एक प्यार ऐसा भी …(भाग -50) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि राजू इंटरव्यू में भी पास हो गया है … ऑफिसर बन चुका है ….. सचिन के बताने पर कि निम्मी सिर्फ तुमसे प्यार करती है राजू…. उसे अपना लो…. यह सुन राजू की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है …. राजू गांव के लिए निकलना चाहता है तभी भावना मैडम और उनके पापा ,,रोहित सर के घर आते है ….. राजू द्वारा साफ साफ कहने पर कि वो निम्मी से प्यार करता है ….. मैडम बेहोश हो जमीन पर गिर जाती है … राकेश का फ़ोन आया है… गांव में निम्मी ने जहर खा लिया है ….. उसकी हालत नाजुक है ….

अब आगे….

राजू  चीख पड़ता है ….

सर मुझे जाना होगा…. अपनी निम्मी को बचाना है …….

राजू गिड़गिड़ाते हुए भावना मैडम के पापा से बोला….

इधर वो कुछ सुनने की हालत में नहीं है ……

बस भावना को होश में लाने का प्रयास कर रहे है ……

तुरंत डॉक्टर को बुलाया जाता है ….

राजू रोये जा रहा है …..

ऐसी कशमकश में फंसा था कि वही जान सकता था  …….

भावना मैडम को होश आता है ….

उन्हे चेयर पर बैठाया जाता है ….

राजू हाथ ज़ोड़कर आँखो में आंसू लिए भावना मैडम के सामने खड़ा था ….

रोहित सर पर राजू की ऐसी हालत नहीं देखी जा रही….

भावना मैडम बस राजू को गौर से देख रही थी ….

उन्होने हाथों के इशारें से राजू को पास बुलाया…

राजू धीमे कदमों से उनके पास गया…

भावना मैडम ने राजू को झुकने को कहा ….

राजू धीरे से नीचे झुकता है ….

भावना मैडम उसे और पास आने का इशारा करती है ….

राजू समझ नहीं पा रहा था … भावना मैडम करना क्या चाह रही थी …..

राजू उनके और पास आ गया…

भावना मैडम ने  राजू के गालों पर किस कर लिया….

सभी लोग देखते रह गये…..

भावना मैडम बोली….

राजू मैं हार गयी….

आजतक हार  ना मानने वाली भावना आज राजू और निम्मी के प्यार के आगे हार गयी……

तुम जाओ….

निम्मी को  बचा लो…..

अगर वो नहीं बच पायी तो मैं ज़िन्दगी भर खुद को माफ नहीं कर पाऊंगी…..

सचिन ने कहा था दी निम्मी राजू से प्यार करती है ….

पर मैं तो ज़िद्दी हूँ….ज़िद्दी भावना…..

सोचा तुम पर एहसान कर तुम्हे अपना बना लूँगी…

पर ये दिल तो बस दिल की सुनता है … दिमाग का तो कोई काम ही नहीं इसमें …….

एक टीचर और स्टूडेंट के रिश्ते पर कोई दाग नहीं लगा है …… बस बहक गयी थी तुम्हारी मासूमियत, तुम्हारी अच्छाई पर …… मुझे माफ कर दो राजू….

तुम मेरी तरफ से आजाद हो…

निम्मी बहुत किस्मत वाली है … उसे तुम मिल रहे हो….

भावना मैडम फफककर रो पड़ी…..

ओह मैम….

थैंक यू सो मच …..

आप माफी मत मांगिये…..

गलती तो मेरी है …

निम्मी के अलावा कभी किसी के बारें में सोचा ही नहीं…..

अच्छा चलता हूँ मैम ……

फिर आऊंगा कभी तो,,,मिलूँगा ,,आपसे और सर से…..

नहीं….. अब कभी मत आना राजू ….

बहुत मुश्किल से फैसला ले पायी हूँ….

फिर कमजोर नहीं पड़ना चाहती…..

राजू कुछ बोल नहीं पाया…..

राजू रोहित सर के गले मिल, भावना मैडम के पापा के पैर छू बैग लेकर दौड़ पड़ा ….

रोहित सर की आँखें नम थी ….

भावना मैडम अभी भी खिड़की पर खड़ी हो,,,ज़ाते हुए राजू को देख रही थी ….

अपने गालों पर आये आंसुओं को रुमाल से पोंछ रही थी ….

जब राजू ओझल हो गया तो पापा की ओर मुड़ी …

उनके सीने से लग गयी…..

बेटा तुम हारी नहीं….

तुम तो जीत गयी…..

आय एम प्रॉउड ऑफ़ यू माय डॉटर ….

मैं भी यही चाहता था ….

बस तुम खुद समझो इसका इंतजार कर रहा था …..

भावना मैडम के पापा बोले….

