मुझसे पहले आपका हक है -हेमलता गुप्ता Moral Stories in Hindi

पापा …मुझे ₹3000 दीजिए ना, आपको पता है ना मैंने वह इतना सुंदरलहंगा देखा था, पर मैं उस दिन ले नहीं पाई थी और मुझे आज वह चाहिए! हां बेटा.. क्यों नहीं.. तू यह ₹5000 रख ले और तुझे और भी कुछ सामान चाहिए तो वह भी ले लेना! और कपिल जी ने अपनी बेटी को₹5000 पकड़ा दिए! तभी.. पापा.. जब मैं पैसे मांगता हूं तो 5000 की जगह 2000 मिलते हैं और जब दीदी पैसे मांगती हैं तो तीन की जगह 5000 देते हो,

पापा आप हम दोनों मे भेदभाव करते हो, आप दीदी की  हर जिद पूरी करते हो, उन्हें कभी भी मना नहीं करते, मैं जब भी आपसे पैसे लेता हूं आप मुझ से पूरा हिसाब मांगते हो, दीदी से आपने आज तक हिसाब नहीं मांगा! हां बेटा… वह इसलिए क्योंकि मुझे पता है तेरी दीदी पैसों का कभी भी गलत इस्तेमाल नहीं करेगी और बेटा एक बार ध्यान में रख, जब तक बेटी अपने पापा के पास है तब तक हमें कोशिश करनी चाहिए

कि उसकी हर इच्छा पूरी की जाए, अपने मायके में ही तो बेटी अपनी इच्छाएं और अपनी जिद् पूरी कर सकती है, क्या पता आगे ससुराल कैसा मिले? वहां कोई इसकी जिद्द पूरी करने वाला ना मिला तो.. और बेटा… तू भी एक बात ध्यान रखना मेरे बाद अपनी दीदी को कभी भी किसी चीज के लिए मत तरसाना! जी पापा.. मैं तो ऐसे ही मजाक कर रहा था, क्या मुझे अपनी दीदी की खुशी प्यारी नहीं है! लक्ष्मी बिन मां की बच्ची थी

जो अपने पापा और भाई के साथ बहुत खुश थी, हालांकि कभी-कभी सभी बच्चों  की मांओ को  देखकर उसका भी मन अपनी मां के लिए तरसता था किंतु भगवान की मर्जी के आगे तो कुछ नहीं हो सकता, लेकिन उसके पापा उसे बहुत ज्यादा प्यार करते थे उसकी आंख में एक आंसू नहीं देख सकते, उसकी इच्छा उसके कहने से पहले ही पूरी हो जाती थी और यही लक्ष्मी का छोटा भाई नकुल भी करता था!

कुछ समय पश्चात लक्ष्मी विदा होकर अपने ससुराल आ गई! वैसे तो ससुराल बहुत अच्छा था पर एक लड़की शादी के बाद बहुत समझदार हो जाती है, मासूमियत और अल्हडपन तो वह अपने मायके में ही छोड़ आती है! संयुक्त परिवार में रहने की वजह से वह कभी भी अपने पति से भी  कोई जिद्द नहीं करती, कई बार किसी चीज की इच्छा भी होती तो वह उसे दवा जाती! अब जब कभी पीहर भी आती,

तब भी अपनी कोई भी इच्छा अपने पापा या भाई से नहीं कहती! शादी के बाद लड़कियों मैं इतनी समझदारी कहां से आ जाती है!  जहां  इतने साल बचपन गुजारा,  उसी  घर पर उसे अपना अधिकार नजर नहीं आता! खैर… लक्ष्मी की शादी के 3 साल बाद नकुल की भी शादी हो गई, नकुल की पत्नी प्रिया बहुत समझदार और संस्कारी लड़की थी! इस बार रक्षाबंधन पर लक्ष्मी 4 दिन पहले ही मायके आ गई!

