मायका माँ बाप के बाद भाभी से होता है – संगीता अग्रवाल  Moral stories in hindi

” तुम्हे जरा तमीज नही है खाना बनाने की बाकी काम को सहायिका है बस एक खाना बनाना होता है तुम्हे वो भी तुमसे नही होता …बस सारा दिन आराम चाहिए तुम्हे !” नलिन गुस्से मे अपनी पत्नी कोमल पर चिल्ला रहा था।

” ऐसा नही है नलिन खाना बनाने के अलावा भी बहुत काम होते है मीठी ( नलिन और कोमल की छह महीने की बेटी ) को भी देखना होता है आज मम्मीजी को बराबर वाली आंटी अपने साथ ले गई तो मीठी को देखने वाला कोई नही था …उसे लिए लिए खाना बनाया तो हो गई होगी कोई गलती !” कोमल धीरे से बोली।

” बस यही तो तुम औरतों की कमी है खुद की गलती मानने की जगह ऐसा दिखाती है ये बेचारी कितनी अबला है जिन्हे कभी फुर्सत ही नही मिलती घर से… हद है !” ये बोल नलिन खाना छोड़ उठकर बाहर चला गया। अपने कमरे मे बैठी नलिन की बहन श्वेता मुस्कुरा दी भाई भाभी की लड़ाई देख क्योकि अपने भाई को भाभी पर इस तरह चिल्लाते हुए आज पहली बार देखा था ।

यूँ तो कोमल एक सुघड गृहिनी है घर मे सास ससुर सब उसकी प्रशंसा करते है नलिन भी उससे खुश है पर जबसे मीठी हुई है तबसे कोमल पहले से ज्यादा व्यस्त हो गई है हालाँकि जब उसकी सास मीना जी घर मे होती है तो वो मीठी को संभाल लेती है थोड़ा बहुत घर के काम मे भी मदद करती है । वो तो अपनी बेटी श्वेता को भी भाभी की सहायता के लिए कहती है पर श्वेता हर बार यही कहती अब जब भाभी आ गई मैं क्यो घर के काम मे मदद करूँ उनके आने से पहले मैं करती थी ना । तब कोमल ही सास को चुप करा देती ये कहकर कि मम्मीजी श्वेता अब हमारे पास है ही कितने समय के लिए कुछ समय बाद इसकी शादी हो जाएगी तो जब तक यहाँ है इसे आराम करने दीजिये।

ये सुन श्वेता के चेहरे पर विजयी मुस्कान आ जाती… वो कहते है ना कि औरत ही औरत को नही समझती जिस दिन वो समझने लगे किसी पुरुष की हिम्मत नही औरत को गलत कहने की। यहाँ तो श्वेता कोमल का साथ देने की जगह उससे खार सी खाती है क्योकि सब कोमल की तारीफ जो करते है और कहीं ना कही श्वेता को अपनी भाभी से गृहस्थी चलाने की सीख लेने को कहते है।  आज सास के बाहर जाने पर कोमल ने पहली बार श्वेता से मीठी को संभालने को कहा था जिससे वो खाना बना ले लेकिन श्वेता ने पढ़ने का बहाना कर साफ इनकार कर दिया और कोमल ने भी उसे छोटी बहन समझ कुछ कहना उचित नही समझा और किसी तरह मीठी को संभालते हुए खाना बनाया।

नलिन का यूँ उठकर जाना कोमल को अच्छा नही लगा उसकी आँख मे आंसू आ गये उधर मीठी रोने लगी तो कोमल उसे दूध पिलाने चली गई।

” मम्मी आज पता है क्या हुआ ?” मीना जी के घर मे घुसते ही श्वेता उनसे बोली।

” क्या हुआ ?” मीना जी ने पूछा।

” आज भाभी ने खाना बिल्कुल अच्छा नही बनाया भाई गुस्से मे खाना छोड़ कर चल दिये । ” श्वेता खुश होते हुए बोली।

” अच्छा …हो जाती है कभी कभी गलती नलिन को ये समझना चाहिए !” मीना जी बोली।

” अरे नही मम्मी ये चीज तो भाभी को समझनी चाहिए घर की बहु है वो यूँ मीठी के बहाने घर के काम से तो नही बच सकती ना …मम्मी मुझे तो पता है क्या लगता है भाभी मीठी के बहाने कमरे मे पड़ी फोन मे लगी रहती होंगी …हो सकता है अपनी मम्मी से बुराई करती हो हम सबकी !” श्वेता ऐसे बोली मानो कोई रहस्य उजागर कर रही हो। मीठी को दूध पिला कमरे से बाहर आती श्वेता ने ये सुन लिया तो उसकी आँख मे आंसू आ गये जिस ननद को वो बहन मानती है वो उसके बारे मे ऐसे विचार रखती है। इससे पहले की वो आगे बढ़ती उसे सास की आवाज़ सुनाई दी।

