पहले मैं पत्नी हूं – शुभ्रा बैनर्जी: Moral stories in hindi

 “मां !ओ मां ,कहां हो तुम?”नीरज हमेशा की तरह चिल्लाते हुए घर में घुसा। सामने ही रवि बैठे थे।बेटे को घूरते हुए कहा”आ गया ,मां का चमचा।”दिशा को हंसी आ गई।यह पहली बार नहीं हुआ था।बाप -बेटे में ज्यादा बात कभी नहीं होती थी।रवि ख़ुद भी गंभीर स्वभाव के थे,बेटा भी उन्हीं पर गया था।अपनी … Read more

फैसला – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

सीमा ने हिस्ट्री एम ए में यूनिवर्सिटी में टॉप किया था।दिखने में खूबसूरत सीमा कविता पाठ भी करती थी। रवीन्द्र नाथ टैगोर की कविताएं अपने पिता के मुंह से सुन-सुनकर कंठस्थ हो गई थी उसे। सीमा के पिता एम आर थे।सीमा और उसकी छोटी बहन पिंकी ने बचपन से अपने पिता और मां को संघर्ष … Read more

प्रेम-विवाह – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

दादी,नानी और मां से यह कहावत सुनी थी कि इंसान पूरी दुनिया से जीत सकता है,पर अपनी औलाद से हार जाता है। ज़िंदगी भर घर-परिवार की जिम्मेदारी संभालते -संभालते कब ख़ुद की औलाद शादी लायक हो गई ,पता ही नहीं चला।शिखा की बेटी,मीनल अहमदाबाद में एम बी ए  कर रही थी।गुजराती ब्राह्मण परिवार से संबंध … Read more

मोक्ष – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

सरिता की सास ने अपने जीवन में बहुत दुख सहे थे।मायके में गरीबी से जूझते हुए ,सिलाई करके पिता का सहारा बनी थीं।विवाह से पहले ही होने वाले पति को दुर्घटना में एक पैर गंवाना पड़ा।घर की ग़रीबी को देखकर, और शायद उस पुरुष को मन से अपना पति स्वीकार कर चुकीं सरिता जी ने … Read more

जैसे को तैसा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

श्याम शंकर जी की बेटी की शादी तय हो गई थी।सब इतना जल्दी तय हो गया कि रिश्तेदारों को खबर नहीं कर पाए।सबसे ज्यादा चिंता उन्हें अपने बड़े बहनोई की थी।सारा घर सर पर उठा लेंगें,जैसे ही पता चलेगा कि उनकी अनुपस्थिति में ही शादी पक्की हो गई है। श्याम शंकर जी की पत्नी रमा … Read more

दिखावे से दूर हो दायित्व – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

नीरजा की कॉलोनी में मां काली और दुर्गा मां का एक पुराना मंदिर, शनिदेव महाराज का एक मंदिर और ठाकुर बाबा की मढ़िया है।मंगल वार और शनिवार को मंदिरों में काफी भीड़ रहती थी।हर शनिवार सुबह-सुबह दीन -दुखी शनि महाराज के मंदिर के बाहर कतार बनकर बैठे दिखते। ना जाने कितने श्रृद्धालु खाना,कपड़ा और पैसे … Read more

मध्यमवर्गीय परिवार-निषिद्ध प्रेम – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

उम्र में बहुत छोटा था वह,पर ज़िंदगी का तजुर्बा बहुत ज्यादा।लेखनी में जादू,आवाज में गंभीरता और स्वभाव से बहुत गंभीर।शिखा से उसकी मुलाकात एक इंटरव्यू के दौरान हुई थी।हर विषय में असाधारण पकड़ थी उसकी।शिखा अपने बुलावे का इंतज़ार कर रही थी।एक -एक करके सभी उम्मीदवार शिक्षक निर्णायक कक्ष में जा रहे थे,और कुछ मिनटों … Read more

कच्ची उम्र के कोमल अहसास – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

विद्यालय में सोशल साइंस पढ़ाने का लगभग बीस वर्षों का अनुभव था,शुभा को।बोरिंग समझा जाने वाला विषय ‘,इतिहास’ भी बच्चे बड़े चाव से पढ़ते थे।भूगोल में एक चैप्टर है”पापुलेशन”।इस चैप्टर में मनुष्य की आयु को विभिन्न श्रेणियों में बांटकर विशेषता बताई गई है। नौंवी कक्षा में भूगोल के पापुलेशन चैप्टर में आने पर ,जब वयस्क … Read more

मज़बूत मां – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

जुलाई से विद्यालय के प्रांगढ़ में एक महिला प्रायः रोज़ ही दिखती थी शैलजा को।चिंतामुक्त हंसमुख चेहरा हमेशा खिला रहता था उनका।शैलजा को देखकर हंसकर उनका “गुड मार्निंग मैम कहना कभी चूकता ना था।समय की कमी के चलते रुककर कभी बात नहीं कर पाई थी शैलजा उनसे।हंसकर उनके अभिवादन का उत्तर जरूर दिया था।इतना समझ … Read more

अहमियत का प्रमाणपत्र नहीं – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

 बहू को घर की लक्ष्मी कहने भर से नहीं होता,मानना भी पड़ता है।प्रीति ने ससुराल के बारे में अपनी सहेलियों से अलग-अलग कहानियां सुनी थी।करुणा ने कहा था”ससुराल,बस एक जेल है।सारा दिन सास जेलर बनी सर पर मंडराती रहती है।”रक्षा ने अपना अनुभव बताते हुए कहा”अरे,दिन भर गधे के जैसे काम करते रहो,फिर भी कदर … Read more

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