मां से बढ़कर एक माँ (भाग 1)- मुकेश पटेल : Short Moral Stories in Hindi

Short Moral Stories in Hindi : सुबह-सुबह किचन में चाय बना रही थी तभी मेरे पति ने आवाज दी, “रमा देखो तुम्हारे माँ का फोन आ रहा है।”  मैंने आश्चर्य से कहा, “माँ का फोन इतनी सुबह सुबह जरूर कोई बात होगी, मन में एक डर सा हो गया क्योंकि पापा कई दिनों से बीमार चल रहे थे । 

मैंने जैसे ही फोन उठाया माँ ने कहा, “बेटी… इतना कह कर फफक फफक कर रोने लगे रमा तुम्हारे पापा हमें छोड़ कर चले गए उन्होने  सोचा भी नहीं कि उनके बिना मैं कैसे रहूंगी ।” “आप कैसी बात कर रही  हैं “

“हां बेटी रात में तुम्हारे पापा ने कहा पेट में बहुत दर्द हो रहा है फिर मैंने एक दर्द की गोली दी सुबह हुआ पता चला भगवान को प्यारे हो गए है। बेटी तुम जल्दी आ जाओ अपने पापा  का आखिरी दर्शन कर लो।” 

 यह खबर सुनकर मैं वही किचन में बैठ गई चाय उबलकर चूल्हे पर गिरता रहा मुझे कुछ भी होश नहीं रहा मेरे मुंह से तो आवाज भी नहीं निकल रही थी मेरे पति बाहर से कई बार आवाज दे चुके थे। 

 “रमा क्या हो गया इतनी देर से अभी चाय नहीं बना क्या? मैं तो अपने पापा  की मरने की खबर सुन पत्थर की मूरत हो गई थी मेरे पति जैसे ही आए तो देखा कि चूल्हे पर चाय उबल कर गिर रहा है।  और मैं फोन लिए कोने में बैठी हूं।  उन्होंने जब पूछा तो मैंने बताया कि पापा अब नहीं रहे  जल्दी से मायके चलना है।  मेरे पति को भी विश्वास नहीं हुआ कि पापा अब  नहीं रहे  लेकिन जो सत्य है उसको झुटलाया  नहीं जा सकता था।

 कुछ ही देर मे  पति के साथ बाइक पर बैठकर मायके के लिए चल दी।  बाइक पर बैठते ही मैं सोचने लगी कि आज पापा नहीं रहते तो मैं कहां होती कहां जाती मेरा क्या होता दरअसल बात यह है  वे  मेरे  अपने पापा नहीं थे  लेकिन पापा  से भी बढ़कर थे । 

जब मैं 5 साल की थी तो मैं मेरे पापा और मम्मी रात में डिनर कर घर वापस लौट रहे थे पीछे से एक ट्रक ने जोर से धक्का मारा मैं उछलकर रोड से नीचे गिर गई लेकिन पापा और मम्मी का  डेथ उसी समय हो गया। 

उसके बाद नाना-नानी मुझे लेकर अपने पास आ गए। वहां पर मेरी मौसी भी थी मौसी ने मुझे मां जैसा प्यार दिया या यूं कहूँ तो  एक मां की तरह मेरा ख्याल रखती थी। 

 अगला भाग

मां से बढ़कर एक माँ (भाग 2)- मुकेश पटेल : Short Moral Stories in Hindi

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