आस्था कोर्ट से वापस लौटी तो बहुत उदास थी आज कागज के एक टुकड़े पर एक साइन ने उसे और मयंक को हमेशा के लिए लिए अलग कर दिया था।थके कदमों से अपने कमरे में जाकर बेड पर बैठ गई। भैय्या और मां भी उसके पीछे पीछे आ गये। मां तो खामोश थीं, पर भैय्या कहने लगे चलो ठीक हुआ उस धोखेबाज आदमी से पीछा छूट गया,अब तुम आराम करो शाम को मिलते हैं।
ये कह कर वह बाहर चले गए और मां भी उनके साथ चली गई। आस्था सोच में डूब गई कि अब वह क्या करेगी?सब कुछ दोबारा शुरू करना आसान नहीं होगा। उसने तो मयंक के बगैर जीने के बारे में सोचा भी नहीं था। आज से चार साल पहले ही तो मयंक को उसके मम्मी पापा ने उसके (आस्था) के लिए पसंद किया था। हैंडसम, स्मार्ट, अच्छी जाब वाला लड़का उन्होंने अपनी बेहद खूबसूरत बेटी के लिए चुना था। शादी में अपने सब अरमान पूरे किए थे।
पर पिछले डेढ़ साल से उनकी लाडली बेटी की जिंदगी में तूफान आ गया था। डेढ़ साल पहले मयंक ने आस्था से तलाक मांगा था। क्योंकि उसे अपनी कलीग पूजा से प्यार हो गया था।साथ ही उसने आस्था को कहा था कि अगर वह उसे आसानी से नहीं छोड़ेगी तो फिर वह उसे कोर्ट में कैरेक्टर लैस साबित कर देगा बहुत समझाने की कोशिश की थी सबने पर आखिर उनका तलाक हो गया।
आस्था आज अपनी व पूजा की तुलना कर रही थी पूजा स्मार्ट, सुन्दर व अच्छी जाब में थी और वह एक हाउसवाइफ थी जिसे अपने घर को सजाने, संवारने व मयंक की जरूरतें पूरा करने से मतलब था। पर अब सच तो ये था कि वो एक तलाकशुदा थी। आस्था ने मैथ्स में आनर्स किया था।उसकी स्कूलिंग भी अच्छी थी पर जाब का एक्सपीरियंस नहीं था। भैय्या की मदद से अच्छे स्कूल में जाब मिल गया।
तलाक को छह महीने बीत चुके थे। मयंक के घर पर उसके कुछ जरूरी पेपर्स व सामान रह गया था उसे लाना चाह रही थी पर मां, भैय्या तो जाने नही देंगे। और क्या पता कि मयंक ने उन्हें(पेपर्स) फेंक दिया हो। उसने मयंक को फोन किया हैलो मयंक मेरे कुछ पेपर्स व सामान वहां है क्या तुम मुझे दे सकते हो? उसने कहा अभी मुझे टाइम नहीं है संडे को आकर ले लो।
संडे को नैना से मिलने को कह कर वहां पहुंच गयी शायद वह मयंक को देखना चाहती थी अभी भी उस इंसान के लिए मन में कुछ तो था।उसे यह भी दिखाना चाहती थी कि उसके छोड़ देने से वह मरी नहीं जिन्दा है। घर की दहलीज पर कदम रखते ही पैर कांप उठे। डोर बैल बजायी तो दरवाजा नहीं खुला। थोड़ी देर बाद दोबारा बजा कर वापस लौट रही थी कि मयंक ने दरवाजा खोला तो आस्था बोली कि पेपर्स व पिंक कलर का बैग दे दो अलमारी में रखा है।
मयंक दरवाजे से हट गया अंदर आ कर ले लो मुझे नहीं पता है। अंदर आयी तो उसका दिल भर आया वो घर जिसे उसने सजाने संवारने में अपनी जान लगा दी थी आज वह अस्त व्यस्त पड़ा था।वह अपने पेपर्स व बैग लेकर बैडरूम से बाहर आयी तो मयंक के सामने रख दिया और कहने लगी कि चैक कर लो कहीं कुछ चुरा न लूं।
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रचना कंडवाल