किस्मत के मारे- वीणा सिंह  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : बाबूजी की पुण्य तिथि पर बच्चे और पति सबकी इच्छा थी इस बार वृद्धाश्रम चलेंगे और उनको अपने हाथों से खाना खिलाएंगे..

        फल और मिठाइयां बाजार से खरीद कर हम लोग वृद्धाश्रम पहुंचे..

     मन व्यथित हो गया.. इनकी आत्मा कितनी छलनी हुई होगी अपनो और अपने घर से इस उम्र में जुदा हो कर.. सत्तर साल से लेकर अस्सी पचासी साल तक के वृद्ध महिला और पुरुष.. अभी इन्हे नाती पोतों और परिवार की सख्त जरूरत होती है ओह..

                 एक दिन पहले हीं बच्चे अपने पापा के साथ आकर मीनू डिसाइड कर पैसे दे दिए थे .. वृद्धाश्रम के व्यवस्थापक को..

            बड़े से हॉल में दोनो तरफ बेड लगे थे.. चादर देख लग रहा था इनको धुले कम से कम पंद्रह दिन हो गए हैं.. दीवार पर जगह जगह जाले.. किचन में भी गंदगी  आटा नमक सब खिला हुआ, काकरोच और चूहे घूमते हुए ओह..कुल मिलाकर व्यवस्था अच्छी नहीं थी. सुना था बहुत लोग एनिवर्सरी बच्चे का जन्मदिन जैसे शुभ मौके पर मोटी रकम इनके लिए प्रबंधक को देते हैं.. एनजीओ से भी समय समय पर सहायता मिलती है.. पर इन किस्मत के मारे लोगों के हिस्से की रकम भी बंदर बांट में खत्म हो जाती है..

                                     खाना परोसते समय अचानक मुझे एक चेहरा देखा देखा सा लगा.. आंखों से आसूं बह रहे थे जो खाने की प्लेट में गिर रहे थे.. मैं तेजी से उनकी तरफ गई और बोला मां जी हम भी आपके बहु बेटी जैसे हीं हैं.. अचानक चेहरा ऊपर किया तो बेसाख्ता मेरे मुंह से निकला रमा चाची आप.. आश्चर्य से मेरा मुंह खुला का खुला हीं रह गया.. मैने उनसे पूछा आप यहां कैसे आ गई चाची.. रोते हुए उन्होंने ने कहा हां बेटी मेरी किस्मत और मेरे कर्म यहां पहुंचा दिए.. मुझे किसी से शिकायत नहीं.. किसी से कहना मत मैं यहां हूं..

                घर लौट कर भी मैं दुखी थी रमा चाची को देखकर.. रंग झड़ी नाईटी उलझे बाल गोरा रंग भी अब कहां रहा उनका.. मैं अतीत में खो गई..

               पड़ोस में रहती थी रमा चाची.. पूरे मुहल्ले में अपनी तेज जुबान के कारण प्रसिद्ध थी.. इनके यहां कोई लड़की नहीं बसेगी.. एक बेटा था राहुल..

               चाचा कॉलेज में प्रोफेसर थे.. घर से भी मजबूत थे.. चाची से शादी के बाद उनकी नौकरी लगी थी इसलिए उनकी नौकरी का सारा श्रेय वो खुद को देती थी.. चाचा बेचारे शांत प्रकृति के इंसान से.. किताबों में उलझे रहते.. बेवजह अशांति से बचने के लिए..

                      राहुल की शादी सुंदर लड़की देखकर साधारण परिवार में तय हुई.. उम्र भी कम थी मात्र अठारह साल.. संयुक्त परिवार की भोली भाली अल्हड़ नीलू रमा चाची की इकलौती बहु बनकर #रमा सदन # में आ गई..

               राहुल भी स्थानीय कॉलेज में प्रोफेसर था..

