किस्सा साड़ी का – डॉ. पारुल अग्रवाल
आज जब सिया की बेटी सिद्धि अपने कॉलेज से घर आई तो खुशी से चहक रही थी। उसने आते ही बताया कि उसके विद्यालय का वार्षिक उत्सव है जिसमें उसको मंच संचालन और कार्यक्रम के प्रबंधन का कार्य सौंपा गया है। उसको कार्यक्रम के दिन साड़ी पहनकर जाना है। साड़ी की बात सुनकर सिया को […]
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पागल स्त्री और उसकी अस्मिता – मंजू तिवारी
आज इस बात को लगभग 26 साल बीत गए हैं। लेकिन मेरे मानस पटल पर जस के तस अंकित है। मुझे आज भी उसका गोरा चेहरा इकहरा बदन पतली नाक,,,,, कुल मिलाकर बहुत ही खूबसूरत महिला,,,,, जब मैंने और मेरी सहेली ने उसे पहली बार देखा तब वह बहुत ही खूबसूरत थी,,,,, हम दोनों सहेलियां […]
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शिकारी का शिकार – नीलम सौरभ
देवल और प्रत्यूष स्कूल के जमाने में कभी साथ पढ़ा करते थे। उन दिनों बहुत घनिष्ठता तो नहीं थी उनमें, बस दोनों दूसरे दोस्तों के कारण आपस में जुड़े हुए थे। फिर देवल के पापा का वहाँ से स्थानांतरण हो गया था, जिसके बाद यह शहर छूट गया था। सालों बाद एक दिन अनायास दोनों […]
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अंगूठा टेक… – मंजू तिवारी
अंगूठा यह बड़ा महत्वपूर्ण रहा है। हम स्त्रियों के लिए,,,, हम स्त्रियों ने अंगूठे के सहारे उंगलियों से बेलन पकड़ कर रोटी बनाने में इसका इस्तेमाल किया है।,,,,, रोटियो के आकार को हम स्त्रियां पहचानते तो थे लेकिन गणित की भाषा में इसको व्रत कहा जाता है यह हमें दूर-दूर तक पता ना था ,, […]
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सपनों को मिली उड़ान – स्नेह ज्योति
ड्राइवर ने गाड़ी का दरवाज़ा खोला ”मैम”आइए! मेरे बैठते ही गाड़ी चल पड़ी। ड्राइवर-मैम आज कहाँ जाना है? मैम- ऐसा करो,पहले मॉल चलना,फिर मयूर होटेल में एक इवेंट है जहां मैं चीफ गेस्ट हूँ। ड्राइवर-ठीक है मैम,कहते ही गाड़ी ने स्पीड पकड़ी,अचानक से एक कुत्ता सामने आ गया और बंद आँखो में कैद सपना एक […]
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जिंदगी मिली दोबारा – गीता वाधवानी
अस्पताल में भर्ती पूनम जी के कमरे में प्रवेश करते ही डॉक्टर अमित ने हंसते हुए कहा-“अरे वाह! आज तो आप काफी चुस्त दुरुस्त लग रही हैं।” पूनम जी की बहू रजनी, जो वही बैठी थी उसने कहा-“जी डॉक्टर साहब, मां जी पहले से बहुत अच्छी है। कल रात दिन को नींद भी बहुत अच्छी […]
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आओ सैर का ले लें मज़ा – डा. नरेंद्र शुक्ल
एक दिन विवाह के लिये लड़की वाले हमारे घर आये । साथ में लड़की भी थी । इस से पहले मैं लड़की की ओर देखता । मेरे साथ बैठी दादी जी बोलीं – ‘हाय – हाय क्या ज़माना आ गया है । अब लड़कियां भी वा देखने चल पड़ी हैं । घोर कलयुग है । […]
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कहीं बारिश हो गयी तो – नीलिमा सिंघल
4 साल से किशनगढ़ गाँव में बारिश की एक बूँद तक नहीं गिरी थी। सभी बड़े परेशान थे। हरिया भी अपने बीवी-बच्चों के साथ जैसे-तैसे समय काट रहा था। एक दिन बहुत परेशान होकर वह बोला, “अरे ओ मुन्नी की माँ, जरा बच्चों को लेकर पूजा घर में तो आओ…” बच्चों की माँ 6 साल […]
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“नसीब से मिला सुंदर परिवार” – कविता भड़ाना
“नैना तुम भी आ रही हो ना आज अपनी सोसाइटी की किट्टी पार्टी में” सीमा ने फोन पर पूछा तो नैना ने “नहीं” में जवाब दिया… क्या यार कभी तो अपने लिए भी समय निकाल लिया कर, सभी आ रही है, तू भी आएगी तो मजा आयेगा और सब को अच्छा भी लगेगा वरना सब […]
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रिश्तों के गुच्छे – दीपा माथुर
अवि खिड़की से बाहर टकटकी सी लगाई बैठी थी। तभी सौरभ ने आवाज लगाई ” अवि खाने का टाइम हो गया यार अब तो खाना परोस दो।” अवि वहीं से चिल्लाई ” बस दो मिनिट “ सौरभ डाइनिंग टेबल पर बैठ गया अवि खाना परोस रही थी कि उसे याद आया ” अरे तुमने याद […]
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