सिन्दूर – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

सुबह सुबह नाश्ता करने के बाद भैया आफिस के लिए निकले ही थे कि दस कदम की दूरी पर सामने से आती हुई ट्रक ने उनको अपने चपेट में ले लिया ।मै अभी सोकर ही उठा था।चाय पी रहा था।तभी किसी ने बताया कि घर के पास ही एक एक्सीडेंट हो गया है ।सोचा ,हुआ … Read more

अपनो का साथ – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

।मैं निर्मला ।पर मेरे स्वभाव में निर्मलता बिलकुल नहीं है ।न जाने क्या सोच कर माता पिता ने यह नाम रखा था ।चार भाई बहन में सबसे छोटी थी।इसलिए सभी का प्यार कुछ अधिक ही मिला ।जिसके फलस्वरूप मै जिद्दी, घमंडी बन गई थी ।सुन्दरता में भी बीस रही तो अपने आगे किसी को नहीं … Read more

सौभाग्यवती – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

।आज सुबह सुबह ही  मालूम हुआ कि काकी चली गई ।मन बहुत उदास हो गया ।काकी का सबके लिए, हर पर्व त्योहार, जन्म दिन, विवाह की वर्षगांठ पर रटा रटाया आशीर्वाद रहता-” सौभाग्य वती भव” चाहे अपना हो या पराया ।काकी ने कभी किसी से भेदभाव नहीं किया ।वह थी तो उड़िया ,लेकिन कोशिश करके … Read more

सुख दुःख का संगम “। – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

आज छोटे बेटे का गृहप्रवेश है ।खूब जोर शोर से तैयारी चल रही है ।मै भी बहुत उत्साहित हूं ।दोनों बेटों ने अपनी अपनी राहें चुन ली है ।बड़ा अमर मैनेजमेंट की पढ़ाई करके अपना बिजनेस संभाल रहा है ।छोटा अमित इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके पूना में नौकरी कर रहा है ।एक मल्टी नेशनल कंपनी … Read more

बाबुल – उमा वर्मा   : Moral Stories in Hindi

मृत्यु शय्या पर पड़ी हुई हूँ ।डाक्टर ने जवाब दे दिया है ।उम्र भी तो हो ही गई है ।थोड़ा बहुत खाना खा लेती हूँ वह भी किसी की सहायता से ।कानों में बार बार के एल सहगल के गीत गूँजने लगते हैं ” बाबुल मोरा, नैहर छूटो जाय —” कौन सा नैहर? जो अब … Read more

कलंक – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

वह बहुत तेजी से भागी जा रही थी ।और मै उसके पीछे-पीछे थी।आखिर मैंने उसे पकड़ लिया ” कान्ता तुम?” उसने मुझे पहचान लिया था।और मुझे कसकर पकड़ लिया ।” हाँ दीदी ” ।मै नदी किनारे टहल रही थी ।नदी किनारे टहलना मेरे लिए खास है ।मुझे बहुत अच्छा लगता है नदी, पहाड़ और झरना … Read more

अभागन – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

आज उसके बेटे की हल्दी है ।घर में खूब जोर शोर से तैयारी चल रही है ।घर की औरतें सज धज रही है ।वह भी अपनी अलमारी खोल कर बैठी थी,” कौन सी साड़ी पहनूँ?यह सोचती हुई ।फिर अपनी माँ की दी हुई गुलाबी बनारसी निकाल लिया ।यही ठीक रहेगी ।उसे गुलाबी रंग बहुत पसंद … Read more

” टूटते रिश्ते ” – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

मीता का आज मन नहीं लग रहा था ।आज चौबीस मई है ।पति के गुजरे पूरे बीस वर्ष पलक झपकते न जाने कैसे बीत गया ।कितनी खुशहाल थी वह अपनी गृहस्थी में ।कितने जतन से बचाया था उसने अपने परिवार के बीच ” टूटते रिश्ते ” को। आज अचानक क्यों याद आ रहें हैं उसे … Read more

बुढ़ापा -उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

आज उषा जी को पनीर खाने का मन हो आया था ।कमबख़्त बुढ़ापा भी न अजीब सी चीज होती है ।पैर कब्र में लटका हो तो जीभ और भी चटोरी हो जाती है ।लेकिन सब दिन ऐसी नहीं थी उषा जी ।शुरू से ही बहुत संतोषी थी वह।अच्छा खाना किसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन पहले … Read more

हमसफ़र-उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

शोभा आज बहुत थक गई है ।अब शरीर नहीं चलता है क्या करे वह ।शरीर चलाना पड़ता है ।वह चाहती भी नहीं है कि किसी पर बोझ बने और हर जरूरत के लिए किसी पर आश्रित हो जाए।बेटा बहू दिल्ली में है अपनी नौकरी पर ।बहुत कहा उनहोंने “अम्मा, अब अकेले मत रहो,हमारे साथ चलो, … Read more

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