वक्त जवाब देता है – प्राची लेखिका : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : श्रुति स्कूल से लौटी ही थी। पड़ोस वाली करुणा आंटी (जो हर घर की खबर रखती थी) को उसने अपने घर में बैठा पाया। श्रुति नमस्ते करके निकालना ही चाह रही थी कि आंटी ने उसको चालाकी से अपने पास बिठा लिया। श्रुति पढ़ने लिखने में साधारण थी। घर के कार्य ठीक-ठाक कर लेती थी। आंटी यह बात अच्छी तरह जानती थी इसलिए उन्होंने श्रुति को नीचा दिखाने के लिए प्रश्न दागा, “श्रुति बेटा बड़े होकर क्या बनोगी”। श्रुति उनके किए गए अचानक प्रश्न से घबरा सी गई “उसने जल्दी से बोल दिया कि आंटी में बड़े होकर डॉक्टर बनूंगी” ।

इतना सुनते ही तो आंटी को बोलने का मौका मिल गया। तपाक से शुरू हो गई।”बेटा डॉक्टर बनने के लिए पढ़ना लिखना पड़ता है। औसत दर्जे के बच्चे डॉक्टर नहीं बना करते। डॉक्टर तो मेरी बेटी श्रेया ही बनेगी। जो पढ़ाई में स्कॉलर है। तुम ऐसा करना अस्पताल में नर्स की ही नौकरी कर लेना” ।

करुणा आंटी की कर्कश वाणी ने श्रुति का हृदय छलनी कर दिया। उस समय तो वह चुप रह गई है किंतु उसने मन ही मन ठान लिया कि वक्त जरूर जवाब देगा। श्रुति ने पक्की जिद ठान ली कि वह अब डॉक्टर ही बनेगी। पढ़ाई-लिखाई में औसत श्रुति अब मेहनत करने लगी। धीरे-धीरे नंबरों में और उसकी कुशलता में वृद्धि होने लगी। इंटर के बाद उसने कोचिंग भी ले ली नीट की तैयारी करने के लिए। प्रथम प्रयास में तो उसके कम ही नंबर आए, लेकिन उसने हार नहीं मानी। लगी रही अपने प्रयासों में। अगले वर्ष नीट की परीक्षा का जब रिजल्ट आउट हुआ तो उसका चयन एमबीबीएस के लिए अच्छे सरकारी कॉलेज में हो गया। श्रुति चली गई अपने नई दुनियाँ,में नई जिम्मेदारियां के साथ।

उधर करुणा आंटी की बेटी जो पढ़ने लिखने में स्कॉलर हुआ करती थी कॉलेज जाते ही उसकी संगति खराब हो गई। क्लब पार्टीज, उल्टे सीधे आवारा लड़कों लड़कियों से उसकी दोस्ती हो गई। पढ़ाई लिखाई में अब्बल रहने वाली श्रेया अब परीक्षा में फेल तक हो गई। संगति इतनी खराब कर ली उसने कि श्रेया किसी आवारा लड़के के साथ घर से ही भाग गई।

वक्त जवाब ऐसे देता है कि श्रुति एक मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सीनियर डॉक्टर है और श्रेया इसी अस्पताल में रिसेप्शनिस्ट की मामूली जॉब करती है। क्योंकि श्रेया के लिए पेट पालने के लिए काम जरूरी था।

सभी को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। किसी को भी नीचा नहीं दिखना चाहिए। समय का फेर कब बदल जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। हालांकि करुणा आंटी के द्वारा श्रुति का किया गया अपमान उसके लिए संजीवनी बूटी जैसा साबित हुआ। लेकिन फिर भी किसी भी व्यक्ति को बड़ा बोल नहीं बोलना चाहिए। कहते हैं ना “बड़ा गस्सा खा लो पर बड़ा बोल मत बोलो”।

आज करुणा आंटी को बहुत #शर्मिंदगी महसूस होती है अपने बड़बोलेपन की आदतों से। एक दिन करुणा आंटी की तबीयत अचानक से बहुत बिगड़ गई। उनको तुरंत शहर के बड़े अस्पताल ले जाया गया। श्रुति को वहां डॉक्टर के रूप में देखकर बह स्वयं को बड़ा #शर्मिंदा महसूस करती है कि जिस लड़की को नीचे दिखाने में उन्होंने कोई कसर ना छोड़ी वही लड़की आज उनका इलाज कर रही है और अपनी बेटी जिस पर उन्हें इतना नाज़ था, मामूली नौकरी कर कर अपना जीवन यापन कर रही है।

समय का फेर कैसे बदल जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। करुणा आंटी की आंखें नम है। रह-रह आंसुओं का सैलाब भी बाहर निकल रहा है।

अगर हम जवाब हाथों-हाथ ना भी दें तो वक्त जवाब जरूर देता है। कोशिश इतनी करो कि कामयाबियां शोर मचा दे।

#प्राची_लेखिका

पाँटरी सिटी खुर्जा

#शर्मिंदा

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