ख्वाब जो बिखर गये (भाग 1) – रीमा महेंद्र ठाकुर
बहुत चाहा तुम्हें , अब नही बस तुमने दिया ही क्या मुझे, बेबसी” तुम आये ही क्यू मेरी जिन्दगी मे ,कुछ भी तो न चाहा था तुमसे ,मैने सिवाय थोडी सी इज्जत और अपनेपन के अलावा ” अब छोड गये न मुझे अकेला” अब कभी वापस मत आना ! मै अकेली ही अच्छी हूँ बन्द … Read more