अधूरी औरत (भाग 2) – मुकेश पटेल

कैब स्कूल के तरफ  जा रहा था।  रास्ते में बैठे-बैठे काजल का मन बिल्कुल ही भर आया था।  वह मन ही मन सोचने लगी थी, कब तक वह प्यासी रहेगी, कोई तो उसकी प्यार की प्यास बुझाए, कोई तो हो जिसे वह कभी अपने बाहों में जकड़ कर, कभी उसे सीने से लगाकर, भरपूर प्यार … Read more

अधूरी औरत (भाग 1) – मुकेश पटेल

काजल की  शादी हुए अभी सिर्फ 6 महीने ही हुए थे।  उसके पापा ने कितने शानो-शौकत से एक बड़े बिजनेसमैन ऋषभ से काजल की शादी कराई थी।  जिसका मुंबई में बहुत बड़ा रेस्टोरेंट का बिजनेस था।  सबको लगा था कि काजल को वह सब कुछ मिलेगा जो एक लड़की अपने पति से उम्मीद करती है … Read more

मां से बढ़कर एक माँ (भाग 2)- मुकेश पटेल : Short Moral Stories in Hindi

Short Moral Stories in Hindi : कुछ महीनो बाद मौसी की शादी तय हो गई।  लड़के वाले मौसी को देखने आने वाले थे। जब सब लोग आ गए तो  मौसी सबके लिए चाय लेकर आई। सब लोगो ने  मौसी को पसंद कर लिया।  मेरे नाना जी और मौसी के होने वाले ससुर बात कर रहे … Read more

मां से बढ़कर एक माँ (भाग 1)- मुकेश पटेल : Short Moral Stories in Hindi

Short Moral Stories in Hindi : सुबह-सुबह किचन में चाय बना रही थी तभी मेरे पति ने आवाज दी, “रमा देखो तुम्हारे माँ का फोन आ रहा है।”  मैंने आश्चर्य से कहा, “माँ का फोन इतनी सुबह सुबह जरूर कोई बात होगी, मन में एक डर सा हो गया क्योंकि पापा कई दिनों से बीमार … Read more

उम्मीदों का दिया बुझने मत देना (भाग 4) – मुकेश पटेल

4 साल बाद महेश की बेटी का जहां पर नैना का ससुराल था उसी शहर में एक सरकारी अस्पताल में हड्डी के डॉक्टर के रूप में नियुक्ति हो गई थी।  महेश की बेटी सब कुछ भूल चुकी थी बचपन में उसकी बुआ उसके साथ बुरा बर्ताव करती थी वह सोच रही थी कि अब शायद … Read more

उम्मीदों का दिया बुझने मत देना (भाग 3) – मुकेश पटेल

सुनीता 6 महीने अपने मायके में ही रही और उसके बाद अब अपनी ससुराल चली गई थी।  लेकिन अभी भी सुनीता की ननंद यही पर थी। कुछ दिन के बाद ही सुनीता की सास की बहन यानी महेश की मौसी बच्चों को देखने आई हुई थी।  वो भी सुनीता की ननंद के लड़के को खूब … Read more

उम्मीदों का दिया बुझने मत देना (भाग 2) – मुकेश पटेल

समय बितता रहा महेश को भी इस बात का बिल्कुल भी भनक नहीं रहा कि घर में क्या हो रहा है नहीं हो रहा है उसे तो लगता था कि सब कुछ ठीक ही है।  माँ जो बोलती खरीद के ला देता था लेकिन महेश की मां अपनी बेटी को खिलाती रहती थी बहू को … Read more

उम्मीदों का दिया बुझने मत देना (भाग 1) – मुकेश पटेल

सुनीता और उसकी ननद नैना की शादी एक साथ ही हुई थी और किस्मत से दोनों एक साथ ही मां बनने वाली थी।  नैना के ससुराल में उसकी सास नहीं थी बस उसके ससुर और उसके हस्बैंड थे इसलिए नैना को नैना की मां यानी कि सुनीता की सास ने अपने पास ही बुला लिया। … Read more

ये घर मेरा ससुराल भी है और मायका भी – मुकेश पटेल

अचानक से संतोष जी की आधी रात में तबीयत खराब हो गई और वह बेहोश हो गए थे.घर में कोई पुरुष नहीं था।  संतोष जी के तीन बेटे थे जिसमें से एक बड़ा बेटा भगवान को प्यारा हो गया था और उसकी पत्नी गायत्री अपने सास-ससुर  के साथ ही  रहती थी जबकि दो बेटे मे  … Read more

जब पोती ने दहेज मे दादा जी को मांग लिया – मुकेश पटेल

बिन्नी स्कूल से जैसे ही घर वापस लौटी वो देखती है कि उसके दादाजी अपना बैग पैक कर रहे हैं ।  बिन्नी ने अपने दादा जी से पूछा कि दादाजी आप कहां जा रहे हैं दादाजी ने बताया बेटी  मैं गांव जा रहा हूं और बहुत जल्द ही वापस आ जाऊंगा।  बिन्नी जिद करते हुए … Read more

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