पत्नी का हक – अमृत : Moral Stories in Hindi

आज करुणा देवी बैंक से रुपए निकालने के लिए गई। बैंक में कैशियर ने बोला कि आपके अकाउंट में सिर्फ डेढ़ लाख रुपए का ही बैलेंस है। करुणा देवी को  5 लाख रुपये  की जरूरत थी। करुणा देवी परेशान होकर पास तक की कुर्सी पर ही बैठ गई। वे सच में पड़ गई कि अकाउंट … Read more

मैं तेरी जीवन संगिनी – पूनम भटनागर : Moral Stories in Hindi

मेघा को जब यह खबर मिली तो वह घर का राशन लाने मार्केट गयी हुई थी। अभी वह दालें दूकान दार को लिखा ही रहीं थी कि पीछे से मालती बहन ने आकर कहा, मेघा जल्दी से घर जा , तेरे घर छापा पड़ा है। मेघा ने जितना सुना ,उस से ही वह बेहोश जैसे … Read more

कितने हसीन रिश्ते हैं यहाँ पर…..! – कंचन सिंह चौहान : Moral Stories in Hindi

प्रदीप से मिली थी मैं जुलाई २००२ में। वो शांता अम्मा का बेटा था। SSC परीक्षा द्वारा हिंदी अनुवादक पद पर चयन होने के पश्चात मुझे पहली पोस्टिंग मिली थी अनंतपुर, आंध्र प्रदेश में। सन् २००१ का अंत मेरे लिये ऐसे घटनाक्रमों का वर्ष था जो मेरी सपनो की तो सीमा में था लेकिन कल्पनाओं … Read more

राखी – शिखा जैन : Moral Stories in Hindi

शादी को दस साल हो गए थे उसकी।इन दस साल में पहली बार रक्षाबंधन पर अपने मायके आ रही थी। शादी के पाँच महीने बाद ही अमेरिका में जॉब लग गई थी पति की और फिर दोनों वही शिफ्ट हो गए। समय बीतता गया लेकिन व्यस्तताओं के चलते तबसे दो ही बार घर आ पाई … Read more

मातृत्व – पूनम शर्मा : Moral Stories in Hindi

” कितनी प्यारी है  गुड़िया ?” “सिस्टर! ये गुड़िया नहीं  मेरा मेरा नाती है। ” माँ की आवाज़ कानों पड़ते ही विभा की तंद्रा टूटी। वह होश में आ गई थी, लेकिन उसकी पलकें उसका साथ नहीं दे रही थीं। वह चाह कर आँखें नहीं खोल पा रही थी। फिर धीरे- धीरे उसका अतीत पन्नों … Read more

बहू आते ही सास की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

अरे!! घर में इतनी शांति कैसे हैं? मुझे तो लग रहा है कि तुम दोनों सास-बहू में आज कुछ तो हुआ है, दमयंती काकी जानबूझकर मन को कुरेदते  हुए बोली तो सावित्री जी सब समझ गई और वो ज्यादा बात को तूल नहीं देना चाहती थी। सब कुछ भुलाकर उन्होंने अपनी बहू राखी को आवाज … Read more

वर्तुल धारा – कंचन सिंह चौहान : Moral Stories in Hindi

मैंने अपनी कार स्कूल के बाहर उस जगह लगा दी जहाँ हमेशा लगाती हूँ; जब-जब उसे देखने आती हूँ।   स्कूल की छुट्टी में एक जैसी पोशाक पहने बच्चों का ऐसा हुजूम निकल रहा था कि पहचानना मुश्किल… सब एक दूसरे को धक्का देते हुए आगे बढ़ते जा रहे हैं। जिसे धक्का लगता है, वह बच्चा … Read more

दूसरों में नहीं खुद में खुशियाँ ढूढ़ें… – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

पार्क में घूमते रजनी की निगाहें बेंच पर बैठी अपने में गुम महिला पर पड़ी…,कानों से इयरफोन हटा कर उसने गौर से देखा चेहरा कुछ पहचाना सा लगा, दिमाग पर जोर डाला,पर कुछ याद नहीं आया…., रजनी अपना वाक पूरा कर उस महिला के बारे में सोचते घर की ओर चली गई….। घर में भी … Read more

सिर्फ ये कोना ही नहीं पूरा घर तुम्हारी माँ का ऋणी है – सुमिता शर्मा : Moral Stories in Hindi

“क्या बताऊँ मम्मी, आजकल तो बासी कढ़ी में भी उबाल आया हुआ है| जबसे पापा जी रिटायर हुए हैं दोनों लोग फिल्मी हीरो हीरोइन की तरह दिन भर अपने बगीचे में ही झूले पर विराजमान रहते हैं| न अपने बालों की सफेदी का लिहाज है न बहू बेटे का, इस उम्र में दोनों मेरी और … Read more

सबक – शिखा जैन : Moral Stories in Hindi

“मम्मी, यह कैसा सूट दिया है प्रीति भाभी ने। हरे रंग का!.. हरा रंग भी कोई पहनता है क्या.. और रोहन को जो शर्ट दी थी उसका तो न कपड़ा बढ़िया है न प्रिंट। कितनी बार कहा है भाई को.. कि रोहन सिर्फ ब्रांडेड कपड़े पहनते हैं। मेरी देवरानी के भाई ने उसे कितना सारा … Read more

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