परीक्षा -लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बोर्ड परीक्षाएं पूरी लय में थीं ।बोर्ड परीक्षा का नाम ही काफी डर लिए हुए होता है तनाव लिए हुए होता है।विद्यार्थी के लिए भी और शिक्षक के लिए भी।दोनो की ही परीक्षा की घड़ी होती है।सुबह सुबह परीक्षा का समय और घरेलू कार्य का समय नेहा के दो नही चार हाथ लग जाते है जैसे।

समय की पाबंद नेहा बहुत अनुशासन प्रिय है।छात्र जगत में अपने सख्त मिजाज के कारण खडूस के विशेषण से नवाजी जाती है।

परीक्षा केंद्र पर फुर्ती से अपनी स्कूटी खड़ी करके  नेहा परीक्षा कक्ष से अपनी कक्ष ड्यूटी और फाइल लेकर सीधे अपने  नियत परीक्षा कक्ष में आ गई थी।इस वक्त तक उसे ये भान भी नही था कि आज उसकी भी परीक्षा है।

सभी विद्यार्थियों को पूरा पेपर अच्छे से पढ़कर ठंडे दिमाग से करने और किसी भी प्रकार की नकल सामग्री नही रखने की सख्त हिदायत देते हुए सरसरी नजर से सभी के डेस्क और आस पास की तलाशी ले ली थी उसने।फिर इत्मीनान से क्रमानुसार सभी परीक्षार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं में अपने सिग्नेचर करने का कार्य आरंभ कर दिया था साथ में सभी के प्रवेश पत्र भी चेक करती जा रही थी ।उसके साथी पुरुष पर्यवेक्षक भी दूसरी पंक्ति के परीक्षार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं में सिग्नेचर कर रहे थे।नेहा उन शिक्षक से अपरिचित थी ।नेहा इस स्कूल में परीक्षा ड्यूटी करने आई थी और यह उसकी प्रथम बोर्ड परीक्षा ड्यूटी थी।

काफी उत्साह और रोमांच दोनो ही भाव थे नेहा के अंदर।आते आते भाई ने ताकीद की थी नेहा प्राइवेट विद्यार्थियों का सेंटर है बहुत ज्यादा कड़कपन नही दिखाना समय अब बदल गया है। हां हां अब तू भी मेरी मां बन जा अपना काम देख मुझे मत समझा नेहा उससे तू तड़क कर आई थी।

अगले परीक्षार्थी की डेस्क पर वह जैसे ही पहुंची उसे आशंका हुई कि इसने कोई नकल सामग्री रखी है ।क्या छिपा रहे हो कुछ रखे हो क्या यथासंभव स्वर को आहिस्ता करते हुए नेहा ने उससे पूछा था। नहीं मैडम जी हमारे पास कुछ नहीं है चेक कर लीजिए ना आप अख्खड़ सा प्रत्युत्तर नेहा को असहज कर गया था।

देखो मैं फिर चेतावनी दे रही हूं अगर कोई अवांछित समाग्री ले आए हो तो अभी भी मुझे सौंप दो इसके बाद भी अगर कोई चुटका मिला तो उसकी शिकायत हो जायेगी कहते हुए नेहा ने ज्योही उसकी उत्तरपुस्तिका सिग्नेचर के लिए उठाई किसी गाइड बुक के दो पेज नीचे रखे मिल गए।

ये क्या है हड़क कर नेहा ने उससे पूछा तुम अभी तो कह रहे थे कि कोई सामग्री नही है तो फिर ये किसकी है बताओ..!!

मेरी है बस… अब बताओ आप क्या कर लोगी!! निहायत धृष्ठ जवाब नेहा की कल्पना से परे था।

एक पल को वह समझ ही नही सकी अब मैं क्या करूं..!! साथी पर्यवेक्षक की तरफ समर्थन के लिए उसने देखा तो वे नेहा को वहां से हट जाने का इशारा कर रहे थे। अवाक रह गई नेहा।उसने तुरंत उसका चुटका अपने हाथ में जब्त कर लिया ।देखो ये अंतिम चेतावनी है कहते हुए आगे बढ़ गईं।

उसके आगे बढ़ते ही उस परीक्षार्थी ने एक गाइड बुक ही निकाल ली और बहुत आराम से उसे खोल कर नकल करने लगा।साथी पर्यवेक्षक ये सब देख कर भी अनदेखा कर रहे थे।और शेष परीक्षार्थियों के चेहरे पर रोष साफ झलक रहा था।

नकल करने वाला छात्र पूरे आराम और लापरवाही से गलत काम कर रहा था ।अचानक नेहा ने अपने आपको उसके ठीक सामने पाया।

भाई ने ताकीद की थी समय बदल गया है इग्नोर करना सीखो।

यही इंगित करना चाहता था भाई शायद।समय कितना भी बदल जाए गलत काम सही तो नही हो जायेंगे।खुलेआम नियमो का उल्लंघन ..!! हम लोग यहां क्यों ड्यूटी पर है।लेकिन साथी पर्यवेक्षक नेहा को बराबर मना कर रहा था मानो कह रहा हो मत उलझिए जाने दीजिए गुंडा है ये।

नेहा को अपने सामने देख कर भी उसकी गतिविधि में कोई फर्क नहीं पड़ा।बल्कि अब वह नेहा की तरफ उपहास पूर्ण मुस्कान के साथ देख रहा था और नकल करना जारी था…  मानो चेतावनी दे रहा हो …मत उलझना मुझसे… पछताओगी।अधिकांश विद्यार्थियों की निगाहों में कौतूहल था  वे मजे ले रहे थे कि देखते है अब ये मैडम जी क्या करती हैं…।