पापा… चलो घर चले….

भावना मैडम पापा के साथ घर चली आयी….

राजू अपनी बाइक 80 की स्पीड में चला रहा था ……..

गांव पहुँच चुका था ….

रास्ते में सभी लोग राजू को अधिकारी बनने की बधाई दे रहे थे …..

राजू को देख चारों ओर भीड़ जम गयी थी ….

पर राजू तो बस सीधा चला जा रहा था ….

उसे तो बस निम्मी ही याद  आ रही थी ….

निम्मी के घर के आगे पहुँच उसकी बहन से पूछा उसने….

निम्मी कहां है राखी ??

राजू भईया निम्मी ज़िजी तो हस्पताल में है …..

ये बोल राखी रो पड़ी….

राजू अस्पताल की ओर भागा …

जल्दी से गाड़ी को स्टैंड पर लगा अंदर आया…

सामने ही निम्मी की अम्मा साड़ी से मुंह छुपाये खड़ी थी ….

राजू उनके पास गया…

चाची निम्मी कहां है ??

कैसी है ??

डॉक्टर साहब ने अभी कुछ कहीं ना है लला ??

मेरी बच्ची कैसी है….

तू ही पूछ …

चार दिना पीछे ब्याह है उसका…..

राजू घबराता हुआ डॉक्टर के पास गया…

सर….

ओह तुम ….. तुम्ही ने उसे डेंगु से बचाया था ….

शायद आज़ तुम्हारी ही दुआयें लग गयी निम्मी को…..

जहर निकल गया है ….

कल ले जा सकते है उसे आप….

बस दवाई देते रहना…

डॉक्टर बोले…

थैंक यू सो मच सर….

आपने यह बोल दूसरा जन्म दे दिया है मुझे…

क्या मैँ मिल सकता हूँ उससे ??

हां हां…

अब होश में है ….

आप जा सकते है ….

राजू बाहर जूते उतार अंदर निम्मी के कमरे में आता है ….

राजू को देख निम्मी मुंह फेर लेती है ….

ए निम्मी ….

देख इधर??

मुंह क्यूँ फेर रही है …..??

राजू अधिकार से बोला…

तू यहां क्यूँ आया है रे  ……

तू तो अफसर बन गया ना ….

जा शहर में भावना मैडम से ब्याह रचा ले….

निम्मी का  चेहरा अभी भी दूसरी तरफ है ….

राजू निम्मी का चेहरा अपनी ओर मोड़ बोला…

क्या बोली  तू ….

अफसर बन गया मैं …….??

अफसर तो तेरे सोलह सोमवार से बना हूँ… ना ???

राजू बोला….

वो तो मैने सचिन जी के लिए रखे थे ….

निम्मी झूठ बोलती है …..

चुप कर ….

सब बता दिया है मुझे सचिन ने….

और क्या बोली तू …. भावना मैडम से शादी कर लूँ…

मैं शादी तो सिर्फ अपनी बांवरी निम्मी से ही करूँगा….

वैसे भी तेरे दिल में भी तो मैं ही हूँ…

राजू बोला….

सच्ची…. तू भावना मैडम से शादी नहीं करेगा रे राजू…. ??

निम्मी चहकती हुई बोली….

पर तू तो अफसर बन गया है …

तेरी पत्नी भी अफसर ही होगी…

मैं तो गांव की गंवार हूँ रे ……

अगले ही पल उदास हो गयी निम्मी …..

चुप हो रही है य़ा एक थप्पड़ लगाऊँ ??

इतनी तकलीफ में थी तू ……

एक बार भी तूने मुझे नहीं बताया….

क्यूँ री निम्मी ??

तूने जहर क्यूँ खाया….. ??

जानती है तुझे कुछ हो जाता तो राजू भी मर जाता….

राजू रुआंसा सा था …

राजू…..

वो बस तेरे अफसर बनने का इंतजार कर रही थी …..

सचिन जी से तो मैँ य़ा किसी से भी कभी ब्याह नहीं करती मैँ …..

वो तो बस पहले मर जाती तो तू ठीक से पढ़ ना पाता…

और तू अफसर ना बन पाता….

बस आज के दिन का इंतजार कर रही थी ….

जो माँगा था वो मिल गया था रे राजू……..

निम्मी रोये जा रही थी …

बस इतना ही चाहिए तुझे….. राजू नहीं चाहिए…..??

ओह री निम्मी …. इतना चाहती है तू मुझे…. तो मेरे साथ जीना भी तो है तुझे…..

मेरी दुल्हन बनकर आयेगी ना ….

बस अब तो तू राजू की परिक्षा मत ले….

इस परिक्षा में भी पास कर दे मुझे??

राजू अपनी दोनों बाहें फैला लेता है ….

निम्मी सहारे से बैठी हुई थी ….

