हैप्पी होली जीजी – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

सावन में भाई के ना आने से मुंह फुलाकर बैठी थी सुमन।ससुराल में बहू की इज्जत तभी होती है,जब मायके में उसकी पूछ परख हो।कितने चाव से भाई -भाभी के लिए कपड़े खरीदकर लाई थी। सास-ससुर के बगल वाले कमरे की सफाई भी कर रखी थी,उनके ठहरने के लिए।मां के जाने के बाद पहली बार … Read more

थोपे हुए सपने – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

बारहवीं की परीक्षा समाप्त हो चुकी है। उफ्फ़ आजकल की बोर्ड परीक्षा और परीक्षा देने वाले बच्चे।ये बोर्ड परीक्षा ना हुई, कर्फ्यू लग गया हो।जोर से हंसना मना,बोलना मना,सीरियल बंद,घूमना बंद।हमने भी कभी दी थी बोर्ड की परीक्षा,तब ये ताम झाम बिल्कुल नहीं थे। स्कूल से आते ही घर के कामों में अपनी मां का … Read more

ज़िंदगी का तराजू – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

मालती आज जैसे ही बाजार जाने के लिए निकलने लगी,सासू मां ने बताया इन्सुलिन ,प्रेशर की दवाई,ख़त्म हो गई है।और हां हाजमोला भी लेना है।सुबह अखबार पढ़ते समय बोलीं थीं”अब दूसरी आंख से भी बहुत कम दिखता है बहू।” सड़क पर चलती हुई मालती सोचने लगी।परिवार की पूरी जिम्मेदारी उसके ऊपर डालकर क्यों चले गए … Read more

औकात मां-बाप से होती है – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

मिली आज सुबह से ही जिद कर रही थी कि दादू और दादी को भी जाना होगा,उसका रिजल्ट लेने।सुमित को पता था कि सुषमा(मिली की मां)कभी नहीं मानेगी।पिछले तीन सालों से मिली ज़िद करती रहती और बाबूजी और मां कोई ना कोई बहाना बनाकर टाल देते। आज मिली की जिद पर सुमित ने सुबह ही … Read more

कजली – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

नौंवी में पढ़ती थी कजली।साधारण नैन नक्श वाली कजली घर का सारा काम निपटा कर विद्यालय आती थी।पांचवीं में थी,तब पिता चल बसे थे।मां को घर खर्च चलाने के लिए मजदूरी करनी पड़ती थी।ठेकेदारी में काम पर जाते हुए जवान विधवा औरत का जीना हराम हो गया था।उसी के साथ काम करने वाले एक मजदूर … Read more

कुंडली – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

पांच साल के बाद गीता आंटी को देखा था,करुणा ने।इस शहर में,इस अस्पताल में क्या कर रहीं हैं आंटी?वही हैं ना!क्या मैं गलती कर रही हूं?अपनी आंखों से चश्मा उतारकर साफ किया करुणा ने,दुबारा देखा। नहीं-नहीं,ये गीता आंटी ही हैं।दौड़कर मिलने जाना चाहा,पर कदम रोक लिए उसने।उन्हें दिया वचन कैसे तोड़ सकती थी वह?पलट कर … Read more

सौदामिनी- शुभ्रा बैनर्जी: Moral stories in hindi

“बड़ी मां,ओ बड़ी मां।कहां हो तुम?” नीलेश जोर-जोर से शांति जी को पुकार रहा था।शांति जी उनकी ताई थीं।आज लगभग एक बरस के बाद अपने पैतृक गांव “साउटिया आया था नीलेश। पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले का एक गांव,जहां उसके दादा -परदादा की जमींदारी थी। बड़ी मां आंखों पर मोटा चश्मा लगाए,लाठी टेककर धीरे-धीरे चलती … Read more

महारानी – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

“ओ!रानी,आज दोपहर को ही आ जाना तुम,देर मत करना।शाम को है पार्टी।कॉलोनी में सभी किसी और को बुलाने वाले थे,पर मैंने मना कर दिया।तुम्हें ही कुछ ज्यादा पैसे मिल जाएं तो अच्छा है।समझी ना तुम।”निशा ने रानी को अच्छे से याद दिला दिया। “जी,मेम साहब।आप बिल्कुल भी टेंसन मत लीजिए।मैंने सब सामान खरीद लिया है।छोले … Read more

पहले मैं पत्नी हूं – शुभ्रा बैनर्जी: Moral stories in hindi

 “मां !ओ मां ,कहां हो तुम?”नीरज हमेशा की तरह चिल्लाते हुए घर में घुसा। सामने ही रवि बैठे थे।बेटे को घूरते हुए कहा”आ गया ,मां का चमचा।”दिशा को हंसी आ गई।यह पहली बार नहीं हुआ था।बाप -बेटे में ज्यादा बात कभी नहीं होती थी।रवि ख़ुद भी गंभीर स्वभाव के थे,बेटा भी उन्हीं पर गया था।अपनी … Read more

फैसला – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

सीमा ने हिस्ट्री एम ए में यूनिवर्सिटी में टॉप किया था।दिखने में खूबसूरत सीमा कविता पाठ भी करती थी। रवीन्द्र नाथ टैगोर की कविताएं अपने पिता के मुंह से सुन-सुनकर कंठस्थ हो गई थी उसे। सीमा के पिता एम आर थे।सीमा और उसकी छोटी बहन पिंकी ने बचपन से अपने पिता और मां को संघर्ष … Read more

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