दिल पर जोर चलता नहीं – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

आज अमित अपने दोस्त की शादी में बाराती बनकर आया था , समस्तीपुर।गांव की परंपरा के अनुरूप सभी शादी के आयोजन हो रहे थे।अमित का यह पहला अनुभव था।अमित अपने दोस्त माधव के साथ ही रुका था कमरे में। आस-पास की औरतें आ -आकर दामाद जी की खिंचाई कर जातीं।माधव झेंप तो जा रहा था … Read more

मुखौटा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

प्रीतम घर का सबसे छोटा बेटा था।तीन बड़े भाई और भाभियों का संयुक्त परिवार था।प्रीतम जब पढ़ाई कर रहा था ,तभी बड़े भाई की दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।दो छोटे-छोटे बच्चे थे,एक बेटा और एक बेटी।प्रीतम के मम्मी -पापा पहले तो बड़ी बहू पर जान छिड़कते थे।सारा घर उसने संभाल रखा था।तीनों देवरों के … Read more

अयोग्य संबंधी – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

नीरज के पापा रवि उसका रिजल्ट लेकर घर में घुसते ही अंबुजा-अंबुजा चिल्लाने लगे।अंबुजा जी रवि की धर्मपत्नी थीं।थोड़ी तेज स्वभाव की थीं।मायका पक्ष धनवान‌ था,तो रौब झड़ ही जाता था उनसे। दौड़ी आईं‌ और हांफते हुए बोलीं”,अब क्या कर दिया मेरे नीरज ने?”जो इतना हल्ला मचाया हुआ है।”रवि जी ने प्रसाद का एक लड्डू … Read more

सावित्री हो तुम – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

प्रीति ने दादी से पूछा था विवेक के रायपुर जाने के बाद”दादी,आपको क्या लगता है,पापा ठीक हो जाएंगे ना?”प्रीति की दादी जी के निजी जीवन के अनुभव और कुछ उम्र का तजुर्बा था कि ,कई मामलों में उनकी सलाह रामबाण का काम करती थी।गाय को देखकर बता देतीं थीं कि कितना दूध देती होगी,नाभि देखकर … Read more

पापा,मैं हूं ना – शुभ्रा बैनर्जी   : Moral Stories in Hindi

रवि कुमार उसूलों के बड़े पक्के थे।शशि से शादी से पहले ही बता दिया था “मेरे पास बहुत ज्यादा संपत्ति नहीं है।प्राइवेट जॉब है।रिश्वत मैं लेता नहीं,और दिखावे से मुझे सख्त नफरत है। तुम्हें बहुत सुख -सुविधाएं शायद नहीं दे पाऊं,पर ईमानदारी से पति धर्म निभाने का वादा करता हूं। “होने वाले पति की साफगोई … Read more

अपने ही तोड़ते हैं रिश्ते – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

प्रिया शादी करके जब ससुराल आई तो पीछे मायके में चार छोटे भाई बहन और मां छूट गईं।बचपन से अपने भाई -बहनों को बच्चों की तरह पाला था प्रिया ने। शुरू शुरू में तो उनकी बहुत याद आती थी,सास समझती थी प्रिया की तकलीफ़।महीने दो महीने में भेज देती थीं।जाकर मिल आती थी तो तसल्ली … Read more

सख़्त पिता,घर की खूंट – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

गौरव की शादी मधु से हुई थी।सुंदर सुशील और शालीन थी सुधा।आतें ही मां ने घर की चाबियां (जिम्मेदारियां)सुधा के हाथों सौंप कर निश्चिंत हो गई।पढ़ी लिखी थी सुधा।बी एड भी किया था।पास के ही विद्यालय में नौकरी करने लगी थी। ऐसा करने वाली वह इस घर की पहली बहू थी।गौरव बहुत गंभीर स्वभाव के … Read more

नया अवतार – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

शोभना रसोई में सुबह से व्यस्त थी।आज बेटे राघव का जन्मदिन जो था।अब बड़ा हो गया है राघव।पहले की तरह पाव -भाजी या चाट समोसे की पार्टी अब नहीं दे सकता दोस्तों को।कल रात ही कह दिया था उसने”मम्मी,इस बार दोस्तों को होटल में ही पार्टी देने की सोच रहा हूं। “झरोखा”रेस्टोरेंट में मंचूरियन और … Read more

सब्र का फल – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

पिछले तीन सालों से मधु की छोटी बहन मायके नहीं आई थी।पांच भाई-बहनों में मधु ही सबसे बड़ी थी,और मीता सबसे छोटी।पहली कक्षा में थी ,जब पापा गुज़र गए।पिता की अंतिम यात्रा में अपनी दीदी का हांथ पकड़े पूछ रही थी वह”दीदी,पापा को कहां ले जा रहें हैं?सब रो क्यों रहें हैं?अस्पताल जा रहें हैं … Read more

पापा की फोटोकॉपी – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

बचपन से ही और लड़कों की तरह शुभा का बेटा भी मां के आगे -पीछे ही घूमता रहता था।पापा के ड्यूटी से आते ही दौड़कर दादी के पास चला जाता था।बहन इसके विपरीत अपनी पापा की ज्यादा लाड़ली थी।शुभा को सासू मां अक्सर कहती”यही होता आया है हमेशा से बहू,बेटा मां का और बेटी पापा … Read more

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