ख्वाब जो बिखर गये (भाग 2) – रीमा महेंद्र ठाकुर
निहारिका बैचेनी से चहलकदमी कर रही थी ! धीरे धीरे अन्धेरा बढ रहा था , अब तो उसे डर भी लग रहा था , उसके कदम समीर के रुम की ओर बढ गये । तभी सामने से आता दिखा समीर , वो दौड़कर समीर के गले लग कर रो पडी, समीर ने उसे चुप … Read more