नेहा के तन बदन में जैसे आग ही लग गई हो उसने फर्राटे से अपना हाथ बढ़ा कर उसकी गाइड बुक हथिया ली और झपाटे से उसकी शिकायत करने कक्ष से बाहर आने लगी।अरे मैडम रुक जाओ ये सही नही कर रही हो तुम पीछे से आती आवाज को अनसुनी कर रही थी वह।

कक्ष से बाहर आते ही साथी शिक्षक भी झपट कर आ गए अरे #ये क्या अनर्थ करने जा रही हैं मैडम आप !! क्या आपको इस लड़के के बारे में कुछ नही पता।यह गुंडा है पहले दिन से यही सब कर रहा है ।आप आज नई आई हैं आपको नही पता इसीलिए आपने इसे पकड़ लिया छोड़िए ना आपको भी क्या करना है जब अभी तक कोई नही पकड़ा तो आपको भी क्या करना है वह एकदम दृढ़ थे अपनी बात पर।

नेहा सदमे में थी।क्या जमाना आ गया है गलत करने वाला शेर हो रहा है और सही करने वाला मुंह छिपा रहा है!!एक मेरा जमाना था परीक्षा के दौरान अपने पीछे भी पलट कर देखना अपराध माना जाता था। शिक्षक की आंख के इशारे से ही भयभीत हो जाते थे इतना सम्मान और रौब रहता था शिक्षक का।और आज यह विद्यार्थी नकल करना अपना अधिकार समझ रहा है ।हम ऐसे डर रहे है जैसे नकल  पकड़ कर कोई अपराध कर रहे हैं।भ्रष्ट तरीके अनैतिकता और कुबोल आज ईमानदारी और नैतिकता पर हावी हो गए हैं।इनका शिकंजा इतना मजबूत है कि हम बाहर निकलने में पूर्णत अक्षम हैं या समय बदल रहा है बहाना गढ़ कर किनारे हो जाना चाहते हैं।

सीधी राह पर तो हर कोई चल सकता है और चलना भी चाहता है लेकिन राह अगर टेढ़ी हो जाए उलझाव पैदा हो जाए तो सुलझाने का दायित्व दुरूह हो जाता है।

अनर्थ तो अभी तक हो रहा था सर जो आप सब कर रहे थे मैं तो कुछ अर्थ पूर्ण कार्य ही करने जा रही हूं झिड़क दिया था नेहा ने।

मैडम आप दूर से आती हैं… महिला हैं सोच लीजिए.. उन्होंने तुरुप का पत्ता फेंका।

आप तो पुरुष हैं आपने यही सोचा ।अब मुझे कुछ सोचना ही नही है मैं तो जा रही हूं इसकी शिकायत करने।

किससे शिकायत करेंगी आप ।जो वहां परीक्षा कंट्रोल रूम में बैठे हैं।वे सब इससे मिले हुए हैं तभी तो इसकी हिम्मत बढ़ी है ।कोई आपकी बात पर कान नहीं देगा ।अच्छा है आप इरादा बदल दीजिए अब भी दृढ़ थे वह।

लेकिन नेहा भी जिद्दी थी।क्या कर लेगा मुझे मारेगा मार ले मैं तो जा रही हूं धड़कते दिल से पैर आगे बढ़ाए और सरपट कंट्रोल रूम की तरफ बढ़ गई …!आशंका और डर उसके मन को आंदोलित कर रहे थे अगर वास्तव में वहां भी किसी ने मेरी नही सुनी और इसी लड़के का पक्ष लेते रहे तब मैं क्या करूंगी ..!  संभावित बेइज्जती की परिकल्पना अपने कर्तव्य को ईमानदारी से निभाने के दृढ़ निश्चय को धराशाई करने को प्रयत्नशील हो गई थी ।…… फिर मैं ये ड्यूटी ही नही करूंगी देख लेना नैतिक दायित्व के प्रति संकल्पित हो वह जैसे ही कंट्रोल रूम के करीब पहुंची ठीक उसी समय एडी एम के नेतृत्व में एक फ्लाइंग स्क्वाड वहां आ पहुंचा।नेहा की तो हिम्मत बढ़ गई।तपाक से वह एडीएम के पास पहुंच गई उन्हें गाइड बुक दिखाते हुए सारा हाल बयान किया ..!

शाबाश मेडम इतने दिनो से मैं यहां आ रहा था सिर्फ इसी केस के लिए ।परंतु किसी ने इसकी शिकायत करने की हिम्मत नही की चलिए मैं आपके साथ चलता हूं आपने बहुत दिलेरी दिखाई।

सही नीयत हो और सही इरादे हों तो सहायता मिल ही जाती है….सफलता तय हो जाती है नेहा यही सोच रही थी।

कक्ष में पहुंचते ही वह लड़का उद्दंड हो गया नेहा से हाथा पाई पर उतर आया लेकिन अब उसकी उद्दंडता पुलिस की गिरफ्त में थी।

साथी शिक्षक अभी भी नेहा के संपादित कार्य का समर्थन करने में उहापोह की स्थिति में थे..एक बेखौफ कर्त्तव्यपरायण शिक्षक की तुलना में एक  बेखौफ उद्दंड गुंडानुमा छात्र के डर से वह ज्यादा प्रभावित थे या आतंकित थे शायद..!!  लेकिन

शेष परीक्षार्थियों की नजरों में नेहा के प्रति सम्मान और प्रशंसा के भाव बिना कहे ही स्पष्ट हो रहे थे।

एडीएम और उनकी टीम नेहा को शाबाशी दे रहे थे…. और नेहा अपने कर्तव्य निर्वहन की परीक्षा की घड़ी में उनके आकस्मिक आगमन और  समर्थन के लिए कृतज्ञता ज्ञापित कर रही थी। 

ये क्या अनर्थ कर डाला#

लतिका श्रीवास्तव

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