एक बार फिर (भाग 34 ) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि प्रिया रिनी खन्ना से मिलने ब्लैक पेपर रेस्तरां जाती है जहां रिनी खन्ना उसे शेखर के खिलाफ बहुत कुछ कहती है। प्रिया उसको करारा जवाब देती‌ है।

शेखर प्रिया को लेकर निकल जाता है।

अब आगे-

शेखर तेजी से गाड़ी ड्राइव कर रहा था,

शेखर! शाम गहरा रही है, चलिए न वापस चलते हैं। प्रिया की घबराहट बढ़ने लगी।

ठंड बहुत बढ़ गई है मैं शॉल भी नहीं लाई हूं।

शेखर खामोश था।

शेखर कुछ कहिए न ???

हम कहां जा रहे हैं???

शेखर ने उसकी तरफ देखा और नजरें हटा ली। उनकी गाड़ी अब ऊपर की तरफ जा रही थी।

शेखर गाड़ी वापस करें मुझे घर जाना है। शेखर की चुप्पी उसे डरा रही थी। उसके दिमाग में विचार चलने लगा कहीं रिनी सही तो नहीं थी??

फिर उसने फ़ैसला किया वो शांत रहेगी उसे देखना चाहिए कि शेखर क्या करता है??

लगभग आधे घंटे बाद गाड़ी एक जगह पर रूक गई। उसने इधर उधर देखा तभी उसने रोशनी में जगमगाती हुई नेम प्लेट दिखाई दी “बाधवाज”

तभी शेखर ने गाड़ी से उतर कर उसकी साइड का डोर खोल दिया।

वह बाहर निकल कर खड़ी हो गई।

गेट कीपर आया,

गुड इवनिंग सर,गुड‌ इंवनिग मैम

ड्राइवर कहां है?? उससे गाड़ी पार्क करवाओ।

वह चुपचाप आगे बढ़ गया। प्रिया पीछे पीछे अंदर आ गई।

बेहद शानदार, इंडो वेस्टर्न कला का अद्भुत संगम थी ये विला

बहुत बड़ा हॉल बिग साइज रॉयल एंटीक सोफा, ऊंचाई पर खूबसूरत झूमर, ड्राइंगरुम की शान बढ़ा रहा था।

दीवारों पर मार्डन कलर थीम थी।

दाहिनी तरफ मंदिर में गणेश जी की संगमरमर की मूर्ति लगी थी।

शेखर ने उसका हाथ कोमलता से पकड़ लिया। आओ तुम्हें दिखाता हूं।

अंदर लॉबी में डाइनिंग हाल था। डायनिंग टेबल के चारों तरफ दस चेयर्स लगी हुई थी।

‌फोर बेडरूम नीचे थे। उनकी साज-सज्जा से मालिक की र‌ईसी टपक रही थी।

स्टेयर्स चढ़कर ऊपर बिग हॉल था उसमें साइड पर बहुत बड़ा बार था। ये छोटी गेदरिंग्स के लिए इस्तेमाल होता है,

शेखर ने कहा।

ऊपर भी ‌थ्री बेडरूम्स विद अटैच्ड वाशरूम थे। उनमें से शेखर ने एक रूम खोला ये मेरा रूम है उसको देखते हुए प्रिया उसके इंटीरियर में खो गई। उसे ऐसे लग रहा जैसे वह स्वप्न लोक में पहुंच गई हो।

क्या हुआ??? शेखर ने उसे हौले से छुआ। उसका ध्यान टूटा तो उसने देखा कि डोर बंद था।

अब वह शेखर की बाहों की गिरफ्त में थी।

शेखर ने हौले से उसके कान पर चूमते हुए उसकी आंखों में झांका।

हर चीज के लिए शुक्रिया मेरी जान, तुम्हारा बहुत शुक्रगुजार हूं।

आज तुमने मुझे बहुत बड़े डर से बाहर निकाल दिया।

रिनी खन्ना से इस रिश्ते को बचाने के लिए “थैंक्यू सो मच”

