अनोखा बन्धन – मंगला श्रीवास्तव

जैसे ही विदा हुई वह बस में बैठी थी और बस चल पड़ी थी उसने पीछे मुड़ कर खिड़की से देखा, उसको विदा करके  माँ पाप भाई भाभी सभी रो रहे थे ।छोटा सा बिट्टू भी रो रहा था।।उनको रोता देख उसकी रुलाई भी बढ़ती जा रही थी।जैसे जैसे बस आगे बढ़ी  सब पीछे रह गए थे।उसका अपना घर अपने लोग

सब कुछ मानों पीछे छूटता जा रहा था।

जैसे जैसे बस चलती जा रही थी।

उसका बेबस मन मानों आगे ना बढ़ान चाह रहा हो ।घूंघट की ओट में से रीना के बहते आँसू  उसको यादों के दायरे से बहार ही नही निकलने दे रहे थे।

माता पिता की देहरी भाई बहनों का प्यार सखियाँ सब कुछ उसको मानो आवाज दे रही थी।

माँ आज मुझकों तो छोले ही खाना है मैं नही खाऊँगी दाल रोज रोज वह पैर पटक कर बोली ।अच्छा ठीक है शाम को छोले पूरी बना दूँगी ,अभी तो खा लो बेटा मां की प्यारी मनुहार ।भैया मुझको घड़ी चाहिए मेरी सभी सहेलियों के पास है।


अच्छा बाबा अबकी बार ला दूँगा जैसे ही तनख्वाह मिलेंगी।

घर में छोटी होने के कारण अपनी हर फरमाइश वह रो कर और जिद्द करके मनवा लेती ।पापा की भी बहुत लाडली थी वह।उसको याद आ रहा था वो दिन जब वह पहली बार कॉलेज से एजुकेशन ट्रिप पर जाना चाहती थी ,और पापा उसको अपने से दूर इतनी दूर नही भेज रहे थे ।नही गुड़ियां तुम नही जाओगी कैसे रहोगीं तुम वहां कौन ध्यान रखेगा तुम्हारा।पर बहुत जिद्द करके औऱ भैया के समझाने के बाद ही पापा ने उसकों भेजा था।और आज उसको एक नए घर में आसानी से भेज दिया अनजान लोगों के भरोसे। वह रोती ही जा रही थी।

वही पापा की प्यारी गुड़ियां आज  सब को छोड़ कर एक नए परिवार नयें माहौल नए लोगों के साथ जा रही है।

जिन लोगों के बिना वह एक पल नही रह सकती थी, आज उन्हीं से दूर जा रही है।

कैसे रहेगी वह सबके बिना, वह रोती ही जा रही थी।तभी उसके पास बैठे अमित ने धीरे से उसका हाथ अपने हाथों में लेकर धीरे से सहलाया ।जैसे वह कहना चाह रहा हो कि मैं हर पल तुम्हारें साथ हूँ। उसके प्यार भरे स्पर्श से उसको एक पल को अच्छा लगा ,अब वह रोते हुए ही नींद के आगोश में जा चुकी थी।

चलो भाभी उतरो घर आ गया अचानक किसी ने हिलाया तो वह चौक कर उठ गई।  उसकी ननद उसको उठा रही थी

देख तो उसका नया आशियाना आ चुका था।

शुरू के दो तीन दिन तो उसको अपने घर की बहुत ही याद आयी ।पर सब लोगो का व खास तौर पर पति अमित का व्यवहार उसका प्यार व  हर पल उसका ध्यान रखना सब कुछ उसको अच्छा लगने लगा।उसको अमित से मिलकर ऐसा लगने लगा था कि जैसे उसकी जन्मों की पहचान हो। दो दिनों बाद ही वह लोग हनीमून पर शिमला कुल्लुमनाली निकल गए थे। वहाँ की हरी  भरी वादियाँ बर्फ से ढके पहाड़ो पर नीचे आते बादल और अमित का साथ वो दस दिन कैसे निकल गए उसको पता नही चला।अमित मानों उसकी जिंदगी ही हो चुका था ।वह सभी  को भूल गयी थी  उसमें इतना खो चुकी थी।और अमित का भी यही हाल था। दस दिन बाद जब वह लौट कर आएं

तब आते ही सास बोली बेटा रीना के पापा  पगफेरा के लिए रीना के भाई राजा को भेज रहे है पहला पगफेरा है मुहूर्त से होता है।

अमित बोले ठीक है मम्मी ।

रात को अमित और रीना दोनो ही उदास एकदूसरे की बाहों में खो गए थे।कल तुम चली जाओगी मैं कैसे रह पाऊँगा जानू अमित बोला। रीना ने प्यार से उसके बालो को सहलाने लगी और बोली मैं भी अब आपके बिना रहने का सोच नही सकती अब। कभी नही सोचा था चंद दिनों में जिंदगी इतनी खूबसूरत व हसीन लगने लगेगी ।आपका साथ पाकर हर एक पल इतना सुंदर लम्हा बन जाएगां।

मैं भी आपके बिना रह पाऊँगी क्या वह उसकी छाती में सिर छुपाते हुए बोली।अमित ने उसको बाहों में इस तरह कस लिया मानो अब दूर नही जाने देगा।

दूसरे दिन ही राजा आ गया था ।भैया को देख वो एकदम गले लगा गयी थी।सब कैसे है भैया। माँ पाप सब याद करते है ना भाभी बिट्टू।अरे भाई तुम चल तो रही हो सबसे मिल लेना । तुम्हारें बिन घर भर उदास है गुड़िया ।

उसकी तैयारी हो चुकी थी जाने की।

वह कपड़े बदलने जब कमरे आयी तो अमित ने पीछे से आकर उसको बाहों में भर लिया था।जल्दी आ जाओगी ना ।रीना रो पड़ी थी  तुमको छोड़ कर जाने को मन नही कर रहा पर तुम जल्दी से लेने आ जाना मैं इंतजार करुँगी औऱ अमित को चूम लिया था।


बेटा जल्दी करो बस का समय हो रहा है।

जी पापा बस आ रहे है।

रीना ने बाहर आकर सबके पैर छुए।

सास उसको गले लगाकर बोली बेटा जल्दी आ जाना घर में सूना लगेगा तुम्हारें बिना।

वह सास के गले लग रो पड़ी उसको आज एक और माँ मिल गयी थी। हाँ मां

अमित छोड़ने के लिए बस स्टैंड पर आया था।

वह जैसे ही बस में बैठी अमित उससे बोला अपना ध्यान रखना।

और उतर गया था खिड़की पर आकर उसको हाथों में डेरीमिल्क चॉकलेट रख दी थी जो कि उसको बहुत पसंद थी।

और एक फ्लाइंग किस दिया।बस अब चल रही थी और वह आज एक बार फिर  खिड़कीं से बाहर अमित को देख कर रो रही थी।उस दिन उसको अपने माँ पापा भैया भाभी सबको छोड़ कर रोना आ रहा था।और आज वह रो रही थीअपने प्रियतम की जुदाई में जिसके साथ  वह चंद दिनों पहले ही एक प्यारें बन्धन में बंधी थी। सोच रही थी चंद दिनों में ये कैसा अनोखा प्यार बन्धन बन गया है, की आज का ये रिश्ता

मायके के पच्चीस साल के सबके रिश्तों पर भारी पड़ रहा है।

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