ताऊ बिहारी का खत-बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

शिव कुमार की आंखों के कौर से आंसू टपक रहे थे,उनके हाथ मे आज ही आया ताऊ बिहारी का खत था।अपनी घसीटे लेख में ताऊ बिहारी ने लिखा था,रे शिव मन्ने जरूर पाप करे होंगे तभी तो भगवान सजा दे रहा है।कहवै तो हैं छोरा छोरी बरोबर होवै हैं, हमने तो अपनी छोरी को छोरा मान कर ही पाला था।एक बात तो रही छोरी सच मे छोरे से बढ़कर रही।इत्ती सेवा करे थी,पूछ मत।तम तो गाम छोड़ शहर चले गये,सब छोरी बिमला ने ही हमारा किया।अब बता शिव, बिमला का ब्याह तो करना ही था सो कर दिया।तम तो शादी में ना पाये।बिमला तो चली गयी रह गया मैं निपट अकेला,तुझे पता ही है तेरी ताई तो कद की चली गयी थी।बिमला हरचंद मुझे अपने पास रखना चाहती है, बहुत प्यार करती है ना,पर अब उसका बस थोड़े चलता है,दामाद ने मुझ बुड्ढे को अपने यहां बुलाने को साफ मना कर दिया।घर है जमीन है पर करने वाला कोई नही।शिव बता मैं सोच रहा हूँ वो गिरधारी के घेर के पाछे जो कुवाँ है, उसमें कूद जाऊं,सब झंझट खतम।शिव बताऊँ कल रात मैं कुवे पै गया भी था पर उसमें कुद्दन से डर गया।

कमबख्त जिंदगी से इस उमर में भी मोह।तुझे खत लिख थोड़ी सी तस्सली मिल गयी।कुवे पर पता नही कद जाने की हिम्मत बनेगी?

   शिव सच बताऊं पता नही क्यूँ मरने को अभी मन नही कर रहा,पर जिऊँ कैसे?तेरा ताऊ बिहारी।

       ताऊ बिहारी का दर्द उनके लिखे पत्र में साफ झलक रहा था।शिवकुमार की आंखों में गावँ में साथ साथ रहने के दिन तैर गये।बिहारी और किशन दोनो भाई एक साथ गांव में अपने पैतृक घर मे ही रहते थे।पूरे दस कमरों की बड़ी सी हवेली गांव में उनकी हैसियत दर्शाती थी।बड़े भाई बिहारी के एक ही संतान बिमला थी।दूसरी संतान का सुख उन्हें प्राप्त न हो सका,जबकि किशन के एक बेटा व एक बेटी का जन्म हुआ।बेटे का नाम शिवकुमार रखा गया तो बेटी का नाम कुसुम।ताऊ बिहारी का शिव कुमार के प्रति खूब स्नेह था,वे बालक शिव को कंधे पर बिठाये पूरे गावँ में घूम जाते।शिव भी अपनी बाल बुद्धि से उसी समय रोता जब ताऊ बिहारी बाहर जाने को होते,उसके रोते ही वे शिव को तुरंत गोद मे उठा लेते।समय चक्र के साथ बच्चे बड़े होते गये।शिव पहले तो पढ़ाई करने शहर चला गया फिर वही नौकरी मिल गयी तो वही रह गया।बस यदा कदा ही गावँ आना होता था।कुसुम बिमला को भी आगे पढ़ाना था सो उन दोनों को भी शहर भेज दिया गया।गांव में रह गये दोनो भाई बिहारी और किशन।