आज मेरे लिए बहुत बड़ा दिन है। “टू डे इज अ बिग सैलीब्रेशन डे”

प्रिया के डीप बैकलेस ब्लाउज से झांकती उसकी पीठ को शेखर के हाथ सहलाने लगे।

प्रिया सिहर उठी।

ये साड़ी उफ! इसमें तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो। शेखर ने उसके पल्लू का पिन खोलने की कोशिश की।

शेखर! आप क्या कर रहे हैं??? ये ठीक नहीं है।

शेखर के हाथ कसते ही जा रहे थे। उसने प्रिया के होंठों को चूम लिया।

“प्लीज” आज नहीं आज मुझे मत रोको डार्लिंग

शेखर होश में आइए, छोड़िए मुझे उसके आंसू निकल पड़े।

शेखर जहां आपने इतना इंतजार किया है थोड़ा और सही

मुझे आपसे डर लग रहा है।

प्रिया ने उसे पीछे धकेलने की कोशिश की‌ परन्तु शेखर पर तो जैसे जुनून सवार था।

उसकी मजबूत बांहों में प्रिया बेबस हो गई।

मैं और इंतजार नहीं कर सकता प्रिया,बस और नहीं

तुम मेरी हो।

सिर्फ मेरी

आज मैं तुम्हें पूरी तरह से पाना चाहता हूं वह उसे बेतहाशा चूमने लगा।

प्रिया की नेक पर लव बाइट उभर आया।

बस करें शेखर प्रिया ने मुंह फेर लिया छोड़ें मुझे वह जोर से चिल्ला पड़ी।

उसके चिल्लाने से शेखर का ध्यान भंग हुआ उसने अपने हाथ खोल दिए।

प्रिया पीछे हट गई उसकी साड़ी सिलवटों से भर गई थी।

उसने अपने आंसू पोंछे, बिखरे हुए बालों को समेटा और डोर ओपन कर तेजी से बाहर निकल गई।

उसने पीछे मुडकर शेखर की तरफ गुस्से से देखा, शेखर उसके पीछे चल कर सीढ़ियों से नीचे उतर गया।

रूको! उसने धीरे से कहा तमाशा मत करो सर्वेंट देख रहे हैं।

प्रिया ने अपनी चाल धीमी कर दी। शेखर ने गाड़ी निकाली और प्रिया के आगे रोक दी।

प्रिया इधर उधर देख कर गाड़ी में बैठ गई।

शेखर ड्राइव कर रहा था, प्रिया खामोश थी। उसने सीट पर सिर टिका कर आंखें बंद कर ली।

शेखर से कुछ कहते नहीं बन रहा था।

उसने बहुत मुश्किल से साहस जुटा कर कहा “सॉरी”

आपको अफसोस क्यों हो रहा है आप तो यही करना चाहते थे?? प्रिया ने बिना उसकी तरफ देखे हुए कहा।

आपको सिर्फ अपनी फ्रिक है।

शेखर आपके लिए मैं क्या हूं?? उसका स्वर बुझा हुआ था।

तुम मेरे लिए सब कुछ हो।

सोच रही हूं कि कहीं रिनी खन्ना सही तो नहीं थी।

ये सुन कर शेखर ने झटके से गाड़ी रोक कर साइड में लगा दी। क्या कहा तुमने???

