“आधा हिस्सा” ( भाग 2) – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा

इसके अलावा छोटे भाई की पत्नी, एक भतीजा और एक भतीजी भी थी। छोटे भाई की अकाल मृत्यु के बाद इन सब की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थीं। सभी बच्चे उनकी नजरों में एक समान थे। उन्होंने सबको पढ़ाया लिखाया। बेटी -भतीजी में कोई फर्क नहीं किया। बेटी से पहले भतीजी का ब्याह अच्छे … Read more

“आधा हिस्सा” ( भाग 1) – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा

 राकेश बालकनी में बैठे एक हाथ में पेपर और दूसरे हाथ में मोबाईल लिए पता नहीं किस सोच में डूबा था। सामने टेबल पर चाय ठंडी हो रही थी पर उसका ध्यान…..। रिया ने पीछे से आवाज लगाई-” कहाँ ध्यान है आपका? चाय भी ठंडी हो गई। “ “रिया गाँव से पिताजी का फोन था।” … Read more

कुछ सीखो भाभी से…. (भाग 2)- रश्मि प्रकाश

सुनयना अपनी आदतानुसार जल्दी से साड़ी लपेट कर निकलने लगी…. ये देखते ही मनीष ने बिना ये देखे सामने कौन कौन है सुनयना को सुनाना शुरू कर दिया….,“ आज हमारे बेटे का जन्मदिन है थोड़ा तो ढंग से सज संवर लो… पर तुम तो निहायत ही….।” आगे कुछ कहता सासु माँ ने कहा ,“ठीक ही … Read more

कुछ सीखो भाभी से…. (भाग 1)- रश्मि प्रकाश

“ क्या यार सुनयना…. जब भी हम किसी पार्टी में जाते हैं तुम बस एक साड़ी लपेट लेती हो …. थोड़ा मेकअप किया करो…. घर में बस एक नाइटी डाल कर रहना… कहीं अचानक जाना हो तो एक सूट डाली और चल दी…. कहां मैं सोचता था मेरी बीवी एकदम टिपटॉप मिलेगी पर तुम तो … Read more

आज तो तूने मेरी माँ बन कर दिखा दिया बिटिया (भाग 2) – निभा राजीव “निर्वी”

सामाजिक कुरीतियों के समर्थन से अधिक उन्हें अपनी बिटिया की खुशी प्यारी थी। हर्ष के अतिरेक से परिधि की आंखें भर आईं। उसका प्रथम प्रेम राहुल उसके जीवन में जीवन संगी के रूप में पदार्पण करने वाला था। वह तो राहुल के अतिरिक्त कभी किसी और के विषय में सोच ही नहीं पाई थी। आज … Read more

आज तो तूने मेरी माँ बन कर दिखा दिया बिटिया (भाग 1) – निभा राजीव “निर्वी”

“अरे आप भी ना….आप अभी तक निमंत्रण पत्र बांटने नहीं निकले…. अखबार आता नहीं है कि हाथ धोकर उसके पीछे पड़ जाते हैं…. जल्दी जाइए ना! मुझे भी परिधि को लेकर गहनों की दुकान पर जाना है। कितने सारे काम पड़े हैं अनिकेत को भी साथ ले लीजिए, थोड़ी मदद होगी!”…. गीता जी ने स्नेहपूर्ण … Read more

दिव्या(भाग–2) : Moral stories in hindi

राघव के घर को फूलों से इस तरह से सजाया गया था, जैसे नई नवेली दुल्हन विदा होकर आ रही हो। दरवाजा फूलों की बेहद सुंदर माला और रंग बिरंगे आलोकों से सजा हुआ था। गहरे गुलाबी, लाल और हरा फूल भी एक नई नवेली दुल्हन की तरह उत्साहित थे। कमरे में फूलों की रंगीन … Read more

सिर्फ पत्नी हो गृहस्वामिनी नहीं (भाग 2 ) – रश्मि प्रकाश

शादी के बाद नंदनी ने महसूस किया कार्तिक बस अपने से मतलब रखता था ..उसे नंदनी से कोई मतलब नहीं था वो बस उसके घर में रहे काम करे और उसके माता-पिता का ख़्याल रखें ना उससे ज़्यादा वो कोई ख़्वाहिश रखें… कार्तिक अपने लिए जो चाहे खरीद लें पर जब नंदनी उससे कहती तो … Read more

सिर्फ पत्नी हो गृहस्वामिनी नहीं (भाग 1) – रश्मि प्रकाश

“ कितनी बार कहा है तुमसे इस घर के मामलों से दूर ही रहो… जब देखो तब अपनी नाक हमारे मामलों में घुसेड़ती रहती हो… अपना दिमाग़ मत चलाया करो…. बेकार का झमेला करना कोई तुमसे सीखें..।” ग़ुस्से में नितिन प्रिया  पर चिल्ला रहा था … ऐसे शब्द सुनकर नंदनी का खून खौल गया…जो आज … Read more

“प्रतिरोध” ( भाग 2)- डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral stories in hindi

बुआ बनारसी साड़ी पहनकर माथे पर आँचल डाले बाहर निकली। ये बनारसी साड़ी की भी एक कथा है । बुआ जब विदा होकर ससुराल आई थी तब मैके वाले ने अपने हैसियत से ढेरों साड़ियां दी थीं पर उसमें बनारसी साड़ी नहीं थीं। दुल्हन को साधारण चुनरी में देख बुआ के सास ससुर भड़क गए। … Read more

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