बोया पेड़ आम का***फल कैसे मीठा न होये – शिव कुमारी शुक्ला: Moral Stories in Hindi

केतकी सुबह उठकर जैसे  ही पापा जी के कमरे की और गई तो उसने देख वे कुछ असहज लग रहे थे। पापाजी कोई परेशानी है आप इतने बैचेन  कैसे हो रहे हैं। हां बेटा मुझे बाशरूम जाना है और में उठ   नहीं पा रहा। तो इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है चलिए में … Read more

सिर्फ दूसरों के लिए जीना नहीं है।- अंजना ठाकुर: Moral Stories in Hindi

मांजी आज हम लोगो को देर हो जायेगी आने मैं.. आप अन्नू और मुन्नू को खाना खिला देना और पापाजी से कहना उनका होमवर्क करा कर उनके बैग लगा दे ।नही सुबह स्कूल को देर हो जायेगी। सरिता जी बोली ठीक है ।क्योंकि अक्सर ही उनके बेटा – बहु घूमने निकल जाते और उन पर … Read more

क्या यही होता है बुढ़ापा – मंजू ओमर: Moral Stories in Hindi

मांजी , मम्मी जी लो खाना खा लो सुमित्रा जी के सामने खाने की थाली रखते हुए ममता बोली। ममता सुमित्रा जी के घर पर आठ साल से बर्तन धोने का काम करती है ‌। सुमित्रा जी ने जैसे ही रोटी का निवाला तोड़ा आंख से आंसू आ गए ।ये क्या मांजी तुम रोओ नहीं … Read more

लालची -आराधना सेन : Moral Stories in Hindi

सोमनाथ जी का पुरे घर मे दबदबा सा था। चार पुत्र चार बहुये, दो बेटी दामाद, नाती पोते सब बडे हो चुके थे।एक भरा पुरा परिवार था,आज भी रसोई मे खाना सोमनाथ जी से पूछकर ही बनाया जाता था,सोमनाथ जी के डर से उनकी पत्नी का भी भरपूर मान सम्मान मिलता था।  घर के सभी … Read more

बेजा बोझ… -रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“लो माधवी… हो गई रिटायर्ड तुम…!”  रमेश जी जमीन पर निर्जीव पड़ी अपनी पत्नी के पास बैठ उसका सर सहलाते हुए आंखों में आंसू भरे रुंधे गले से बोले…” तुम्हें बैठकर रहना पसंद नहीं था ना… लेकिन रिटायर होना था… इस बुढ़ापे में मुझे अकेला छोड़… मेरी जिम्मेदारियों का त्याग कर… हो गई रिटायर्ड तुम…!” … Read more

बुढ़ापा -उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

आज उषा जी को पनीर खाने का मन हो आया था ।कमबख़्त बुढ़ापा भी न अजीब सी चीज होती है ।पैर कब्र में लटका हो तो जीभ और भी चटोरी हो जाती है ।लेकिन सब दिन ऐसी नहीं थी उषा जी ।शुरू से ही बहुत संतोषी थी वह।अच्छा खाना किसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन पहले … Read more

एक नई शुरुआत-कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

“माँ आपसे कितनी बार कहा है,कि बात बात पर पूजा से बहस ना किया करो।लेकिन आप मानती नहीं रोज क्लेश करती रहती हो।”सोमिल गुस्सा होते हुए रमा से बोला। “तू तो हर बार मुझे ही गलत समझता है और बहु को कुछ नहीं कहता।मैंने इसे मायके वालों को फोन करते सुना था,कि मेरी सास कोई … Read more

सुखी बुढ़ापा -गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

शशिकांत जी पार्क से सैर करके वापस आए तो देखा कि उनकी माताजी आंगन में कुर्सी पर बैठी है। उन्होंने अपनी माता जी के चरण स्पर्श किए और उन्ही के पास दूसरी कुर्सी खिसका कर बैठ गए और उनका हाल चाल पूछने लगे। वे लगभग प्रतिदिन ऐसाही करते थे। तभी बच्चों की स्कूल वैन उन्हेंलेने … Read more

अपना घर स्वर्ग -ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

आज दोनों बुजुर्ग दम्पत्ति लखमीचंद जी और उनकी पत्नी पुष्पा जी झूले पर बैठे अपने घर के आंगन में अपने स्वर्ग जैसे घर का आनंद ले रहे थे। तभी लख्मी चंद जी की आंखों के सामने  तीन वर्ष पहले का एक दृश्य सचित्र घूम गया, जब उन्होंने अपने बेटे से कहा था….. बेटा कहां थे … Read more

अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो -शनाया : Moral Stories in Hindi

बालकनी में डला झूला और उस पर बैठी माही, हर सुबह की तरह आज भी बालकनी में बैठे बैठे अख़बार पढ़ रही थी और आने जाने वाले लोगों को देखकर उसे जो ख़ुशी महसूस होती थी , उसी ख़ुशी को आज भी महसूस कर रही थी।  उसे अच्छा लगता था ऐसे सुबह सुबह सोसाइटी के … Read more

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