रिनी खन्ना का जिक्र हम दोनों के बीच में कभी नहीं होना चाहिए शेखर का स्वर तेज हो उठा।

प्रिया बाहर देखने लगी।

शेखर ने उसके चेहरे को धीरे से अपनी तरफ घुमाया।

रिनी खन्ना को भूल जाओ, वो अब नहीं है।

शादी से पहले आप…….. उसने कहा था कि आप मुझे

इस्तेमाल करके छोड़ देंगे।

आपने भी तो सुना होगा प्रिया की आंखें भर आई।

शेखर तड़प उठा, नहीं ये कभी नहीं होगा।

तुम ऐसा सोच रही हो तो इसमें गलती मेरी है मुझे तुम्हें यहां नहीं लाना चाहिए था।

“आई लास्ट माई सेल्फ कंट्रोल”

प्रिया ने धीरे से अपना हाथ छुड़ा लिया।

अच्छा! नाराजगी छोड़ो अगर तुम कहोगी तो अब सीधे शादी के दिन ही नजर आऊंगा।

दी का घर आ गया था।

प्रिया गाड़ी से नीचे उतर गई। शेखर उसके पीछे पीछे अंदर चला आया।

दी उसे देखकर मुस्कुराते हुए बोलीं, प्रिया मैंने तुम्हें फोन किया था अब पता चला कि तुम कहां बिजी थी।

सॉरी दी

शेखर ने आगे बढ़ कर दी के पैर छुए।

शेखर अब डिनर करके ही जाना।

नहीं दी चलता हूं उसने प्रिया की तरफ देखा।

दी ने प्रिया की तरफ देख कर उसे इशारा किया।

कॉफी पीकर जाइएगा प्रिया ने कहा।

नहीं चलता हूं। उसके जाने के बाद प्रिया दी के पास आ ग‌ई दी उसे गौर से देख रही थी क्या हुआ???

तबीयत ठीक है तुम्हारी ?? दी कुछ नहीं थोड़ा थक गई हूं,कहां ग‌ई थी?? दी कुछ काम था??

आज डिनर नहीं करूंगी।

प्रिया ने अपने रूम में जाकर फ्रैश हो कर चेंज किया फिर मिरर के सामने खड़ी हो गई उसने अपने को ध्यान से देखा। गले पर पड़ा निशान देख कर उसे शेखर का‌ ख्याल आ गया।

उसके मन-मस्तिष्क में तरह तरह के विचारों का तूफान चल रहा था।

काफी देर की कशमकश के बाद वह नींद के आगोश में चली गई।

उधर रिनी बहुत ज्यादा ड्रिंक कर चुकी थी।

विक्रांत खन्ना वापस लौटा रिनी को देख कर वह समझ गया।

उसने ठंडे लहजे में कहा तो कैसी रही तुम्हारी मीटिंग??

मीटिंग “माई फुट” “शी इज इम्पॉसिबल” वह क्रोध में फट पड़ी।

पता है भाई शेखर ने सही कहा था कि उसे मिलोगी तो खुद समझ जाओगी।

तुम्हारे सबूतों का क्या हुआ???

उसने उन्हें मेरे मुंह पर मार दिया। मेरे सबूत किसी काम नहीं आए

अब आगे क्या प्लान है???

भाई आपने सही कहा था कि शेखर जा चुका है। मुझे छोड़ दिया उसने वह फफक-फफक कर रो पड़ी।

ये तो बहुत पहले हो चुका था तुम्हें अब समझ आया।

अपनी जिंदगी न‌ए सिरे से शुरू करो मैं तुम्हारे साथ हूं। विक्रांत ने रिनी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।

चलो बहुत पी चुकी हो अब उठो तुम्हें तुम्हारे रूम में छोड़ देता हूं।

उसने सहारा देकर उसे उसके रूम में पहुंचा दिया।

शेखर घर पहुंच चुका था। वह काफी परेशान था क्योंकि आज उसने प्रिया को हर्ट किया था।

डिनर में उसने सिर्फ सूप लिया।

फिर वह टैरेस पर चला गया। टहलते हुए उसने समर को फोन किया।

एक बार फिर (भाग 35 )

एक बार फिर (भाग 33 )

©® रचना कंडवाल

6 thoughts on “एक बार फिर (भाग 34 ) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi”

  1. Hi, Thanks for your story, it’s very interesting & surprise for what nest happened in story..
    Please send next party in two days if possible.

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