इंटरव्यू -मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

   वंदना जल्दी जल्दी नहाकर भगवान जी के सामने दिया जला रही हैँ…. आज उसका टीचिंग का इंटरव्यू जो हैँ…. पापा को जब से कैंसर हुआ हैँ तो जो आमदनी का ज़रिया था वो भी खत्म हो गया… माँ सिलाई करती हैँ…गांव में सिलाई के पैसे देने में भी लोगों को नानी याद आती हैँ….वैसे ही बेचारी माँ कम ही पैसे लेती हैँ…अब तो आंखे भी कमजोर हो गयी हैँ माँ की……..दो छोटे भाई बहन हैँ….जो अभी पास के ही सरकारी विद्यालय में पढ़ रहे हैँ….

अच्छा माँ चलती हूँ… पता नहीं आज भोले बाबा मेरी सुनेंगे य़ा नहीं… वैसे तो वो कोलेज़ के साथ किताबों  से पुलिस की नौकरी की तैयारी  भी कर रही हैँ…..पर अब पैसों की काफी समस्या आ गयी हैँ घर में…दो बखत की रोटी भी मुश्किल से बन  रही हैँ अब….कोलेज रोज  ना जाने का फैसला लेकर अब वो पास के ही बड़े  प्राईवेट स्कूल में प्राईमरी के बच्चों को पढ़ाने का  इंटरव्यू  देने जा रही  हैँ…

पापा जब पैसे लाते थे तो घी का दिया ज़लता था अम्मा … अब तो दो चार बूंद तेल का ही जल रहा हैँ…. कहीं नाराज तो नहीं हो ज़ायेंगे मेरे भोले बाबा….वंदना  सिलाई करती अपनी माँ से बोली…

अरे मेरी रज्जो ….. भोले बाबा… भावना देखते हैँ… तेल य़ा घी नहीं… तू तो बचपन से ही  उनकी भक्त रही हैँ…. तेरी नहीं सुनेंगे तो किसकी सुनेंगे…. माँ बोली…

वो तो सही कह रही हो अम्मा. .. अच्छा चलती हूँ… 9 बजे से शुरू हैँ वो  इंटरव्यू … अपने खाट पर लेटे बिमार पापा का हाथ अपने सर पर रख माँ को नमस्ते कर वंदना पैदल ही आ गयी स्कूल…. ज्यादा दूर भी नहीं था स्कूल… दो किलोमीटर …..

चार  इंटरव्यू  गुजर चुके थे… पांचवा नंबर वंदना का ही था… बाकी सब पढ़ने में लगे थे…. उसे अपनी पुलिस के लिए की गयी तैयारी पर पूरा भरोसा था कि इसमें तो पास हो जायेगी वो…. वो  अपने बहुत ही सस्ते से घिसे हुए सूट में बिल्कुल असहज नहीं हो  रही थी…. बाकी लोग कोट और महंगे कपड़े पहने हुए थे….

तभी एक मैडम ने मिस वंदना नाम पुकारा ….

वंदना उठी…. अपनी फाईल हाथ में लिए वो अंदर गयी…. उसने सभी लोगों को गुड मॉर्निंग बोला….

तभी सभी इंटरव्यू कक्ष में मौजूद लोगों की निगाह वंदना पर गयी…. दो मैडम ने उसके पहनावे को देख मुंह बनाया… फिर सभी ने गुड मॉर्निंग बोला… एक सर बोले…. प्लीज हैव अ सीट….

वंदना थैंक यू बोल बैठ गयी….

तभी एक मैडम बोली… वंदना जी… टेल अबाउट योरसेल्फ…वाट्स योर क्वालिफिकेशन ,अबाउट  योर फैमिली बैक ग्राउंड … योर एक्सपीरिंस ऑफ टीचिंग ….

वंदना ने बोलना शुरू किया …… मैम मेरा नाम वंदना हैँ… मैं बी.एस.सी कर रही हूँ लास्ट ईयर हैँ मेरा….

तभी दूसरी मैडम ने उसे टोकते हुए बोला… प्लीज टेल इन इंग्लिश….

मैम मुझे इंग्लिश नहीं आती ठीक से….. गांव से पढ़ी हूँ हिन्दी मीडियम ….

देन यू आर नॉट एलिज़िबल फॉर दिस पोस्ट … सोरी… यू कैन लीव…. मैडम रोष में बोली….

दूसरी मैडम दूसरे कैंडिडेट को बुलाने के लिए  बेल बजाने के लिए हाथ रखने वाली थी बेल पर …. तभी वंदना ने उनका हाथ पकड़ लिया…

मैम प्लीज… आप किसी और को बुलाये उससे पहले आपको मेरी पूरी बात सुननी होगी….

