शिक्षा ही धन है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 78

     ” कामिनी…ज़रा ठंडे दिमाग से सोचो…देवर जी तो अब रहे नहीं…तुम अकेली औरत..छोटी-सी बच्ची को लेकर कहाँ- कहाँ भटकोगी…,अपनी ज़िद छोड़ दो और अपने जेठ की बात मानकर आराम से यहाँ रहो..।” देविका अपनी देवरानी को समझाते हुए बोली तो कामिनी ने उन्हें घूरकर देखा…फिर बोली,” जीजी…मैंने अपनी बेटी के भविष्य के बारे में सही … Read more

सम्मान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T104905.495

   ” अरे सतीश…तुम क्यों उस बिचारे की पिटाई कर रहे हो..बात-बात पर अपनी #बाँह चढ़ा लेने की तुम्हारी आदत अभी तक गई नहीं है..चलो यहाँ से..।” सतीश का हाथ पकड़कर खींचते हुए नवीन उसे भीड़ से बाहर आ गया।सतीश गुस्से-से बोला,” तू मुझे क्यों ले आया… मैं तो मार-मारकर उसकी हड्डी-पसली एक कर देता।”     ” … Read more

भाग्यशाली से भाग्यहीन – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 50

         जबलपुर में रहते हुए मुझे चार महीने हो रहे थे, इस बीच आसपास रहने वालों से मेरी अच्छी-खासी पहचान भी हो गई थी।उन सबके घर भी आना-जाना हुआ।उसी मोहल्ले में एक बड़ी कोठी भी थी जिसकी बनावट तो पुरानी थी लेकिन साज-सजावट ऐसी कि बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर ले। मैंने … Read more

माई लकी-चार्म – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 88

    ” आ रहा हूँ…।” लगातार काॅलबेल बजते देख  आकाश दरवाज़े की ओर जाते हुए ज़ोर-से बोला।उसने लैपटाॅप का बैग अपने कंधे पर डाला और दरवाज़ा खोला तो सामने मनोहर काका के साथ लाल साड़ी पहने, माँग में सिंदूर- माथे पर बड़ी बिंदी लगाये बाईस वर्षीय युवती को देखकर वो चकित रह गया।    ” तुम…काका, आप … Read more

तुम सही थी – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 94

       पूरा शहर रंग-बिरंगी रोशनी से नहाया हुआ था। पटाखों और बच्चों के शोर अंदर कमरे तक सुनाई दे रहें थें लेकिन दीनदयाल जी अपने कमरे में पत्नी शकुंतला की तस्वीर के आगे बैठे एकटक उन्हें निहारे जा रहें थें।नम आँखों से उनसे शिकायत करने लगे,” मुझे अकेला छोड़कर तुम क्यों चली गई…पिछली दीपावली पर तुमने … Read more

संगत का असर – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 43

नीला अपने कमरे में बैठी हुई साड़ी अलमारी से निकाल रही थी कि तभी रमा दरवाजे पर आ खड़ी हुई। “नीला दीदी, ये साड़ी तो बहुत सुंदर है, मुझे दे दो, मैं इसे पहनकर पूजा में जाऊँगी,” रमा ने आँखों में चमक लिए कहा। नीला ने मुस्कुराते हुए साड़ी उसकी ओर बढ़ा दी। “ठीक है … Read more

बेटी का सम्मान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 60

  ” नहीं भईया…अब आप मीनू को वहाँ नहीं भेजेंगे।हाँ..उसके ससुराल वाले आकर ससम्मान ले जायें तब तो ठीक है वरना..हमारी बेटी कोई बोझ नहीं है।” सुमेश ने अपनी भतीजी के सिर पर स्नेह-से अपना हाथ रखा तो मीनू सुबक पड़ी।      ” लेकिन सुमेश…मीनू को यहाँ रहते देख रिश्तेदार क्या कहेंगे..।” महेश जी ने भाई की … Read more

स्त्री मन – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 57

रिया ने ऑफिस में काम खत्म करने के बाद जैसे ही फोन उठाया, उसने देखा कि उसकी पुरानी सहेली स्नेहा के कई मिस्ड कॉल्स थे। ये कुछ असामान्य था, क्योंकि स्नेहा ऐसे लगातार फोन तभी करती थी जब कोई जरूरी बात हो। रिया ने फौरन ही व्हाट्सएप खोलकर स्नेहा का मैसेज पढ़ा। स्नेहा ने लिखा … Read more

क्लासमेट – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 100

         कहते हैं, सूरत तो चार दिन की चाँदनी है परन्तु सीरत उम्र भर साथ रहती है।इस सत्य को जानते हुए भी कुछ लोगों को अपनी सुंदरता पर इतना गुमान होता है कि खुद को भगवान समझ लेने की भूल कर बैठते हैं।उन्हीं में से एक थी शालू…..।         शालू को बचपन से ही अपने रूप और … Read more

हृदयहीन –    विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T105042.754

  शकुन्तला जी ने अपने पति की तस्वीर के आगे दीपक जलाया तो आँखों से दो आँसू भी उनके गालों पर ढुलक गये।बोलीं,” आपके बिना ये मेरी पहली दीवाली है।सब कुछ सूना-सूना सा लग रहा है।आप कुछ साल और मेरे साथ रहते अगर…।अब अफ़सोस होता है कि मैं क्यूँ नहीं आपके अनबोलों को सुन पाई..क्यों नहीं … Read more

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