थोड़ा पास आ ना रे राजू??

राजू निम्मी के पास जाता है …

निम्मी कसके गले लगा लेती है राजू को…

उसके चेहरे, माथे, हाथों को जी भरकर चूमती है …

राजू भी अपनी पकड़ मजबूत कर लेता है ……

कैसे गुजारा है तेरे बिना  इतना बखत….

मैं ही जानती हूँ रे राजू….

राजू भी निम्मी के माथे को चूम लेता है …..

बाहर से यह दृश्य निम्मी के अम्मा बापू देखते है ….

वो भी अंदर आ ज़ाते है …

ए रे लला….

तू मेरी निम्मी से इतना प्यार करें है ….

माफ कर दे रे ….

जान ना पायें ….

राजू के अम्मा,,बापू ,,बाबा सब राजू के अस्पताल पहुंचने की खबर सुन वहीं आ ज़ाते है ….

राजू के बाबा हाथ में लाठी लिए राजू के पास आ उसे गले से लगा लेते है …..

बन गया तू अफसर लला…..

तूने कर दिखाया रे ….

अब ठाकुर जी भले जी बुला ले तो चला जाऊंगा रे …..

तू तो बड़ा होशियार निकला…

बाबा की आँखें डबडबायी हुई थी ……

अभी ना ताऊ,,,ना जा रहे ताऊ तुम ठाकुर जी के पास……… अभी तो निम्मी और राजू को आशिर्वाद देना है ….. उनके बालक बच्चे खिलाने है …..

तू ना माना लला….

आखिर निम्मी से ही ब्याह करेगा…..

बचपन से चाहे है उसे ….

राजू शर्मा जाता है  …

सभी के पैर छूता है ….

राजू की बहने उसकी गोद में आ जाती है …

लाजू भईया… अब मेले को वो बड़ी वाली गाड़ी दिला देना…

और वो परी वाली फरोक…..

अब तो तुम अफसल बन गे …..

राजू की छोटी बहन तोतली भाषा में बोली….

हां री छोटी….

सब कुछ दिला दूँगा…

तू बस बोलती जाना…..

सभी की आँखों में ख़ुशी के आंसू थे …

अगले दिन राजू का पूरा गांव रंग बिरंगी कतरनों से सजाया गया है ……

चारों तरफ झालरों से रोशनी दमक रही है ….

आसमान में आतिशबाजियां हो रही है ….

ख़ुशी का माहोल है ….

आखिर आस पास के दस गांवों में भी कोई आईएएस ऑफिसर नहीं था भई  ……

राजू पहला लड़का था जिसने गांव का नाम रोशन किया था ….. आतिशबाजियां तो बनती है ना …

निम्मी भी बस राजू को निहार रही थी ….

राजू का बस चलता तो आज ही निम्मी को अपनी दुल्हन बना लेता…. पर अभी ट्रेनिंग बाकी है राजू की…..

ये था निम्मी और राजू का एक प्यार ऐसा भी …..

कैसी लगी पूरी  कहानी बताईयेगा ज़रूर……

इसकी अच्छी बातों को अपनाईये … बुरी को छोड़ दीजिये …. तभी कहानी सार्थक होगी…..

लाइक और कमेंट तो बनता है निम्मी और राजू के लिये …..

जय श्री राम

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

15 thoughts on “एक प्यार ऐसा भी …(भाग -50) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi”

  1. तीन एपिसोड पहले आपने लिखा कि बस तीन भाग और झेल लीजिये। झेलने की जगह आतुरता थी कि कैसे तीनों भाग जल्दी से जल्दी पढने को मिल जाए….. कहानी इतनी अच्छी लगी!
    ग्रामीण परिवेश में गुंथी हुई इस प्रेरणादायक उपन्यास को लिखने पोस्ट करने के लिये बहुत बहुत बधाई। – सुधीर सैलानी.

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  2. Superb story mam. Ek bar padhna start Kiya tk fr sare parts ek sath hi padh liye. Ek short film ban skti h thoda mirch masala or dal kr. Anyways superb writing keep it up👍👍👍

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  3. कहानी इतनी अच्छी लगी की आज ही एक ही बार में पूरी पढ़ डाली, सच में बहुत अच्छा लिखा अपने,
    लास्ट में आंसू आ गए 🙏🙏🙏
    थैंक्स for lovely creation

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  4. Bahut achi lagi story…. emotional v hui padhte padhte lekin last tak apne nhi bataya ki bhawana madam ne raju ki phle din beijjti kyu ki thi sabke samne thapper kyu mara tha jb phli najar se usse pyar krne lgi thi to…. and dusri bat last me apko raju k masssaheb ko bhi mention karna tha unhone v raju ka bahut sath diya tha…. anyway nice story👍

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