बेटा बहू को एकांत में रहने दो – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

“ बहुत दिन हो गए हम कहीं बाहर ना तो घुमने गए हैं ना किसी रेस्टोरेन्ट में जाकर बैठ कर खाए ही हैं… इस बार हम संडे को बाहर चलेंगे बस।” दीया ने रात के खाने के बाद फ़रमान जारी कर दिया. “ बेटा पापा को एक दिन तो आराम करने को मिलता है उसमें … Read more

स्वार्थ का चश्मा उतर गया – संगीता त्रिपाठी  : Moral Stories in Hindi

” इतनी देर क्यों कर दी रति,कब से सब लोग तेरा इंतजार कर रहे थे, कि तू आये फिर चाय पी जाये “, अनीता ने थोड़ा खींझ कर कहा। “अरे भाई संयुक्त परिवार में रहती हूँ तो देर होना स्वाभाविक है, अभी भी सब्जी लेकर आ रही हूँ , तुम लोगों के मजे हैं,एकल परिवार … Read more

अपराध बोध – शिव कुमारी शुक्ला  : Moral Stories in Hindi

भरोसी एवं मीना सेठ भगवान दास के यहाँ कार्य  करते थे । भरोसी पौधों  एवं लान की देखभाल करता मीना घरेलु कार्य करती। उनके दो बच्चे थे  गीता एवं आकाश। गीता तो बड़ी थी करीब  दस साल की सो मां के साथ काम करवाती किन्तु आकाश छोटा था करीब सात साल का सो बैठे-बैठे सबको … Read more

रायपुर वाली भौजी – सुबोध चतुर्वेदी  : Moral Stories in Hindi

सुबह अचानक भाई का फोन  आया ,चाय का प्याला हाथ में लिये मैंने रिसीवर कान से लगाया ,दूसरी ओर से भाई का स्वर था—सुनो ,रात को रायपुर वाली नहीं रही .क्या,कैसे ? कैसे क्या कितनी बीमार चल रहीं थी एक तरह से जी गईं समझो “.मैंने स्वगत ही कहा—हां सचमुच जी गईं .रिसीवर रख कर … Read more

कच्चे धागे-एक पवित्र बंधन (भाग–2) – शशिकांत कुमार   : Moral Stories in Hindi

बैकुंठी गांव में अपनी पुत्री को ले जाओ और गांव के बिलकुल सड़क के किनारे माता वैष्णो देवी का मंदिर हैं वहां ले जाकर अपनी पुत्री को माता के दरबार में माथा टीका देना और तुरंत वहां से लौट आना .. परंतु ध्यान रहे किसी भी ग्रामवासी कi नजर तुम सब पर न पड़े खास … Read more

कच्चे धागे-एक पवित्र बंधन (भाग–1) – शशिकांत कुमार   : Moral Stories in Hindi

मम्मी मुझे भैया के पास ले चलो न वो मेरा इंतजार कर रहे है  मुझसे राखी बंधवाने के लिए… वैष्णवी 5 वर्ष की बिलकुल फुल जैसी छोटी बच्ची आज अपनी मम्मी के सामने सुबह से जिद करे जा रही थी की उसके लिए उसका भाई राखी बंधवाने के लिए इंतजार कर रहा है मुझे उसके … Read more

अपना घर अपना होता है – खुशी   : Moral Stories in Hindi

रीता एक महत्वकांक्षी  लडकी थी । उसे  से बचपन से ही लोगों के बडे  घर आकर्षित करते थे । उसे बचपन से ही अपने मामा के घर का बडा भाता था जब वो  छुटिटयो मे वहा जाती तो वहा से उसका आने का मन ही ना करता । अपने घर आते  ही उसका मन खराब … Read more

जरा देखो हम कहां से कहां आ गए – मंजू तिवारी   : Moral Stories in Hindi

जरा देखो हम कहां से कहां आ गए…. आलू की टिक्की खाने वाले बर्गर पर आ गए  कानों को झरनाहट देने वाली पानी पूरी छोड़ हनी चिली पोटैटो पर आ गए  जरा देखो हम कहां से कहां आ गए  दही बड़े के दीवाने अब मोमोज पर आ गए  मां के हाथ की सिमरिया छोड़ चाऊमीन … Read more

*अंगना का फूल* – बालेश्वर गुप्ता   : Moral Stories in Hindi

  जगरु चाचा आज बेहद खुश थे, उनके पावँ जमीन पर पड़ ही नही रहे थे।अपनी खुशी का इजहार हर किसी को कैसे करे,उन्हें समझ नही आ रहा था।बस हर जानने वाले को रोक लेते और बताने लगते कि उनका मुन्ना आ रहा है, सुना तुमने मुन्ना यही आ रहा है,अब वो मेरे पास ही रहेगा।कहते … Read more

अपना घर अपना घर ही होता है – रिया जैन   : Moral Stories in Hindi

घर, सिर्फ एक भवन नहीं होता; यह वो जगह होती है जहां व्यक्ति खुद को सबसे सुरक्षित और स्नेहभरी भावना से घिरा पाता है। इसका वास्तविक मतलब तब समझ में आता है जब हम घर से दूर होते हैं। मेरा अनुभव भी कुछ ऐसा ही था जब मैं उच्च शिक्षा के लिए दूसरे शहर चली … Read more

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