” बस करो श्वेता यूँ आग मे घी डालना कहाँ से सीखा तुमने । तुम भूल रही हो जैसे कोमल इस घर की बहु बनी कल को तुम्हे भी किसी घर की बनना है और एक दिन माँ भी बनोगी । तुम्हे तो भाभी का साथ देना चाहिए ऐसे मौको पर लेकिन तुम तो उलटे आग मे घी डाल रही हो जिससे मैं भी कोमल को डांटू । कोमल की अवस्था जानती हूँ मैं क्योकि मैं भी माँ बनी थी कभी ओर मुझे भी कामचोर , आलसी और ना जाने क्या क्या नाम दिये गये थे पर मैं अपनी बहु को ये नही सहने दूंगी।” मीना जी गुस्से मे बोली उनकी बात सुन कोमल के मन मे सास के लिए आदर बढ़ गया।

” पर मम्मी उस समय घर मे नौकर नही होते थे आपको सारा काम खुद करना पड़ता था अब भाभी के साथ तो आप भी लगी रहती हो !” श्वेता को माँ का भाभी की साइड लेना रास नही आया।

” हाँ मेरे साथ कोई नही था मदद के लिए इसलिए तो मैं बहु की मदद करती हूँ जिससे सास के लिए उसके मन मे वही सम्मान हो जो माँ के लिए होता है । श्वेता बेटा तुम भी खुद को बदलो एक ननद भाभी की सबसे अच्छी सहेली भी बन सकती है और सबसे बड़ी दुश्मन भी । कल को तुम्हे अपना मायका चाहिए या नही उसे सोचते हुए तुम फैसला करो तुम्हे क्या बनना है क्योकि मायका माँ बाप के बाद भाभी से ही होता है । वैसे भी कल को तुम भी भाभी बनोगी तो अपनी ननद का ऐसा व्यवहार तुम्हे अच्छा लगेगा ? मुझे तो अपना बुढ़ापा खराब नही करना इसलिए मैं तो अपनी बहु का साथ दूंगी !” ये बोल मीना जी वहाँ से उठकर बहु के कमरे की तरफ बढ़ी पर दरवाजे पर कोमल को खड़ा देख रुक गई।

” मम्मी जी शुक्रिया मेरी माँ बनने के लिए !” कोमल सास से लिपटती हुई बोली।

” नहीं भई मैं तो तुम्हारी सास ही ठीक हूँ क्योकि कभी कभी रोब दिखाना भी बनता है ना बहु पर !” मीना जी हँसते हुए बोली तो कोमल भी हंस दी।

” भाभी मीठी सो गई क्या ?…आप बैठिये मैं सबका खाना लगा कर लाती हूँ !” श्वेता जो तबसे कुछ सोच रही थी उठती हुई धीरे से बोली।

” नही श्वेता मीठी तो सो रही है मैं इतने जल्दी से रसोई के काम निपटा लेती हूँ !” कोमल प्यार से बोली।

” तो चलिए मैं भी साथ चलती हूँ काम जल्दी खत्म हो जायेगा !” श्वेता बोली और भाभी के साथ चल दी मीना जी श्वेता का बदला रूप देख मुस्कुरा दी।

शाम को नलिन के आने पर मीना जी ने उसे समझाया नलिन को पहले ही अपनी गलती का एहसास हो गया था इसलिए उसने कोमल से माफ़ी मांग ली।

मीना जी खुश थी कि उन्होंने सही समय पर अपने बच्चो को सही शिक्षा दी है अब जहाँ नलिन कोमल के साथ अपने रिश्ते को मजबूत बनाएगा वहीं श्वेता भी अपना मायका कभी नही खोयेगी !

दोस्तों मैं ये नही कहती हर सास ननद खराब होती है । पर आज भी कुछ घरों मे सास अच्छी है तो ननद ऐसी होती है कि भाभी को अपना प्रतिद्वंदी समझ लेती है जबकि ऐसा नही है सबकी अपनी जगह होती है। ऐसे मे सास का फर्ज है बेटी का पक्ष ना ले उसे सही सीख दे जिससे बहु के मन मे सास के लिए सम्मान रहे साथ ही ननद का मायका माँ के बाद भी सलामत रहे।

क्या आप मुझसे सहमत है ?

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

2 thoughts on “मायका माँ बाप के बाद भाभी से होता है – संगीता अग्रवाल  Moral stories in hindi”

  1. बहुत ही सुन्दर रचना, वास्तविकता में ऐसा काफी घरों में देखने को मिलता है, ननद के बहकाने से सास भी बहक जाती है, और बहु से रिश्ता खराब कर लेती है,

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