जीवनसाथी के साथ न होने का दर्द कोई नहीं बाँट सकता! (भाग 2)- डाॅ संजु झा: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : मनीष ने उसे अपने और करीब लाते हुए कहा -” निभा!मैं भी तुम्हारे और बच्चों के बिना नहीं रह सकता हूँ,परन्तु इस उम्र में माँ-पिताजी अकेले कैसे रहेंगे?मेरे भाई की अभी पढ़ाई पूरी नहीं हुई है।बहन की भी शादी करनी है।सबसे बड़ी बात बच्चे यहाँ अच्छे स्कूल में पढ़ाई कर … Read more

जीवनसाथी के साथ न होने का दर्द कोई नहीं बाँट सकता! (भाग 1)- डाॅ संजु झा: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कभी अपने लिए  कुछ पल की चाहत  रखनेवाली निभा  को आज अकेलेपन ने अपनी बाँहों में कैद कर लिया है।कभी उसका घर सास-ससुर, देवर-ननद ,पति और बच्चों की  हँसी-ठिठोली से गूँज करता था,परन्तु आज वही दीवारें भी उसकी तरह गुमसुम पड़ी हैं।बेटी की शादी हो चुकी है,बेटा काॅलेज गया हुआ  … Read more

पहचान (भाग 2)- डॉ संजु झा  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : मेरे विरोध करने पर मुझपर हाथ उठा दिया।थप्पड़ की गूँज मेरे शरीर से ज्यादा मेरी अंतरात्मा को बेध रही थी।इच्छा तो हो रही थी कि मैं भी पलटकर उसी तरह झन्नाटेदार थप्पड़ से जबाव दूँ,परन्तु संस्कारों की बेड़ियाँ मुझे जकड़ी हुईं थीं।इतना सब होने के बावजूद पति का रात में … Read more

पहचान (भाग 1)- डॉ संजु झा  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : मई महीने की ऊमस भरी गर्मी से तन और मन दोनों  में छटपटाहट और बैचैनी भरी हुई थी।।आसमान में सुबह से सूरज बादलों के साथ आंख-मिचौली खेल रहा था।कभी सूरज  बादलों की ओट में जाकर बिल्कुल छुप जाता और कभी अचानक से बादलों की ओट से निकलकर सारी पृथ्वी को … Read more

खानदान ( भाग 4 ) – डॉ संजु झा  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : धीरे-धीरे मुझे भी समझ में आने लगा कि मैं घर नहीं बल्कि इसी माहौल के लिए  पैदा हुआ हूँ।इसी कारण ईश्वर ने मुझे अपूर्ण बनाया है।फिर मैं सोचता कि घर पर तुम्हारे सिवा मेरा है ही कौन।मुझे तो घर में और कोई  पसन्द नहीं करता है।सभी की तिरस्कृत नजरें और … Read more

खानदान ( भाग 3 ) – डॉ संजु झा  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कमला का तो बेटे के लिए रो-रोकर बुरा हाल था।उसे ऐसा महसूस हो रहा था ,मानो किसी ने उसका कलेजा काटकर निकाल लिया हो।दस साल के बेटे को भी वह छोटे मासूम की तरह सीने से चिपकाए नजरों के सामने रखती थी।उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि पलक झपकते … Read more

खानदान ( भाग 2 ) – डॉ संजु झा  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कमला चुपचाप पति और सास की कटू बातें सुनकर लेती,पर खुद से बच्चे को कभी भी अलग नहीं करती।वह मन -ही-मन सोचती -” मैंने इस बच्चे का नाम अशोक रखा है।इस कारण  यह बच्चा किसी को शोक नहीं दे सकता है।फिर  मैं अपने कोखजाए के लिए शोक क्यों मनाऊँ?” समय … Read more

खानदान ( भाग 1 ) – डॉ संजु झा  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कभी-कभी हम जिस बच्चे को खानदान का चिराग समझते हैं,वही खानदान की प्रतिष्ठा में कलंक लगा देते हैं और जिसे खानदान का कलंक समझते हैं,वही  अपने सत्कर्मों से माता-पिता की जिन्दगी को रोशन कर देते हैं।प्रस्तुत निम्नलिखित कहानी इसी  विषय से सम्बन्धित है। कमला प्रसव पीड़ा से बेहाल थी।पहले से … Read more

आत्मग्लानि – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : – आज रेखा जी स्तब्ध-सी बैठी हुईं थीं।जिस प्रकार बाँध ढ़ह जाने से पानी का बहाव और तेज हो जाता है,उसी प्रकार उनकी अंतरात्मा आत्मग्लानि के समंदर में डूबकर छटपटा रही थी।उनके अंतर्मन में इतनी आत्मग्लानि महसूस हो रही थी कि  इच्छा हो रही थी कि धरती मैया फट जाएँ … Read more

आशीर्वाद – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

मनुष्य का जीवन पल-पल परिवर्त्तनशील  है।कभी तो उसकी जिन्दगी में निराशा का गहन तिमिर छा जाता है तो कभी ईश्वर के आशीर्वाद स्वरुप उसकी झोली खुशियों से भर जाती है।आज विभा की वर्षों की ख्वाहिश पूरी हो गई है।उसके जीवन से निराशा के बादल छँट  चुके हैं।आज के सूरज का उजियारा उसके जीवन में आशीर्वाद … Read more

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