कलंकनी – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : ओ बबिता भाभी आपने कुछ सुना क्या ??

अरे नहीं तो …. क्या फिर से कोई नई चटपटी खबर लेकर आयी हैं तू रिंपी … भाभी बबिता चटकारे लेते हुए बोली…
अरे वो जो 18 नंबर वाली नूरी भाभी हैं ना ..सुना हैं उनकी बेटी सिम्मी घर छोड़कर भाग गयी हैं…
क्या तू सही बोल रही हैं… भाभी जी तो अपनी बेटी की तारीफों के पुल ही बांधती रहती थी … मेरी बेटी ऐसी,, मेरी बेटी वैसी…. पढ़ने में बहुत होशियार हैं … अब कहां गयी होशियारी…. नाम डुबो दिया बिटिया ने… बबिता भाभी दांत निकालकर मजे लेते हुए बोली…. अच्छा रिंपी ये तो बता क्यूँ भागी उनकी रानी बेटी….
पता तो नहीं चला भाभी जी… पर होगा वहीं लड़के वड़के वाला मामला… और भला क्या हो सकता हैं….
चल उनके घर चलते हैं… थोड़ा पता तो करके आयें आखिर बात क्या हुई हैं….
दोनों सखी हंसते हुए नूरी भाभी के गेट पर पहुँची…. गेट खटखटाया… भाईसाहब बाहर आयें … दोनों ने उन्हे नमस्ते किया…
आप दोनों सुबह सुबह … सब कुशल मंगल तो हैं भाभी जी…
वो हमने कुछ सुना हैं.. भाभी जी हैं अन्दर …
हाँ हां… हैं जाओ ,, बात कर लो… भाई साहब उदास होते हुए बोले…
जैसे ही रिंपी और बबिता भाभी अंदर रह गयी… देखकर उनकी आँखें खुली रह गयी…. क्युंकि नीरू भाभी अपनी बेटी सिम्मी को नाश्ता करा रही थी .. उनकी बेटी पहिये वाली कुरसी पर बैठी थी … उसके दोनों पैरों में पट्टी बंधी थी … और चेहरे हाथों पर कई घाव थे … दोनों दुखी होकर बोली भाभी जी ये क्या हो गया सिम्मी को??
भाभी जी कुछ नहीं हुआ मेरी बेटी को… वो पहले से ज्यादा हिम्मत वाली हो गयी हैं… हैं ना मेरी सिम्मो ??
सिम्मी फफ़ककर रोने लगी… और अपनी माँ के सीने से चिपक गयी…
रिंपी और बबिता अब कुछ पूछने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी …
बाहर आयी तो मोहल्ले वालों से पता चला कि पिछली गली के रमेश जी के बेटे के प्रपोज का जवाब नहीं दे रही थी सिम्मी … उसने गुस्से में अपने दोस्त के साथ मिलकर कोलेज ज़ाते समय सिम्मी को गाड़ी से उठवा लिया था … उसे जंगल में बने एक पुराने घर में गलत काम के लिए बन्दी बना लिया था … सिम्मी हिम्मत वाली लड़की थी किसी तरह उन लड़कों को चकमा दे वो अपनी इज्जत बचा भाग आयी थी … पर जगह जगह उसे बहुत चोटें आयी.. एक पैर की हड्डी भी टूट गयी थी …
यह सुन पता नहीं कहां से रिंपी में जोश आ गया… सभी मोहल्ले की औरतों को लेकर रमेश जी के घर गयी… चिल्लाकर बोली… भाभी जी… आप ही बता रही थी ना की नूरी भाभी की लड़की भाग गयी हैं… ये क्यूँ नहीं बताया कि आपका बेटा ही उसकी इज्जत से खेलना चाहता था … आप क्या सोची किसी को कानोंकान खबर भी नहीं होगी…. नाम नूरी भाभी का नहीं आपके परिवार का डुबा हैं… सब औरतें गुस्से में आ रमेश जी के घर पर पत्थर फेंकने लगी… पुलिस ने रमेश जी और उनकी पत्नी को बेटे को छुपाकर रखने के जुर्म में जेल में डाल दिया…
सिम्मी के चेहरे की मुस्कान उसकी रिंपी आंटी ने लौटा दी थी …
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा

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