मां से बढ़कर एक माँ (भाग 2)- मुकेश पटेल : Short Moral Stories in Hindi

Short Moral Stories in Hindi : कुछ महीनो बाद मौसी की शादी तय हो गई।  लड़के वाले मौसी को देखने आने वाले थे। जब सब लोग आ गए तो  मौसी सबके लिए चाय लेकर आई। सब लोगो ने  मौसी को पसंद कर लिया।  मेरे नाना जी और मौसी के होने वाले ससुर बात कर रहे थे कि शादी कब किया जाए इसी साल या फिर अगले साल। 

 तभी मेरी मौसी ने कहा, “सब लोगों ने मुझे पसंद तो कर लिया लेकिन किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि मेरी इच्छा क्या है मैं शादी एक शर्त पर करूंगी।”

  सब आश्चर्यचकित हो गए की मौसी क्या कहने वाली है।  मेरी मौसी के होने वाली सास बोली हां बेटी बताओ क्या शर्त है तुम्हारी।

 ” मैं शादी एक ही शर्त पर करूंगी जब मेरी बेटी को भी आप लोग अपनाएंगे और रितेश जी मेरी बेटी को अपना नाम देंगे।” 



यह सुनकर तो 1 मिनट के लिए सब शांत हो गए सब को लगा कि यह तो पहले से शादीशुदा है  सब को लगा कि मेरे नाना जी ने उनके साथ धोखा किया है एक शादीशुदा लड़की से हमारे लड़के की शादी करने के लिए हमें बुलाया है। 

 तुरंत मेरी मौसी की होने वाली सास बोली बिंदेश्वर जी आपने हमारे साथ धोखा किया है जब आपकी लड़की पहले से शादीशुदा थी तो हमें बताना चाहिए था ना हम अपने कुंवारे लड़के की शादी भला शादी शुदा लड़की से क्यों करेंगे? 

 मेरे नाना जी को जवाब देते नहीं बन रहा था।  तब मेरी नानी ने कहा, “1 मिनट आप लोग चुप हो जाइए जो आप लोग समझ रहे हैं ऐसा कुछ नहीं है।”  मेरी मौसी की होने वाली सास ने कहा, “तो फिर क्या है जब शादी नहीं हुई है तो बेटी कहां से आ गई।” 

 मेरी नानी ने सब को बताया कि दरअसल बात यह है कि आज से 5 साल पहले मेरे बड़ी बेटी और दामाद का एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई उसके बाद से उसकी इकलौती बेटी रमा  को हम लोगों ने ही पाला है।  दीपिका का लगाव उस बच्ची से कुछ ज्यादा ही है इसीलिए ऐसा कह रही है लेकिन ऐसा कुछ नहीं होगा उसके नाना नानी अभी जिंदा है उसको रखने के लिए।” 

 मेरी मौसी बोली, माँ  रमा दीदी की बेटी थी लेकिन अब यह मेरी बेटी है और इसे मैं कभी नहीं छोडूंगी मैं जिस से भी शादी करूंगी उसको  रमा  को अपना नाम देना होगा नहीं तो मैं शादी नहीं करूंगी।” 



 मेरे मौसी के होने वाले पति को मेरी मौसी पसंद आ गई थी जब उन्हें पता चला कि मैं उनकी बेटी नहीं हूं तो उन्होंने अपनी मां से जाकर कुछ बात की और उसके बाद उन लोगों ने मुझे स्वीकार करने के लिए तैयार हो गए। 

 मौसी की शादी के बाद मैं भी मौसी के साथ ही मौसी के ससुराल आ गई। शुरु-शुरु में तो सब को मेरे साथ एडजस्ट होने में समय लग रहा था लेकिन कुछ सालों में पता ही नहीं चला कि कब मैं उस घर की बेटी हो गई मेरे मौसी के सास-ससुर कब मेरे दादा-दादी और मेरे मौसी के पति कब मेरे पापा बन गए मुझे भी नहीं पता चला। 

 मेरे मौसी के पति यानि मेरे मौसा जी के  साथ मेरा नाता ऐसे जुड़ा कि कोई अनजान आदमी यह नहीं कह सकता कि हम दोनों बाप-बेटी नहीं है। 

बाद में मेरे मौसी के भी दो बेटे हुए लेकिन वह जब बड़े हुए तो पता नहीं क्यों उनका मेरे से लगाव  नहीं हो रहा था जबकि मैं हमेशा उनको अपने छोटे भाई की तरह मानती रही लेकिन उन्होंने कभी भी मुझे अपनी बड़ी बहन की तरह एक्सेप्ट नहीं किया उन्हें लगता था कि मैं जबर्दस्ती इस घर में रहती हूं।  लेकिन मौसी और मौसा जी  यानी कि मेरे पापा ने कभी भी मुझे गैर नहीं समझा।  जब मैंने ग्रेजुएशन कर लिया तो उन्होंने मुझे B.Ed कराया  उसके बाद मेरी नौकरी लग गई और उन्होंने धूमधाम से मेरी शादी की।

पति ने बाइक रोकी ।  मैं अब अपने मायके पहुंच चुकी थी मां रो बिलख रही थी मैंने मां को समझाया मां इस दुनिया में जो आया है उसे तो एक न एक दिन जाना है कोई समय से चला जाता है कोई बिना समय का।  वैसे तो पापा की अभी उम्र नहीं थी लेकिन क्या करें। 



मेरे दोनों भाइयों की भी शादी हो चुकी थी वह भी अपने परिवार के साथ आ चुके थे लेकिन वह लोग अभी भी मुझसे ढंग से बात नहीं करते थे।  जब उन्हीं लोगों को ही मुझसे मतलब नहीं था तो मैं जबर्दस्ती का रिश्ता कब तक जोड़ती। 

 पिता का तेरहवीं समाप्त हुआ  और दोनों भाई अपने परिवार के साथ अपने अपने शहर लौट गए जहां पर वह नौकरी करते थे।  लेकिन किसी ने भी मां से नहीं कहा कि मां कैसे  रहेगी किसके साथ रहेगी। 

 शायद भगवान मेरी परीक्षा ले रहा था एक समय वह था जब मेरा कोई नहीं था तो मौसी ने मुझे नया जीवन दिया और आज उसका कर्ज लौटाने का समय आ गया था मैंने अपने पति से मां के बारे में बात की, “अगर आपकी इजाजत हो तो मैं मां को अपने साथ रखना चाहती हूं।” 

 मेरे पति बहुत अच्छे थे।  उन्होंने एक बार में हाँ  कर दिया।  मां वैसे तो आने से मना कर रही थी लेकिन मैं नहीं मानी और मैं अपने साथ ही मां को अपने घर लेकर आ गई। 

 भाइयों का कभी-कभार मां के पास फोन आ जाता था लेकिन कभी भी कोई अपने साथ रखने की बात नहीं करता था। 

मां के आने के बाद मेरे लिए तो सपोर्ट हो गया था क्योंकि मैं  स्कूल और मेरे पति ऑफिस चले जाते थे तो घर में बच्चे अकेले रह जाते थे लेकिन अब कम से कम उनकी  देखभाल करने के लिए मां तो है।

मुकेश पटेल

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!