एक दिन नंद भाभी दोनों खरीदारी करने के लिए बाजार चली गई वहां लक्ष्मी को एक साड़ी बार-बार अपनी और आकर्षित कर रही थी किंतु उसकी कीमत ₹7000 थी ,अपनी भाभी से उसे कह ने की हिम्मत नहीं हुई और थोड़ी बहुत खरीदारी करके वह घर आ गई, तब  पापा ने पूछा.. बेटा सारा सामान ले आई बाजार से, तब उसने कहा.. जी पापा! किंतु लक्ष्मी का मन बार-बार उस साड़ी के ऊपर भटक रहा था,

नकुल ने अपनी पत्नी से कह दिया था दीदी को जो भी पसंद आए वह उसे दिला देना और प्रिया ने ऐसा ही किया था, किंतु लक्ष्मी  इतनी महंगी साड़ी खरीदने की भाभी से हिम्मत नहीं कर पाई ! रक्षाबंधन वाले दिन प्रिया अपने भाई के हाथों में राखी बंधने लगी तब नकुल बोला… दीदी आज कोई अपना गिफ्ट नहीं मांगोगी.? तब लक्ष्मी ने कहा.. मेरा भाई हमेशा ही मुझे इतना सब कुछ देता है तो मांगने की क्या जरूरत

और भैया मेरे पास कोई चीज की कमी थोड़ी है, आप जो भी दोगे मैं उसे खुशी से स्वीकार करूंगी! भाई भाभी को राखी बांधने के बाद जब भाभी ने प्रिया को वही साड़ी गिफ्ट में दी और साथ ही उससे मिलती हुई मैचिंग की ज्वेलरी इत्यादि समान भी दिया तो लक्ष्मी तो एकदम से सरप्राइज हो गई, उसे विश्वास ही नहीं था जिस साड़ी को वह मन ही  मन पसंद कर रही थी वह उसे ऐसे मिल जाएगी!

तब उसने आश्चर्य से अपनी भाभी की और देखा! तब प्रिया ने कहा… दीदी क्या हमारे रिश्तों की डोरी इतनी कमजोर है कि आप अपने मन की बात भी मुझसे ना कर पाइ, आपके पापा और भैया आपकी हर इच्छाएं पूरी करते आए हैं, तो भला मैं कौन होती हूं उनकी इच्छाओं को मना करने वाली! दीदी.. आपको पता है मेरे मायके में अगर मेरा भाई मेरे ऊपर ₹10 भी खर्च करता है तो मेरी भाभी को बहुत बुरा लगता है

और घर में क्लेश ना हो इस वजह से मम्मी पापा भी कुछ नहीं कहते, लेकिन मैंने तभी सोच लिया था की शादी के बाद अगर मेरी ननंद होगी तो मैं उन्हें उनकी इच्छाएं कभी नहीं मारने दूंगी,  जैसा हक वह अपने पापा भाई पर शादी से पहले रखती थी  वैसा ही हमेशा रहेगा ! और हां.. अगर वह अपनी भाभी के ऊपर भी अपना हक जमाएंगी, तो मुझे बेहद खुशी होगी और दीदी मेरा ससुराल तो यह बाद में है उससे पहले तो यह आपका घर है,

मुझ से पहले आपका हक है! मुझे पता चल गया था कि आपको वह साड़ी  कितनी पसंद आई है और कल शाम को जाकर मैं और तुम्हारे भैया  बाजार जाकर सारा सामान ले आए! दीदी मैं चाहती हूं आपकी मायके से बंधी  रिश्तो की डोरी कभी न टूटे, आप जैसे पहले अपनी इच्छाएं पूरी करवाती थी उसी तरह से आगे भी आप ऐसा ही करेंगी, आप मुझसे वादा कीजिए! हां..

मैं आपकी मां की जगह तो नहीं ले सकती किंतु कोशिश करूंगी की आपकी अच्छी भाभी बन सकूं, दीदी मैं हमेशा आपका चहकता हुआ मायका बनाए रखूंगी और आप भी ऐसा ही करना! मायके से बंधी “रिश्तो की डोरी कभी टूटे ना”.. इस बात का आप और मैं दोनों ध्यान रखेंगे और ऐसा कहकर दोनों ननद भाभी गले लग गई और कपिल जी को  आज अपनी बहू पर फक्र महसूस हो रहा था!

  हेमलता गुप्ता स्वरचित 

  (# रिश्तो की डोरी टूटे ना)

हेमलता गुप्ता

3 thoughts on “मुझसे पहले आपका हक है -हेमलता गुप्ता Moral Stories in Hindi”

  1. जो बाजार जाकर खुद से ३००० का लंहगा खरीद सकती है, वो बिन मां की बच्ची है और छोटा भाई ! क्या वो बिन मां का नहीं है ?

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