दादी जी और मैं – दिक्षा बागदरे: Moral Stories in Hindi

दादी जी कहती थी मैं राधिका जी को। वह एक सरकारी स्कूल मै शिक्षिका थी। मेरा शुरू से ही स्वभाव रहा है कि मैं अपने आसपास बाजार में महिलाओं से, बच्चों से  सामान्य बातचीत कर ही लेती हूं। इसका मतलब यह नहीं कि मैं हर किसी से बात कर लेती हूं पर हां  विशेष तौर … Read more

बदलते परिदृश्य – लतिका श्रीवास्तव Moral Stories in Hindi

एकदम जल्दी जल्दी से अपना आधार कार्ड और  हवाई टिकट्स काउंटर पर दिखाने के लिए निकालती विधि का पर्स बनाम बैग हड़बड़ी में नीचे जमीन पर गिर गया।फुर्ती से उसे उठाने के लिए झुकी ही थी कि फर्श पर पानी बहता हुआ आया और पर्स उठाते  उठाते भी गीला हो गया…!एयरपोर्ट का हाल रेलवे स्टेशन … Read more

“दादी जी और मैं” -दिक्षा बागदरे Moral Stories in Hindi

दादी जी कहती थी मैं राधिका जी को। वह एक सरकारी स्कूल मै शिक्षिका थी। मेरा शुरू से ही स्वभाव रहा है कि मैं अपने आसपास बाजार में महिलाओं से, बच्चों से  सामान्य बातचीत कर ही लेती हूं। इसका मतलब यह नहीं कि मैं हर किसी से बात कर लेती हूं पर हां  विशेष तौर … Read more

सहारा – करुणा मालिक Moral Stories in Hindi

शिखा, ज़रा जल्दी से मेरे क़मीज़ में बटन तो टाँक दे , आज तो इसी शर्ट को पहनना है, ऑफिस में बड़े-बड़े लोग आ रहे हैं । जी.. भैया …बस दो सेकेंड, बड़े भैया ने यह कुर्ता पजामा प्रेस के लिये दिया है, उन्हें पार्टी की किसी मीटिंग में जाना है । शिखा….ओ शिखा…. प्लीज़ … Read more

बुढ़ापा सबको आना है Moral Stories in Hindi

बेटा… तुम लोग कहीं जा रहे हो क्या..? मालती जी ने कहा…  बस टोक दिया ना..? क्या मां..? आपसे चुप नहीं रहा जाता है ना..? उम्र हो गई है तो बस अपना ध्यान भजन कीर्तन में लगाओ ना… हम एक हफ्ते के लिए बाहर जा रहे हैं खाने-पीने का सारा सामान रख दिया है और … Read more

अम्मा बुटीक – डाॅ उर्मिला सिन्हा Moral Stories in Hindi

  “अरे यह शाल आपने कहाँ से लिया। “कंधे पर हाथ रख किसी ने पूछा तब अम्मा चौंक पड़ी।  “जी, कौन सा शाल… “आश्चर्य से अम्मा की आंखें फैल गई।  “जिसे आपने ओढ रखा है, क्या कलर कंबिनेशन और बुनावट… ओ माई गाॅड “अल्ट्रा मार्डन युवती की आंखें चमक उठी ।  “आइये  अम्मा “! कन्या की … Read more

एक बुढ़ापा ऐसा भी – पुष्पा जोशी Moral Stories in Hindi

 ‘अरी रजनी  यह क्या चाय में कितनी शक्कर डाली है, तुम्हारा तो दिमाग ही फिर गया है। साठ साल की हो गई हो, थोड़ा सठिया गई हो।’  रजनी कपड़े सुखा रही थी। उन्हें सुखाना छोड़कर आई और बोली ‘अच्छा जी, मैं सठिया गई हूँ, और आपका दिमाग तो बिलकुल सही है कल चश्मा ऑंखों पर … Read more

आया नहीं मां ही रहो – शुभ्रा बैनर्जी Moral Stories in Hindi

नैना आज बहुत खुश थी।साल भर बाद छोटी ननद आ रही थी,अपनी बेटी के साथ।शादी होकर आते ही अविवाहित छोटी ननद, नैना की सहेली बन गई थी।नैना की शादी के तीन साल बाद शादी हुई थी उसकी।हुई क्या थी,नैना ने ही करवाई थी। रिटायर्ड ससुर जी की जमा पूंजी प्रायः समाप्ति की कगार पर थी,जब … Read more

बुढ़ापा सार्थक हो गया – विभा गुप्ता Moral Stories in Hindi

 स्त्री हो या पुरुष, बुढ़ापा के बारे में सोचकर सभी चिंतित हो जाते हैं।जिनके बेटे हैं वो सोचते हैं कि अगर बहू सेवा न की तो…और बेटी वाले सोचते हैं कि काशः हमारे भी एक बेटा होता तो बुढ़ापा आराम से कट जाता।लेकिन श्री महावीर प्रसाद और श्रीमती कनकलता देवी जी का कहना था कि … Read more

बुढापा..एज इज जस्ट ए नंबर – रीतू गुप्ता Moral Stories in Hindi

राधा के घर में खूब हलचल थी, आज उसके बेटे बहु उसका ६०वां जन्मदिन धूमधाम से मना रहे थे।    राधा ने खूब मना किया कि इस बुढ़ापे में यह सब कहाँ अच्छा लगता है…  पर उनकी बहु सिया नहीं मानी।  वो बोली… माँ, दिल होना चाहिदा है जवान … उम्र च की रखिया।    राधा की … Read more

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