           शादी के दूसरे दिन से हीं रमा चाची नीलू के उपर अपना कहर बरपाने लगी.. गरीब घर की लड़की कुछ देखा भी है, कप तोड़ दिया, पूरा घर नाश कर दोगी.. मैने कहा था राहुल के पापा से कंगले  के घर की लड़की मत लाओ पर उनकी मति मारी गई थी.. एक से एक रिश्ते आ रहे थे.. जली कटी सुनाने में रमा चाची को न जाने क्या मजा आता था.. कामवाली बताती बेचारी बहू की किस्मत फुट गई है..

       नीलू खाने बैठती तो बोलती कितना खाती है अपने घर में तो कभी अच्छा भरपेट खाना नही मिला होगा.. अच्छी साड़ी पहन लेती तो कहती संभाल के पहनो बहुत महंगी है बाप जनम तो देखा न होगा.. राहुल कुछ भी बोलना चाहता तो उसे भी जली कटी सुननी पड़ती.. जोरू का गुलाम हो गया है, उस नागिन ने मेरे खिलाफ जहर भरा है.. मुझे जहर निकालना आता है.. 

               कहीं नीलू के साथ जाने के लिए तैयार होता रमा चाची बीमारी का बहाना बना कराहने लगती और कहती अरे बेशरम मैं दर्द से तड़प रही हूं और तू मटरगश्ती करने जा रही है, और तू नालायक, धिक्कार है तुझपर .. और दोनो दुखी मन से बाहर जाने का ख्याल छोड़ देते.. कोई ऐसा दिन नहीं जाता जिस दिन नीलू को रमा चाची खरी खोटी नही सुनाती.. नीलू धीरे धीरे मुरझाती जा रही थी..

                एक दिन अचानक ब्रेन हेमरेज से राहुल के पापा का निधन हो गया.. रमा चाची उस समय भी उतने लोगों के बीच नीलू को अपने पति की मृत्यु का कारण बताने से बाज नहीं आ रही थी. इसी कुलच्छिनी के पांव पड़ते हीं ऐसा अनर्थ हुआ है..

                       नीलू बिल्कुल चुप चुप सी रहने लगी थी.. पति की मृत्यु के बाद रमा चाची की जुबान और तेज हो गई थी.. पूरा घर जमीन जायदाद सब उनके नाम से था.. इसका भी धौंस दिखाती..

            नीलू को जब तक भला बुरा नही कहती उनको चैन नहीं आता..

                राहुल नीलू को दो तीन महीने के लिए मायके पहुंचा दिया..

                       समय पंख लगा आगे बढ़ता रहा.. नीलू  दस और बारह साल के दो बच्चों सोनू और मोनू की मां बन चुकी थी पर रमा चाची में कोई परिवर्तन नहीं आया था.. बच्चे दादी के सामने खड़े हो जाते जब नीलू को बेवजह खरी खोटी सुनाती.. नीलू बर्दाश्त करते करते डिप्रेशन की शिकार हो गई थी.. राहुल बहुत सालों से विदेश में प्रोफेसर की नौकरी के लिए प्रयास कर रहा था.. अचानक कॉल लेटर आ गया.. नीलू को भी डॉक्टर इस वातावरण से दूर ले जाने की सलाह दिया था.. राहुल रमा चाची से बात किया तो बोली अरे उस मनहूस को लेकर जाओ.. एक वृद्धाश्रम है जिसमे घर से भी ज्यादा सुविधा और देखरेख होती है मैं वहीं चली जाऊंगी.. इसकी धमकी कई बार रमा चाची दे चुकी थी..

                राहुल पत्नी और बच्चों के साथ कनाडा चला गया.. रमा चाची वृद्धाश्रम चली गई.. शुरू शुरू में पैसे के लोभ में खूब खातिरदारी हुई फिर उन्हे दूसरे ब्रांच में शिफ्ट कर दिया गया..

  ये कलयुग है इस जनम का किया इसी जनम में भुगतना पड़ता है.. रमा चाची इसकी उदाहरण थी मेरे सामने..

#स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #

#खरी खोटी सुनाना #

 वीणा सिंह 

(व)

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!