तलाक -रिश्ते का अंत,या फिर से शुरुआत (भाग 2)- रचना कंडवाल

Moral stories in hindi

वो धीरे से बोला कि सब कुछ तो तुम ले गयी नींद,चैन,खुशी सब कुछ। अच्छा चलती हूं। मयंक ने कहा थोड़ी देर बैठ सकती हो?  आस्था उसे देख रही थी,कि जब से वो आयी थी मयंक ने एक बार भी उस से नजरें नहीं हटायी थी। वो बीमार सा लग रहा था वो बैठ गई … Read more

तलाक -रिश्ते का अंत,या फिर से शुरुआत (भाग 1)- रचना कंडवाल

Moral stories in hindi

आस्था कोर्ट से वापस लौटी तो बहुत उदास थी आज कागज के एक टुकड़े पर एक साइन ने उसे और मयंक को हमेशा के लिए लिए अलग कर दिया था।थके कदमों से अपने कमरे में जाकर बेड पर बैठ गई। भैय्या और मां भी उसके पीछे पीछे आ गये। मां तो खामोश थीं, पर भैय्या … Read more

अपना अपना अधिकार ( भाग 3) – लतिका श्रीवास्तव : Short Moral Stories in Hindi

Short Moral Stories in Hindi : आज बिना कहे ही  शालू तुरंत सबके लिए बढ़िया चाय बना कर ले आई थी हां हां पापा और क्या ये भी घर ही है आप लोगों का पर वहां गांव में भी तो देखना तो पड़ेगा ही जरूरी है वहां जाकर देखना …! शालू की बात पर सुनंदा … Read more

अपना अपना अधिकार ( भाग 2) – लतिका श्रीवास्तव : Short Moral Stories in Hindi

Short Moral Stories in Hindi : इनका यहां पर ..सारी दिक्कत हो रही हैं मुझे मेरा कमरा इन लोगों को दे दिया था मैंने ये सोच कर कि वैभव के मां पापा हैं यहां आए हैं कोई कष्ट ना हो आराम से रह लें कुछ दिनों बाद तो चले ही जायेंगे लेकिन कुछ ज्यादा ही … Read more

अपना अपना अधिकार – लतिका श्रीवास्तव : Short Moral Stories in Hindi

Short Moral Stories in Hindi : राघव जी मंदिर की सीढ़ी चढ़ते चढ़ते हांफने लग गए तो थोड़ी देर के लिए बैठ गए बस हो गई हिम्मत खत्म अरे क्यों इतनी कठिन मनौती मान लेते हो जब पूरी करनी इतनी कठिन हो सुनंदा ने भी साथ में ही बैठते हुए टोक दिया था अरी बावरी … Read more

परिवार की परिभाषा – संगीता त्रिपाठी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : माँ, रमित, नकुल और मै अपनी फैमिली के संग गोवा घूमने जा रहे है “तुषार ने कनक को बताया।   “पर बेटे रमित की मम्मी की तबियत खराब है तो वो कैसे जायेंगी “कनक ने थोड़ा परेशान होते हुये कहा। मन ही मन खुश हो रही थी, पति देव से कितनी … Read more

मन की वेदना-मुकेश पटेल : hindi kahani

आज मैंने निश्चय कर लिया था कि अब साहिल के साथ मुझे 1 दिन भी नहीं बिताना है मैंने अपना सारा सामान पैक कर लिया था मैं सोच रही थी कि  शाम को साहिल के ऑफिस से घर आने से पहले ही मैं पड़ोसी को चाबी देकर इस घर को छोड़कर हमेशा के लिए चली … Read more

बालिका बधू-जयसिंह भारद्वाज

जब जब भी ज्योति अपने अतीत में झाँकती तब तब उसे अपने घरवालों से घृणा होने लगती और जब वह अपने भविष्य को देखती तो समाज और विशेषकर महिला समाज से वितृष्णा होने लगती। आइये! हम भी ज्योति सिंह कछवाह के भूतकाल में कुछ चहलकदमी कर लेते हैं। आज से लगभग बीस वर्ष पहले उसके … Read more

अनोखा बन्धन – मंगला श्रीवास्तव

जैसे ही विदा हुई वह बस में बैठी थी और बस चल पड़ी थी उसने पीछे मुड़ कर खिड़की से देखा, उसको विदा करके  माँ पाप भाई भाभी सभी रो रहे थे ।छोटा सा बिट्टू भी रो रहा था।।उनको रोता देख उसकी रुलाई भी बढ़ती जा रही थी।जैसे जैसे बस आगे बढ़ी  सब पीछे रह … Read more

जेठजी की नसीहत ” – अंजूओझा

सुहास तुम सुनीता को समझा दो कि अपनी हद में रहे और अपनी खराब आदतों को मायके में छोड़े , सुबह सात बजे उठना सेहत के लिए फायदेमंद है। अमर भैया अपने छोटे भाई से बोले और ऑफिस के लिए निकल गए। सुनीता उठो यार  नौ बज गए हैं अंश अर्पिता स्कूल चले गए भैया … Read more

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