आवाज उठाना – डाॅक्टर संजु झा : Moral Stories in Hindi

New Project 37

गरीब परिवार की मातृहीन ऊषा शादी के बाद ससुराल आ गई। संपन्न ससुराल पाकर ऊषा को अपने भाग्य पर रश्क होता था।कुछ समय बाद ऊषा पति  अजय के साथ शहर आ गई। कम पढ़ी-लिखी ऊषा के लिए पति देवता समान था।वह  जी-जान से पति को खुश रखने की कोशिश करती,परन्तु यहाँ आकर उसे पति के … Read more

आखिरी फैसला – डाॅक्टर संजु झा : Moral Stories in Hindi

New Project 80

मनुष्य की जिन्दगी में कब कौन-सा मोड़ आकर उपस्थित  हो जाएँ और कौन-सा फैसला लेना पड़ जाएँ,कुछ  कहा नहीं जा सकता है।कथानायिका सरोज भी  आज इसी दोराहे पर खड़ी है।सरोज को उसके पिता बहुत प्यार करते थे।सभी भाई-बहनों में बड़ी सरोज पिता की अत्यधिक दुलारी थी।पिता हमेशा उसे रानी कहकर ही बुलाते थे। उसे देखकर  … Read more

भाग्यहीन – डाॅक्टर संजु झा : Moral Stories in Hindi

New Project 63

माता-पिता की दुलारी,सास-ससुर की प्यारी और दो बेटों की माँ सुमन मात्र 35 वर्ष की उम्र में भगवान को प्यारी हो गई। किसी ने सोचा भी न था कि इतनी खुबसूरत  और बड़े घर की बेटी होने के बावजूद   सुमन का भाग्य विधाता ने इतना खराब लिख दिया था।  नाम  अनुसार ही बचपन में … Read more

भगवान की लाठी में आवाज नहीं होती! – डाॅक्टर संजु झा : Moral Stories in Hindi

New Project 88

अपने घर में अकेली सरला जी बुखार से तड़प रहीं हैं।चार बेटों की माँ होने के बावजूद घर में कोई पानी नहीं देनेवाला है।वे उठकर खुद से पानी लेती हैं,कमजोरी के कारण धम्म से कुर्सी पर बैठकर मेड का इंतजार करने लगती हैं।कमजोरी के कारण बंद आँखों में उनका अतीत चलचित्र की भाँति घूमने लगता … Read more

ताली एक हाथ से नहीं बजती – डाॅक्टर संजु झा : Moral Stories in Hindi

New Project 44

नीता का आज बैंक में सिर भारी-भारी था,इस कारण अपने शाखा प्रबंधक को कहकर घर आ गई। घर आते ही थर्मामीटर लगाकर देखा तो सौ से ऊपर बुखार था।दो दिन से मेड भी नहीं आ रही थी।हिम्मत न होते हुए  भी उसने चाय बनाई और दो ब्रेड लेकर दवा खाने बैठ गई। किसी तरह दवा … Read more

किस्मतवाली – डाॅक्टर संजु झा : Moral Stories in Hindi

New Project 95

रम्या   एक  किस्मतवाली  लड़की है।दसवीं पास करते ही उसकी शादी हो गई  थी,परन्तु ससुरालवाले और पति की सहायता से वह आज इस मकाम पर पहुँची है।रम्या को आज भी गुजरे हुए दिन याद हैं।  रम्या एक छोटे से गाँव में अपने माता-पिता और चार भाई-बहनों के साथ  रहती थी।उसका रंग जरुर साँवला था,परन्तु उसकी … Read more

अपनी पगड़ी अपने हाथ – डाॅक्टर संजु झा : Moral Stories in Hindi

New Project 34

रमाकांत और उमाकांत दो भाई  थे।दोनों भाईयों में आपस में बहुत प्रेम था।बड़े भाई रमाकांत पढ़-लिखकर असाम में शिक्षक की नौकरी करने चले गए। उनका परिवार भी साथ रहता था।उनके माता-पिता छोटे बेटे के साथ गाँव में रहते। थे।छोटा उमाकांत गाँव में खेती-बाड़ी सँभालता था।छोटे भाई की पत्नी  कविता जबान की बहुत तेज थी।जब तब … Read more

बहूरानी – डाॅक्टर संजु झा : Moral Stories in Hindi

New Project 99

आज मैं एक ऐसी बहूरानी की कहानी लिख रही हूँ,जो सच्ची घटना से प्रेरित है तथा उनका जीवन अनुकरणीय है।जब मैंने 90 साल की उम्र में गोरकी  काकी की मौत की खबर सुनी थी,तो उनके अदम्य साहस और जीवट व्यक्तित्व के कारण मन  उनके प्रति श्रद्धा से भर उठा।उनकी कहानी यादों में विचरण करने लगी। … Read more

अफसोस – डाॅक्टर संजु झा: Moral Stories in Hindi

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अपने घर की बालकनी में बैठी उमा एकटक सूरज को निहार रही थी।उसकी जिन्दगी की तरह शाम का सूरज ढ़लते दिन का आभास करा रहा था।उसकी जिन्दगी का सूरज भी तो बेवफा निकलकर रात के अंधेरे में गुम हो गया। उमा को सदैव अफसोस रहेगा कि उसकी खुद की गलती के कारण ही उसका प्यार … Read more

खुशियों के दीप – डाॅक्टर संजु झा  : Moral Stories in Hindi

New Project 91

नीरजा का वर्षों पुराना सपना आज सच होने जा रहा है।हर्षातिरेक से नीरजा के पाँव जमीं पर नहीं पड़ रहे हैं।उसके जीवन  में खुशियों के दीप जगमगा उठे हैं।उसके बेटा-बहू गृहप्रवेश की पूजा पर बैठे हैं।पंडितजी की मंत्रोच्चार की ध्वनि वातावरण में पवित्रता का एहसास करा रही है।एक आम आदमी के लिए अपने घर का … Read more

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