दो पल के गुस्से में प्यार भरा रिश्ता बिखर जाता है – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

करवटें बदलते हुए आधी रात बीत चुकी है… नींद आंखों से कोसों दूर है.. किसी को कमजोरी बनाना या आदत बनाना अच्छा नहीं होता ये आज खुशी को समझ में आ रहा था…

                      मनोज कितने निष्ठुर हैं… शादी के बाद नौ महीने की ट्रेनिंग पर जाते वक्त मेरे आंसू देखकर मनोज ने मुझसे वादा किया अब हम कभी भी नौ दिन भी अलग  नही रहेंगे…

                                कितने प्यारे दिन थे वो जब हमारी नई नई शादी हुई थी…

                          बड़े पापा की बेटी निधि दी हम भाई बहनों में सबसे बड़ी थी… उनकी शादी तय होते हीं हमारी प्लानिंग शुरू हो गई.. मैं एमएससी फाइनल ईयर में थी.. हर फंक्शन के लिए ड्रेस मैचिंग ज्वेलरी और न जाने क्या क्या….

                     शादी का बहु प्रतिक्षित दिन भी आ गया…

बारात लगने के बाद जयमाला के समय हमारी नजरें चार हुई… पता नही मनोज के व्यक्तित्व में क्या सम्मोहन था कि मैं अपना दिल पहली नजर में हीं हार गई…

                   और मनोज की भी वही स्थिति थी… मनोज निधि दी के ममेरे देवर थे.. आर्मी में कैप्टन के पोस्ट पर थे.. एक बहन और एक भाई मम्मी पापा यही उनकी दुनिया थी.. कितनी लड़कियों की तस्वीर रिजेक्ट कर चुके थे… पर मेरी खूबसूरती  शोखी और चुलबुलापन उन्हे भा गया था और दिल हार बैठे थे…

                       शादी खूब अच्छे से संपन्न हो गई.. दीदी के विदाई के वक्त मैं खूब रोई… दीदी से जुदा होने के दुख के साथ मनोज से जुदा होने का दर्द.. जाते जाते मनोज ने धीरे से कहा जल्दी हीं मैं तुझे ऐसे हीं विदा करा के ले जाऊंगा…

                                   चार महीने तक हमारी फोन से बातचीत होती रही और फिर एक दिन अपनी मम्मी पापा के साथ मनोज मेरा हाथ मांगने घर तक आ गए..

                   घर बैठे इतना अच्छा रिश्ता पाकर मम्मी पापा भी धन्य हो गए..

और मैं मनोज की दुल्हन बन ससुराल आ गई…

                     मनोज को नौ महीने की ट्रेनिंग के लिए जाना था… मैं रो रोकर बेहाल थी तभी मनोज ने वादा किया कि अब हम कभी अलग नहीं रहेंगे…

                                 और आज मनोज का व्यवहार मुझे अंदर तक आहत कर दिया… छोटी सी बात बढ़ते बढ़ते काफी बढ़ गई मनोज ने मुझे जाहिल गंवार और न जाने क्या क्या कहा तू मेरे लायक हीं नहीं थी … मैंने भी गुस्से में कह दिया तुम हीं आए थे मेरे दरवाजे पर हाथ मांगने मैं नहीं गई थी…

                       मनोज ने हाथ उठाना चाहा पर फिर अपने आप पर कंट्रोल कर पैर पटकते और चिल्लाते हुए कमरे से बाहर आ गए.. और हम दोनो समझ भी नही पाए कि #दो पल के गुस्से में प्यार भरा रिश्ता बिखर जाता है #

                      बॉन चाइना का डिनर सेट डाइनिंग टेबल पर से उठा के पटक दिया… मेरा गुस्सा उसी पर उतारा…

                    और फिर हम दोनो अलग अलग कमरों में चले आए..

              शीला खाना बना के हॉट पॉट में रख गई है पर खाना वैसे के वैसे हीं पड़ा रहा…

                      मैं उनकी पत्नी हूं मेरा भी आत्म सम्मान है प्यार करने का अर्थ स्वाभिमान को खत्म करना नही होता.. ये मनोज को समझना चाहिए…. नही मैं बिल्कुल भी पहल नहीं करूंगी…

                        बार बार नजरें क्यों दरवाजे की तरफ जा रही है… हल्की आहट पर भी लगता है… मुझे मनोज का इंतजार क्यों है…

                        माथे पर होठों का स्पर्श पाकर अचानक उठ बैठती हूं..

                         मुझे माफ कर दो खुशी! कान भी पकड़ रहा हूं कहो तो उठक बैठक भी करूं… मनोज का उदास चेहरा और भरी आंखें  देख मैं पिघल जाती हूं ..और मैं लिपट जाती हूं मजबूत बाहों के घेरे मैं… छाती से लगाए मनोज मुझसे फिर से ये गलती नही दोहराने का वादा करते हैं… मैं तुम्हारे बिना अधूरा हूं खुशी! और मैं भी मनोज तुम्हारे बिना बिल्कुल अधूरी अकेली हूं और फिर घने बादलों के बरस जाने के बाद निकली खूबसूरत चमकीली धूप सी हमारा प्यार और निखर जाता है…. और हम दोनो को अहसास हो जाता है कि #दो पल के गुस्से में प्यार भरा रिश्ता कैसे बिखरने के कगार पर आ जाता है #हम दोनो ने वादा किया पूरी जिंदगी फिर कभी ऐसा नहीं होगा…

       Veena singh 

#स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #

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Veena singh..

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