंपनी में जॉब भी करने लगी थी | जॉब मिलने के बाद मानो मैं हवा में उड़ने लगी | मेरी उम्र २५ की हो गई थी | घर वाले शादी देखने लगे | शादी … Read more

डोंट जज ए बुक बाय इट्स कवर! – प्रियंका सक्सेना : Moral Stories in Hindi

“आ गई दिव्या, चलो हाथ मुंह धोकर डाइनिंग रूम में आ जाओ।‌ चाय के साथ आलू प्याज के पकौड़े बनाएं हैं।” सुरेखा ने बेटी से कहा “वाह पकौड़े बनाएं हैं आपने! बस मैं पांच मिनट में आई।” कहकर दिव्या अपने रूम में चली गई। झटपट हाथ मुंह धोकर कपड़े बदलकर वह नीचे पहुंची। “मम्मी, आपके … Read more

रिश्तों की ज़िम्मेदारी – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      एक औरत अपनी ज़िम्मेदारियों से मुक्त हो जाये, ऐसा तो कभी हो ही नहीं सकता।बेटी,पत्नी,बहू,माँ,सास इत्यादि के रूप में वो हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन करती रही है और करती रहेगी।       मेरा कहानी भी कुछ ऐसी ही है।तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण मुझे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ किचन में माँ का हाथ … Read more

रिश्तों में दूरियां – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

कितने अरमानों से नीलिमा बहू को घर लाई थी । कितने अरमान संजोए थे बहू के , बहुत प्यार से रखूंगी , ऐसा कुछ नहीं होने दूंगी जैसा अन्य घरों में सुनाई देता है सास ने  ये कहा तो बहू ने ये जवाब दिया फिर तू-तू मैं-मैं। नहीं नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं होने दूंगी।काहे … Read more

आदर्श – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

“निशा!.पिछले महीने मैंने तुम्हें पचास हजार रुपए दिए थे रखने के लिए; उसमें से तुम मुझे दस हजार रुपए दे दो।” भोजन कर जल्दबाजी में कहीं बाहर जाने के लिए घर से निकलते नीरज की बात सुनकर निशा ने सर झुका लिया.. “वह रुपए तो अभी मेरे पास नहीं हैं।” “नहीं है का क्या मतलब … Read more

काली साड़ी – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

“तुमको क्या लगता हैं, ये रंग तुम पर अच्छा लगेगा, एक तो रंग भी काला ऊपर से काली साड़ी, उफ़ कौन समझाये इसे…” ऊषा जी ने सर पर हाथ मारते हुये रति को कहा। काली साड़ी में लिपटी सलोनी सी रति, ये सुन शर्मसार हो गई।चुपचाप अपने कमरे में वापस आ, साड़ी बदल ली। ये … Read more

सिंदूर – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

आज ऑफिस से छुट्टी ले ली हूं..एक सप्ताह से कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है खाना देखते हों उबकाई आने लग रही है.. मृणाल को भी नही बताया है…            घर में हीं प्रेगनेंसी टेस्ट कीट से टेस्ट कर के देखती हूं.. ओह पॉजिटिव है.. मतलब मैं फिर से मां बनने वाली हूं… खुशी का … Read more

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