नाराजगी की सीमा – अंजना ठाकुर  : Moral Stories in Hindi

आज विधि फिर गुस्से मै घर छोड़ कर आ गई थी उसे यकीन था की राजेश उसे मनाने आयेगा और उसे और बच्चे को वापस ले जायेगा ।

पर इस बार उसे आए दो दिन हो गए राजेश का न कोई फोन आया ना वो खुद गुस्से मै विधि ने भी बात नहीं करी ।

आज पांचवे दिन अदालत से तलाक का नोटिस आया जिसे देखकर विधि के पैरों तले जमीन खिसक गई उसने राजेश से फोन पर बात करी तो उसने गुस्से मै कहा की रोज रोज मैं ये बर्दास्त नहीं कर सकता है तुम्हे पता भी है ,,;तुम्हारे जाने के बाद मेरी तबीयत अचानक से खराब हो गई दो दिन अस्पताल मै भर्ती रहा पर तुमने एक बार भी फोन करना ज़रूरी नही समझा हर बार तो मैं आ ही जाता था तुम्हें मनाने जबकि गलती तुम्हारी भी रहती है पर नाराजगी की भी कोई सीमा होती है

तुम्हे मेरी जरूरत ही नहीं है ।

विधि ने बहुत समझाया मिलने भी गई लेकिन इस बार राजेश जिद्द पर अड़ गया उसके स्वाभिमान को चोट पहुंची थी और दो पल के गुस्से से प्यार भरा रिश्ता बिखर गया अब विधि को अपनी मां की बात याद आ रही थी की छोटी छोटी बात पर यूं मायके आना सही नहीं कोई भी बात है तो साथ बैठकर सुलझाओ पर लाड़ मैं पली विधि मां को ही सुना देती आपको मेरा मायके आना अखर रहा है कोई हमेशा के लिए थोड़ी रहूंगी ।क्योंकि राजेश आ ही जाता था और ये बात विधि जानती थी ।

विधि और राजेश की लव मैरिज हुई थी दोनो एक दुसरे को बहुत प्यार करते थे ।राजेश समझदार इंसान है वहीं विधि थोड़ी जिद्दी ।शादी के एक साल बाद दोनों मैं किसी बात को ले कर बहस हो है गुस्से मै विधि मायके आ गई ।थोड़ी देर बाद राजेश बात खत्म कर मना कर ले गया अब विधि को लगने लगा ये सही है इस से राजेश ही अपनी गलती मान लेता है यदि खुद की भी हो फिर एक बच्चा हो गया

राजेश का प्यार और बढ़ गया ।और विधि का मायके आना भी ।

ऐसे ही शादी को चार साल निकल गए आज सुबह भी नाश्ते को ले कर बहस हो गई राजेश को उपमा पसंद नही है और विधि जानबूझ कर बार बार बना देती है ।राजेश ने इतना कहा की कुछ और बना लिया करो जब मेहनत करती ही हो ।विधि बोली मेरी पसंद नही चल सकती क्या अगर मेरी पसन्द का खा लोगे तो क्या हो जाएगा।

तो कितनी बार खा लेता हूं मैं खुद तुम्हे परेशान नहीं करना चाहता पर अब तुम अति करने लगी हो सब काम तुम्हारे हिसाब से ही हो ऐसा जरूरी तो नहीं बात बढ़ गई विधि मायके आ गई पीछे से राजेश का ब्लड प्रेशर ज्यादा बढ़ गया तो दो दिन एडमिट रहा और वो उम्मीद कर रहा था की विधि फोन तो करेगी ही लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

और नतीजा ये हुआ कि एक बसा बसाया परिवार बिखर गया अब विधि को अफसोस हो रहा है लेकिन अब देर हो गई ।

रिश्ते मैं तकरार तो होती रहती है लेकिन बात इतनी नही बढ़ने देना चाहिए की रिश्ता ही खत्म हो जाए रिश्ते बचाने के लिए जरूरी है की खुलकर बात करी जाए या किसी अनुभवी से बात कर के अपनी परेशानी का हल निकाले और गुस्से मै किसी को अकेला छोड़ देना कभी कभी घातक परिणाम देता है ।इसलिए नाराजगी ठीक है लेकिन एक सीमा जरूरी है ।।ऐसे मेरे विचार है ….

स्वरचित

अंजना ठाकुर 

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