खूबसूरत दिल : xxx hindi story

xxx hindi story : रमन ने जैसे ही इंजीनियरिंग पास की उसी समय उसकी नौकरी गुड़गांव की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में लग गई। रमन के पापा चाहते थे कि रमन और उसकी बड़ी बहन की शादी भी एक साथ ही  हो कारण या था कि रमन को जो पैसे दहेज में मिलेंगे उसमें से कुछ पैसे जमा करके उसकी बड़ी बहन को दहेज दे दिया जाएगा। 

 कुछ दिनों के बाद रमन और उसकी बहन की शादी हो गई। 

जिस रात का इंतजार हर किसी को होता है चाहे वह पुरुष हो  या महिला वो रात आ गई थी रमन खुशी खुशी अपने कमरे में गया और अपनी दुल्हन का घूंघट उठाया. घूंघट के उठते ही उस के सारे सपने चकनाचूर हो चुके थे. रमन  ने फौरन घूंघट गिरा दिया. अपनी दुलहन को देख कर रमन  का दिमाग सुन्न हो  गया था. वह उसे अपने ख्वाबों की मल्लिका  के बजाय किसी डरावनी फिल्म की नायिका  लग रही थी. रमन  ने अपने दांत पीस लिए और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गया.

 माँ और पिताजी हॉल मे बैठ टीवी देख रहे थे रमन  उन के पास चला गया.

‘‘मेरे साथ आइए माँ,’’ रमन  माँ का हाथ पकड़ कर बोला.

‘‘हुआ क्या है?’’ माँ उस के तेवर देख कर हैरान थीं.

‘‘पहले अंदर चलिए,’’ रमन  उन का हाथ पकड़ कर उन्हें अपने कमरे में ले गया.

‘‘यह दुलहन पसंद की है आप ने मेरे लिए,’’ रमन  ने दुलहन का घूंघट झटके से उठा कर माँ से पूछा.

‘‘मुझे क्या पता था कि तुम सूरत को अहमियत दोगे, मैं ने तो सीरत परखी थी,’’ माँ बोलीं.

‘‘आप से किस ने कह दिया कि सूरत वालों के पास सीरत नहीं होती?’’ रमन  ने जलभुन कर माँ से पूछा.

‘‘अब जैसी भी है, इसी के साथ गुजारा कर लो. इसी में सारे खानदान की भलाई है,’’  माँ नसीहत दे कर चलती बनीं

‘‘उठो यहां से और दफा हो जाओ,’’ रमन  ने गुस्से में राधा से कहा.

‘‘मैं कहां जाऊं?’’ राधा ने सहम कर पूछा. उस की आंखें भर आई थीं.

‘‘भाड़ में,’’ रमन  ने झल्ला कर कहा.

राधा चुपचाप बैड से उतर कर सोफे पर जा कर बैठ गई. रमन  ने बैड पर लेट कर चादर ओढ़ ली और सो गया. सुबह रमन  की आंख देर से खुली. उस ने घड़ी पर नजर डाली. साढ़े 9 बज रहे थे. राधा सोफे पर गठरी बनी सो रही थी.

रमन  बाथरूम में घुस गया और फ्रैश हो कर कमरे से बाहर आ गया.

‘‘सुबहसुबह छैला बन कर कहां चल दिए बेटा ?’’ कमरे से बाहर निकलते ही पिता जी ने टोक दिया.

‘‘ऑफिस  जा रहा हूं,’’ रमन  ने होंठ सिकोड़ कर कहा.

‘‘मगर, तुम ने तो 15 दिन की छुट्टी ली थी.’’

‘‘अब मुझे छुट्टी की जरूरत महसूस नहीं हो रही.’’

ऑफिस में भी सभी रमन  को देख कर हैरान थे. मगर उस के गुस्सैल मिजाज को देखते हुए किसी ने उस से कुछ नहीं पूछा. शाम को रमन  थकाहारा दफ्तर से घर आया तो राधा सजीधजी हाथ में पानी का गिलास पकड़े उस के सामने खड़ी थी.

‘‘मुझे प्यास नहीं है और तुम मेरे सामने मत आया करो,’’ रमन  ने बेहद नफरत से कहा.

‘‘जी,’’ कह कर राधा चुपचाप सामने से हट गई.

‘‘और सुनो, तुम ने जो चेहरे पर रंगरोगन किया है, इसे फौरन धो दो. मैं पहले ही तुम से बहुत डरा हुआ हूं. मुझे और डराने की जरूरत नहीं है. हो सके तो अपना नाम भी बदल डालो. यह तुम पर सूट नहीं करता,’’ रमन  ने राधा की बदसूरती पर ताना कसा.