      पढ़ाई पूरी होने पर बिमला तो गावँ वापस आ गयी पर कुसुम शहर में ही रह गयी।कुसुम वहां किसी लड़के से प्रेम करने लगी थी तो उसका मन गांव आने का नही था।घर मे जब इस प्रेम प्रसंग की बात खुली तो कुहराम मच गया।किशन इस सदमे को सहन नही कर पाये।शिव कुमार ने बात संभालते हुए कुसुम की शादी उसके प्रेमी से करा दी। किशन दिल से शादी के बाद भी माफ नही कर पाये और एक दिन दिल के दौरे पड़ने से स्वर्ग सिधार गये।अब शिवकुमार का गांव आना न के बराबर हो गया था।उसे लगता कुसुम के प्रेम विवाह के कारण गांव वाले उसकी ओर निगाह बदल कर देखते हैं।यही कारण रहा बिमला की शादी में भी शिवकुमार बहाना बनाकर नही गया।

     पर आज ताऊ बिहारी का दर्द भरा पत्र पढ़ वह न तो अपने आंसू रोक पाया और न अपने को गावँ जाने से।तुरंत ही वह गांव ताऊ बिहारी के पास चल दिया।ताऊ बिहारी शिवकुमार को सामने देख उससे चिपट गये और फफक फफक कर रो पड़े।शिवकुमार भी रोते रोते बोला ताऊ मैं तुझे लेने आया हूँ, अब हम साथ रहेंगे।ताऊ बिहारी अंदर तक प्रफुल्लित हो गये।अगले दिन सुबह सुबह चलने की योजना बन गयी।इस बीच ताऊ बिहारी ने गर्व से गांव वालों को बता दिया कि उसका शिव उसे लेने आया है।खुसुर पुसुर शुरू हो गयी,कोई बोला भई इस बिहारी के तो आगे पीछे कोई है नही,एक छोरी थी,वह ब्याही गयी तो इसकी घर जमीन सब शिव को मिल जायेगी।शहर में रहा छोरा स्याना निकला।बिहारी कितना जियेगा, सब संपत्ति शिव की।ये बात शिवकुमार के कानों में भी पड़ी उसे बेहद दुख हुआ,पर लोगो की जुबान को कोई रोक सका है भला?

     भारी मन लिये शिवकुमार ताऊ बिहारी को अपने घर शहर में ले आया।गावँ वालो की बाते उसके जेहन में गूंज रही थी।गावँ वालो का तंज उसका पीछा नही छोड़ रहा था और शिव ताऊ को नही छोड़ सकते थे।शिव की पत्नी ने कहा भी एजी क्यूँ लोगो की बातों पर इतना सोचते हो लोगो का क्या है वे तो हर हाल में बाते ही बनाते हैं।पत्नी की बात सही थी पर शिव के मन से गाँव वालो का तंज नही निकल पा रहा था।

आखिर में खूब सोच विचार कर शिव ने एक हल निकाल ही लिया।उसने ताऊ बिहारी की चल अचल संपत्ति का एक ट्रस्ट बनाने का निर्णय किया,इसके लिये पहले ताऊ की रजामंदी जरूरी थी,ताऊ सारी संपत्ति शिव को देना चाहते थे।काफी समझाने पर ताऊ बिहारी मान गये, उन्हें शिव ने बताया कि ट्रस्ट की आमदनी से एक वृद्धाश्रम चलायेंगे, जिसमे निराश्रित और औलादो द्वारा ठुकराए वृद्ध रहा करेंगे।इस प्रस्ताव पर ताऊ बिहारी तैयार हो गये।

       शिवकुमार ने ताऊ बिहारी की समस्त संपत्ति का एक ट्रस्ट बनवाया जिसमे उसने नगर के दो प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ साथ ताऊ बिहारी की बेटी व दामाद को भी रखा।अब शिवकुमार शांत थे उन्होंने लोगो के तंज का उत्तर दे दिया था।

     ट्रस्ट के उद्घाटन के समय शिव ने गांव वालों को भी निमंत्रित किया।आज वे देख रहे थे कि शिव ने खुद तो अपने वृद्ध ताऊ को अपने पास रखा ही साथ ही अन्य वृध्दो के लिये सम्मान से सामूहिक जीवन जीने की राह भी खोल दी है।

बालेश्वर गुप्ता, नोयडा

मौलिक एवम अप्रकाशित

#लोगो का तो काम ही होता है बाते बनाना

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