घर में शांति होनी चाहिए । – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

“नीलेश तुम सुबह खाने का डिब्बा घर पर ही भुल गये, अब मै कितना याद रखूं? खाना बनाकर देती हूं, वही काफी है, घर देखूं, बच्चे देखूं, या तुम्हें देखूं, मेरी तो जिन्दगी ही चकरघिन्नी हो गई है, पता नहीं मैंने तुमसे शादी ही क्यों की ? मेरी तो जिन्दगी ही नरक हो गई है, … Read more

मै किसी पर कलंक नहीं लगा सकती। – अर्चना खंडेलवाल   : Moral Stories in Hindi

गीता जी आंगन में बैठकर सब्जियां साफ कर रही थी, तभी उनकी नजर अपने पैरों पर पड़ी तो देखा उनके एक पैर में पायल नहीं है, उनके होश उड़ गये, अभी परसों ही वो मायके से वापस आई थी, भतीजे की शादी थी तो लॉकर से ये मोटी, घुंघरू वाली खानदानी चांदी की पायल निकाली … Read more

मतभेद तो हर घर में होते हैं। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

मम्मी, शाम को हम दुलारी ताई जी के यहां चलेंगे, बहुत महीने हो गये है, उनसे मिलना नहीं हुआ, फोन पर तो मै उनके हाल पूछ लेती हूं,” माही खुश होकर बोली, और कमरे की खिड़की से उसने नजर डाली तो सामने वाले घर में कोई हलचल नहीं पाकर हैरान थी। मम्मी, “वो ताई जी … Read more

घर की बेटी अब और ना सहेगी। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

मालती का मन बड़ा ही बेचैन था, सुबह से शाम हो गई पर वो कोई निर्णय नहीं ले पा रही थी, विनोद के ऑफिस से आने का समय हो गया था, उसने खाने की तैयारी कर ली और बेचैनी से बॉलकोनी में टहलने लगी, हर आती -जाती कार पर उसकी निगाह थी, जैसे ही विनोद … Read more

अब मुझे अपने बेटे बहू की कीमत पता चली है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

मम्मी आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं, और हमारी तरफ से ये प्यारा सा उपहार, रोली ने आपके लिए अपने हाथों से जन्मदिन का केक बनाया है, जतिन ने अपनी मम्मी रंजना जी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। केक देखकर रंजना जी के चेहरे पर कोई भाव नहीं आया, उन्होंने उड़ती नजरों से केक को देखा … Read more

बहू अब मेरा गुरूर टूट गया। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

“ये क्या कैसे तैयार हुई है! तू भी ना किस फ़ूहड़ को पत्नी बनाकर ले आया है,ये एक कॉरपोरेट पार्टी है, और उसमें शगुन ऐसे जायेगी, मेरी तो नाक ही कट जायेगी, लोग कहेंगे बहू से ज्यादा तो सास मॉर्डन लग रही है, अभि इसे थोड़ी तो मॉर्डन ड्रेस दिला दे और ढंग से रहने … Read more

बेटी कह देने से बहू बेटी नहीं हो जाती। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

मानसी, ये दूध का गिलास निधि के कमरे में दे आ, उसकी परीक्षाएं चल रही है, दूध पीयेंगी तो पढ़ने में भी मन लगेगा, अपनी सास आरती जी की बात सुनकर मानसी अपना खाना छोड़कर पहले दूध देकर आ गई, वो अपने खाने की थाली से दोबारा खाने लगी थी कि आरती जी बुदबुदाने लगी, … Read more

सासू मां मुझे माफ कर दो.. – अर्चना खंडेलवाल Moral Stories in Hindi

‘ये तो खुशी की बात है, रिंकू की शादी तय हो गई, नंदिता जी अपने पति कमल जी से कह रही थी, छोटी तो कब से बहू ढूंढ रही थी, पर इतनी जल्दी पन्द्रह दिनों में ही शादी कर पायेंगी। क्यों ना कर पायेगी, तुम्हारी बहन जो है, तुम्हारे सारे गुण उसके अंदर है, देखना … Read more

सास-बहू का अनोखा रिश्ता – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

सुजाता जी ने जैसे ही नई बहू का घुंघट खोला तो उसके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था, नया घर, नये लोग हर लड़की सहम ही जाती है, उस पर अम्मा की कड़क आवाज का रूतबा, नित्या तो चुपचाप ही बैठी थी। बहू तेरी बहू का थोडा सा घुंघट और लंबा कर, अब मुंह … Read more

बहू बुढ़ापा सबको आता है। -अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

बेटा, जरा सी तबीयत ठीक नहीं लग रही है, तू मुझे डॉक्टर के दिखा ला, अब तो हाथ-पैर भी काम नहीं करते हैं, शरीर में ढीलापन सा रहता है” विमला जी ने अपने बेटे अंकित से कहा। लेकिन अंकित तो अपने ऑफिस के काम में लगा था, और लैपटॉप पर नजरें गड़ाए हुए था, अपनी … Read more

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