मैं महारानी हूँ –  विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” सुनिये..आज मनु के स्कूल जाना है, उसका पीटीएम है…आप 11बजे तक स्कूल आ जायेंगे ना..।” सुधा ने अपने पति वरुण से कहा जो ऑफ़िस के लिये निकल रहे थे।चलते- चलते उन्होंने कह दिया, ” हाँ- हाँ..आज मेरी कोई मीटिंग नहीं है..आ जाऊँगा।”       सुधा एक मध्यवर्गीय परिवार की लड़की थी।उसके पिता पर तीन बच्चों और … Read more

रिश्तों के बीच कलह क्यों? – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” मंजू…सुबह-सुबह ये क्या महाभारत लगा रखा है?” किचन से शोर सुनकर कृष्णकांत जी ने अपनी बेटी से पूछा।    ” कुछ नहीं पापा…मैंने रचना से कहा कि भिंडी की सब्ज़ी सूखी बनाना..पापा जी को रसेदार सब्ज़ी पसंद नहीं है..इसी बात पर मुझसे बहस करने लगी।” मंजू के कहते ही रचना बोली,” इसमें बहस की क्या … Read more

बेटियाँ कलंक नहीं होतीं –  विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” चल हट….बड़ी आई पढ़ाई करने वाली…जा..चौके में जाकर अपनी माँ से खाना पकाना सीख…वही तेरे काम आयेगा..।” दुत्कारते हुए विमला ने सात साल की सुकृति के हाथ से काॅपी छीन लिया तो वह रुआँसी होकर अपनी माँ माधुरी के पास चली गई।          विमला जब इस घर में प्रमोद की पत्नी बनकर आई थीं तब … Read more

मखाने की खीर – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    माधुरी ने मखाने की खीर बनाई थी।पति को परोस कर एक कटोरी खीर लेकर बेटी के कमरे में गई और दरवाज़ा बंद कर उसकी तस्वीर के सामने रख कर रो पड़ी।रोते-रोते बोली,” तू कहाँ चली गई मेरी बच्ची…तुझे देखने के लिये मेरी आँखें तरस गई है। तेरे पापा तो कठोर बन गये लेकिन मैं क्या … Read more

थैंक्स पापा! – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” बस आरव, बहुत हो चुका…अब मैं तुम्हारी तानाशाही हर्गिज़ नहीं सहूँगी।” निशा लगभग चीखते हुए बोली।  ” हाँ तो…मैं भी अब तुम्हारी गुलामी बर्दाश्त नहीं कर सकता।आरव.. ये मत करो..ऐसे नहीं बैठो..ये मत खाओ..तंग आ चुका हूँ तुम्हारी इस दादागिरी से..।”आरव भी उसी लहज़े में बोला तो निशा भड़क उठी,” अच्छा…शादी से पहले तो … Read more

अब कोई शिकायत नहीं – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” अब चुप भी हो जा काजल बिटिया….कब तक अपने कीमती आँसू बहाती रहेगी।” नानी की बात सुनकर भी काजल रोती रही और अपने आँसुओं से उनका आँचल भिगोती रही।          अपने माता-पिता की लाडली थी काजल।स्कूल से आकर सहेलियों के संग खेलकर उसका दिन बीत जाता था।एक दिन उसने अपनी माँ से पूछा कि मीना- … Read more

बड़ा है तो क्या! – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” भाई…आप हद से आगे बढ़ रहें हैं..।” विनय चीखा।    ” अच्छा.. तो तू अब मुझे मेरी हद बताएगा।तूने अपनी ज़बान पर कंट्रोल नहीं किया तो मैं क्यों करूँगा…।” प्रकाश ने तमतमाते हुए कहा।         अपने दोनों बेटों को झगड़ते देख गायत्री जी का कलेजा छलनी हो रहा था।वो धम्म-से सोफ़े पर बैठ गईं और अपने … Read more

रियल हैप्पिनेस – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

       ” पर मम्मा…मनीष के घर में तो बहुत गंदगी होगी …अंशु और रुनझुन तो एक पल भी वहाँ रह नहीं पाएँगे..।” मानसी अपनी माँ सुनयना से थोड़ा रूठते हुए बोली तो वो बोलीं,” तो फिर ठीक है…हम ही अपना कनाडा जाना कैंसिल कर देते हैं…अविनाश भाईसाहब के…।”    ” अरे नहीं मम्मा…आप और डैड कनाडा जाइये…मैं … Read more

अधूरा रिश्ता पूरा हुआ – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 मेरे चाचा दिल्ली में डाॅक्टर थे।उनकी बेटी रंजू मेरी हमउम्र बहन थी और सहेली भी।स्वभाव से वह बहुत चंचल थी, मिज़ाज भी गरम रहता था लेकिन किसी की आँख में आँसू देखकर वह तुरंत पिघल भी जाती थी।        आठवीं कक्षा में ॠचा नाम की लड़की से उसकी दोस्ती हुई थी।जब भी वो मुझे फ़ोन करती … Read more

लालच का परिणाम –  विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

   ” हाय री मेरी किस्मत…धन के लालच में मैंने क्या अनर्थ कर डाला…हीरे को त्याग कर पत्थर घर में ले आई..।” कहते हुए गायत्री जी चाय बनाते हुए रोने लगी और रोते-रोते बस अपनी किस्मत को कोसती जा रहीं थीं।            किशोरी गायत्री के पिता एक अध्यापक थे।उसकी माँ सीमित आय में घर चलाना बखूबी जानती … Read more

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