राधा चुपचाप आंसू पीते हुए कमरे से बाहर निकल गई. इस के बाद राधा ने खुद को पूरी तरह से घर के कामों में मसरूफ कर लिया. वह यही कोशिश करती कि रमन  और उस का सामना कम से कम हो.

 एक दिन राधा किचन में बैठी सब्जी काट रही थी तभी रमन  ने किचन में दाखिल हो कर कहा, ‘‘ऐ सुनो.’’

‘‘जी,’’ राधा उसे किचन में देख कर हैरान थी.

‘‘मैं दूसरी शादी कर रहा हूं. यह तलाकनामा है, इस पर साइन कर दो,’’ रमन  ने हाथ में पकड़ा हुआ कागज उस की तरफ बढ़ाते हुए कहा.

‘‘क्या…?’’ राधा ने हैरत से देखा और सब्जी काटने वाली छुरी से अपना हाथ काट लिया. उस के हाथ से खून बहने लगा.

‘‘जाहिल…,’’ रमन  ने उसे घूर कर देखा, ‘‘शक्ल तो है ही नहीं, अक्ल भी नहीं है तुम में,’’ और उस ने राधा का हाथ पकड़ कर नल के नीचे कर दिया.

राधा आंसुओं को रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी. रमन  ने एक पल को उस की तरफ देखा. आंखों में उतर आए आंसुओं को रोकने के लिए जल्दीजल्दी पलकें झपकाती हुई वह बड़ी मासूम नजर आ रही थी.

रमन  उसे गौर से देखने लगा. पहली बार वह उसे अच्छी लगी थी. वह उस का हाथ छोड़ कर अपने कमरे में चला गया. बैड पर लेट कर वह देर तक उसी के बारे में सोचता रहा, ‘आखिर इस लड़की का कुसूर क्या है? सिर्फ इतना कि यह खूबसूरत नहीं है. लेकिन इस का दिल तो खूबसूरत है.’

पहली बार रमन  को अपनी गलती का एहसास हुआ था. उस ने तलाकनामा फाड़ कर डस्टबिन में डाल दिया.

रमन  वापस किचन में चला आया. राधा किचन की सफाई कर रही थी.

‘‘छोड़ो यह सब और आओ मेरे साथ,’’ रमन  पहली बार राधा से बेहद प्यार से बोला.

‘‘जी, बस जरा सा काम है,’’ राधा उस के बदले मिजाज को देख कर हैरान थी.

‘‘कोई जरूरत नहीं है तुम्हें नौकरों की तरह सारा दिन काम करने की,’’ रमन  किचन में दाखिल होती माँ को देख कर बोला.

रमन  राधा की बांह पकड़ कर अपने कमरे में ले आया, ‘‘बैठो यहां,’’  उसे बैड पर बैठा कर रमन  बोला और खुद उस के कदमों में बैठ गया.

‘‘राधा, मैं तुम्हारा अपराधी हूं. मुझे तुम जो चाहे सजा दे सकती हो. मैं खूबसूरत चेहरे का तलबगार था. मगर अब मैं ने जान लिया है कि जिंदगी को खूबसूरत बनाने के लिए खूबसूरत चेहरे की नहीं, बल्कि खूबसूरत दिल की जरूरत होती है. प्लीज, मुझे माफ कर दो.’’

‘‘आप मेरे पति हैं. माफी मांग कर आप मुझे शर्मिंदा न करें. सुबह का भूला अगर शाम को वापस आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते,’’ राधा बोली.

‘‘थैंक्स राधा, तुम बहुत अच्छी हो,’’ रमन  प्यार से बोला.

‘‘अच्छे तो आप हैं, जो मुझ जैसी बदसूरत लड़की को भी अपना रहे हैं,’’ कह कर राधा ने हाथों में अपना चेहरा छिपा लिया और रोने लगी.

‘‘पगली, आज रोने का नहीं हंसने का दिन है. आंसुओं को अब हमेशा के लिए गुडबाय कह दो. अब मैं तुम्हें हमेशा हंसतेमुसकराते देखना चाहता हूं.

‘‘और खबरदार, जो अब कभी खुद को बदसूरत कहा. मेरी नजरों में तुम दुनिया की सब से हसीन लड़की हो,’’ ऐसा कह कर रमन  ने राधा को अपने सीने से लगा लिया.

राधा सोचने लगी, ‘अंधेरी रात कितनी भी लंबी क्यों न हो, मगर उस के बाद सुबह जरूर होती है.’

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