ब्रेकअप – जयसिंह भारद्वाज

शनिवार की एक धुंधलाती शाम… और आज आठवाँ दिन था जबसे उससे न तो बात हो सकी थी और न ही उसका कोई सन्देश ही आया था। बड़ी उहापोह में दिन बीत रहे थे। कभी हृदय में कोई आशंका उभरती तो मन उसे तुरंत शमित कर देता। तभी उसका एक मैसेज आया… “पाँच मिनट में … Read more

बेनाम रिश्ते – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : काॅलबेल की आवाज सुनते ही मीता ने दुपट्टा ठीक करते हुए ..आ रही हूं कहा और दरवाजे की ओर बढ़ी… दरवाजा खोलते ही , एक लंबा चौड़ा युवक सामने मुस्कुराते हुए खड़ा था , असमंजस की स्थिति में पहचानने की कोशिश करती हुई मीता कुछ कहती इससे पहले ही युवक … Read more

दरकते रिश्ते – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “ माँ बुआ का फ़ोन है … तुमसे बात करना चाहती है ।” मोह की आवाज़ सुन चारू अपना काम छोड़कर झट से फोन हाथ में ले ली “हाँ कनु बोलो क्या बात है…घर पर सब ठीक तो है ना?” चारू ने पूछा  “भाभी अब आप जया के लिए फ़िक्रमंद … Read more

कलंकनी – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : ओ बबिता भाभी आपने कुछ सुना क्या ?? अरे नहीं तो …. क्या फिर से कोई नई चटपटी खबर लेकर आयी हैं तू रिंपी … भाभी बबिता चटकारे लेते हुए बोली… अरे वो जो 18 नंबर वाली नूरी भाभी हैं ना ..सुना हैं उनकी बेटी सिम्मी घर छोड़कर भाग गयी … Read more

शायद कभी नहीं – संगीता श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi :  “अरे, क्या कर रहे हो तुमलोग? शीशे हैं, चुभ जाएंगे पैरों में।” मैंने उन्हें टोका था। उन्हीं में से एक लड़के ने कहा था- “दीदी, हमने इन्हीं शीशों पर तो चलना सीखा है, इन्हीं कूड़ों पर तो होश संभाला है।” “पर इसके पहले तो मैंने तुम्हें यहां नहीं देखा।” “हां … Read more

तुम्हारी माँ- डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

मैके से विदा होकर ससुराल आने के बाद सिमी बहू होने की सारी रस्में निभाते- निभाते चूर हो गई थी। वैसे भी ल़डकियों को शादी में सप्ताह दिन पहले से ही अनेकों रस्म-रिवाज भूखे प्यासे निभाने पड़ते हैं ।सो थकान के कारण वह बैठे बैठे ऊँघ रही थी। सिमी को सबने मिलकर उसे अपने कमरे … Read more

आक्रोश का लावा  – रंजू अग्रवाल ‘राजेश्वरी’

अगला नाम है …..रंजीता  गर्ग   माइक पर रंजीता  के नाम की घोषणा होते  ही पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा ।मंच पर जाने से पहले रंजीता  ने आंख बंद कर अपने इष्ट देव को प्रणाम किया ,फिर बड़ी दीदी के पैर छुए ।रंजीता  को आज  उसकी पुस्तक ‘आपबीती’ के लिए सम्मानित किया जा … Read more

पैसा बोलता है – शुभ्रा बैनर्जी

बेचारी वो कभी नहीं थीं,मां बेचारी नहीं होतीं,शक्ति होतीं हैं परिवार की।सरला दो बेटों और एक बेटी की मां थी।पति उस शहर में सरकारी नौकरी करते थे,और सरला स्वयं एक शिक्षिका थीं।पति ने अपनी नौकरी रहते ही बेटी और एक बेटे की शादी कर दी थी। रिटायरमेंट के बाद छोटे बेटे की शादी करने का … Read more

वक्त का इंसाफ – वीणा सिंह

सुमी का फोन सुबह सुबह देख कर मुस्कुरा उठी.. बचपन की सहेली..सुमी ने एक सांस में हीं कह डाला जान तुझे याद है मेरी छोटी बहन सेजल.. एचडीएफसी बैंक में पीओ बनकर तुम्हारे शहर में तीन महीने पहले हीं गई है.. उसके पति दूसरे शहर में जॉब करते हैं इसलिए शनिवार और रविवार को रहते … Read more

ज्योति बनी ज्वाला – विभा गुप्ता   

   ” बस सर, अब बहुत हो चुका…., आप अभी के अभी मेरे घर से निकलिये।” चीखते हुए ज्योति ने एक हाथ से अपने कंधे पर रखा अविनाश सर के हाथ को झटक दिया और दूसरे हाथ से उनका काॅलर पकड़कर उन्हें बाहर की तरफ़ धक्का दे दिया।        ज्योति जब नौवीं कक्षा में थी तब वह … Read more

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