बाबू – जयसिंह भारद्वाज
दिसम्बर के पहले सप्ताह की हल्की गुलाबी ठंडक में सुबह के आठ बज रहे थे और मैं प्रयागराज जाने के लिए फतेहपुर बस अड्डे पर बस की प्रतीक्षा कर रहा था। तभी एक आठ नौ साल का बच्चा मेरे पास आया और बोला, “भूख लगी है साहब, कुछ पैसे दे दो।” मैंने इधर उधर दृष्टि … Read more