मैडम गुस्से में बोली… हाउ डेयर यू टू होल्ड माय हैंड ….

रूची मैम… प्लीज सिट… लेट हर फिनिश फर्स्ट …

मैम तिलमिला कर बैठ गयी….

थैंक यू सर…. मैं ये पूछना चाहती हूँ कि ये इंटरव्यू छोटे प्राईमरी के बच्चों को पढ़ाने के लिए हो रहा हैँ ना ??.

यस मिस वंदना … फॉर प्राईमरी क्लास ….

तो फिर सर प्राईमरी को पढ़ाने के लिए ज़ितना आना चाहिए उससे कहीं ज्यादा मुझे आता है …. रही बात इंग्लिश की तो मुझे समझ आती हैँ… लिखनी आती हैँ… बस बोलने में हिचक होती हैँ… गांव में पढ़ी हूँ…. कभी घर में य़ा बाहर ऐसा माहोल नहीं मिला… आप मौका देंगे तो सीख जाऊंगी बोलना भी …. ये मेरी पहली नौकरी हैँ… कोई अनुभव नहीं हैँ मुझे… मेरे पिता कैंसर से जूझ रहे हैँ….. मैं छोटे बच्चों को पढ़ाने लायक इंग्लिश जानती हूँ…. बाकी आप लोगों को तो नहीं  पढ़ाना ना मुझे… आप मुझसे किसी भी सब्जेक्ट से प्रश्न पूछ सकते हैँ …. वंदना पूरे आत्मविश्वास से बोली….

फिर सर ने शुरू किये वंदना से गणित , हिन्दी , इंग्लिश , इतिहास  भूगोल , जीके  समसामयिक के सवाल….. वंदना हर सवाल का जवाब हिन्दी में  बिल्कुल सही और तुरंत दे रही थी…..उसकी हाजिर जवाबी को देख सभी को बहुत आनन्द आ रहा था…. सभी ने उस पर प्रश्नों की ताबड़तोड़ बौछार कर दी…. सामने व्हाईट बोर्ड पर कई गणित के कठिन सवालों को हल कराया गया…. ज़िसे उसने बहुत ही सुन्दरता से हल किया ….. सब भूल गए कि वो प्राईमरी के बच्चों के लिए इंटरव्यू देने आयी हैँ….

उसका इंटरव्यू चालीस मिनट चला…. बाहर बैठे सभी लोगों की धड़कने बढ़ी हुई थी कि ऐसा अंदर क्या चल रहा हैँ उस गांव की गंवार लड़की से ऐसा क्या पूछा जा रहा हैँ….

वंदना बाहर आयी…. अगले दिन इंटरव्यू में पास लोगों की लिस्ट चिपकायी गयी विद्यालय के बोर्ड पर … सबसे ऊपर वंदना का नाम था….. वंदना ने भोले बाबा को धन्यवाद बोला… वंदना ने उस स्कूल में प्राईमरी में सिर्फ दो महीने ही काम किया … उसे उसकी योग्यता को देखते हुए छठी से हाई स्कूल तक के बच्चों को  पढ़ाने के लिए रख लिया गया….

दो साल बाद ही वंदना का सलेक्शन एसआई के लिए हो गया…उसके स्कूल के सभी लोगों ने वंदना के लिए भव्य विदाई समारोह का आयोजन किया … वहीं मैम  ज़िन्होने उसे इंटरव्यू भी देने से रोका था आज स्टेज पर वंदना को तारीफ करते नहीं थक रही थी… सर ने भी वंदना को सल्यूट मारा …

वंदना अब अपने पिता जी का ईलाज मुंबई के सबसे बड़े होस्पिटल में करा रही हैँ… उनकी हालत में पहले से सुधार हैँ… दोनों छोटे भाई बहन भी बड़ी बहन से प्रेरित होकर लगे हुए हैँ तैयारी में….. वो भी एक ना एक सफल ज़रूर होंगे… भई मेहनत रंग लाती हैँ और सफलता शोर मचाती हैँ….. जब गांव की एक लड़की ज़िसे कोई सुविधायें मुहैया नहीं हैँ वो दरोगा बन गयी तो हमारे शहरों के बच्चों को तो सब मिल रहा हैँ… कोई ज़िम्मेदारी नहीं… तो वो क्यूँ नहीं कर सकते… कर सकते हैँ…. बस उन्हे अभाव में पाले…. और समय दे….

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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