संस्कारों की जीत – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : सुलभा आज बहुत खुश थी।दीपावली की छुट्टियों में बेटी आई थी दस दिनों के लिए।बचपन से ही विद्रोही स्वभाव की आयुषी खुद को पापा जैसी ही कहती थी।दोनों बच्चों के स्वभाव में जमीन -आसमान का अंतर था।सुलभा का बेटा(बड़ा)शांत और कम बोलने वाला था,वहीं बेटी मुंहफट।जिद्दी भी अपने पापा की … Read more

पापा के यादों की दीवाली – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : इस साल पति के जाने के बाद ,दूसरी दीवाली है शिखा की। त्योहार मनाने की जो ललक उनमें(पति)देखी थी शिखा ने,वैसा उतावलापन कल्पना के परे है।एक सप्ताह पहले से ही नाक में दम कर देते”तुम्हारी सुनीता को बुलाओ।गुझिया,कचौड़ी,सलोनी,नमकीन‌ और इमरती बनवा लेना।ये सभी चीजें‌ बेटी के होस्टल से आने से … Read more

आईना दिखाती गृह लक्ष्मी – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :   “रीनू ओ रीनू!ये दीये पानी में भिगो देना ज़रा।एक घंटे के बाद निकाल कर धूप में रख दूंगी।”श्यामला ने अपनी काम वाली बाई को निर्देश दिया।अभी -अभी घर पर ही खरीदे थे एक भैया से दीये।रीनू ने आदतन पूछा”दीदी,कितने में दिए उसने आपको?” “सौ रुपए सैकड़ा बताया था,पर मैंने तीस … Read more

बहन नहीं माँ हो – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अदिति की छोटी बहन मां के गुज़र जाने के बाद से अदिति के पास ही रहने लगी थी।यह अदिति की सास का निर्णय था,ताकि उनकी बहू उसके लिए चिंतित ना होती रहे।छोटी बहन अब सास की अपनी ही बेटी बन गई थी। उन्होंने ही अदिति की प्रिंसिपल से निवेदन करके … Read more

प्रतिज्ञा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : महेश हमारा बहुत पुराना ड्राइवर था।उसके पास ख़ुद का ऑटो और एक मारुति वैन थी।सभ्य,सरल और शिक्षित होने की वजह से पूरे कस्बे का विश्वसनीय ड्राइवर था महेश।अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित था वह।पैसों के लिए कभी झगड़ते नहीं देखा था उसे।कोविड काल में वही एकमात्र ऐसा व्यक्ति … Read more

जलालत का दर्द तुम भी तो जानो : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : स्वप्निल पगफेरे में मायके पहुंची तो सहेलियों ने घेर लिया उसे।पूरा घर उसके आने की खुशी मनाने में लगा था।मां अपने दामाद को देख वारी जा रहीं थीं। स्वप्निल की सारी सहेलियां उसे सुंदर और सुयोग्य जीवनसाथी मिलने की बधाई दे रहीं थीं।तीन दिन मायके में रहकर जब विदाई का … Read more

प्रेम पर इल्ज़ाम कैसे लगने दूं?? – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “मां,ओ मां!कहां हो तुम?”अर्घ की पुकार सुनकर मीना तेजी से रसोई से बाहर आई।”क्या हुआ ये?क्यों इतनी जोर से चिल्ला रहा है?उसने पूछा। “मां,पूजा का बोनस मिलेगा मुझे इस बार।माना कम मिलेगा औरों से, क्योंकि ज्वाइनिंग देर से हुई थी।मिलेगा तो कम से कम।”अर्घ बहुत खुश होते हुए बोला। मीना … Read more

अब कहती हूं – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

Moral stories in hindi

Moral Stories in Hindi : प्रभा आज छोले बना रही थी बेटी के पसंद के।बेटी ने बड़े चाव से कहा था “मां,एकदम वैसे ही बनाना जैसे पापा को पसंद थे।”खाने की मेज पर छोले के डोंगे को देखकर उसकी प्रतिक्रिया थी”मां,क्या हो गया है आपको?ना तो वैसा रंग है और ना ही खुशबू।पापा का डर … Read more

मन का रिश्ता- शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “अरे ओ दिद्दा,कहां गई ?ये ले भुट्टे लाई हूं तेरे लिए।”शशि अंदर से भागती हुई आई और बोली”नहीं अम्मा,भुट्टा मत देना।इन्हें भूनने का समय ही नहीं मिलता,पड़े-पड़े सूख जातें हैं।मन मारकर फिर फेंकना पड़ता है। जबरदस्ती हर बार पकड़ा जाती हो कुछ ना कुछ।पैसे भी नहीं लेती हो।नहीं लूंगी कुछ … Read more

रोने से नहीं बदलती क़िस्मत – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : शिवानी आंटी अपनी किस्मत लकीरों में ढूंढ़ ही नहीं पाई कभी।भोर की पहली किरण के निकलने से पहले ही उठ जाती थीं।कॉलोनी में धनवान घरों के कपड़े धोती थीं वह।सुबह सवेरे कॉलोनी के सार्वजनिक नल में कपड़े धोते -धोते ही उजाला हो जाता था।वापस आकर आंटी पापड़,चिप्स और बड़ी बनाने … Read more

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