गुनाह की सजा या प्रायश्चित |  Moral stories in hindi

sex hindi story : महिला कारावास के एक कमरे मे बैठी गर्भवती शीतल भरी आँखों से शून्य मे निहार रही थी। उसके मासूम से चेहरे पर दर्द की परछाई थी । साथ ही था पछतावा (पर रुकिए इससे पहले की आप शीतल के लिए दिल मे कोई सांत्वना लाये उससे पहले मेरी कहानी पूरी पढ़ लीजियेगा तभी कुछ फैसला कीजियेगा । )

शीतल शून्य मे निहारते अपनी पिछली जिंदगी के बारे मे सोच रही थी सोचते सोचते वो पहुँच गई अतीत मे। जब उसका जन्म हुआ था दो बेटों के बाद बेटी पैदा होने पर उसके माता पिता कितने खुश थे उन्होंने उसे शीतल नाम भी इसलिए दिया था क्योकि उनकी नज़र मे बेटी से घर मे और मन मे शीतलता आती है। इतना बड़ा उत्सव मनाया गया था उसके जन्म पर दूर दूर के रिश्तेदार बुलाये गये थे। 

वक़्त अपनी रफ़्तार से गुजरने लगा और मां बाप के दिल का टुकड़ा और भाइयो की जान शीतल बड़ी होने लगी। उसके लिए भाइयो की तरह ही अच्छी शिक्षा का प्रबंध किया गया। जो शीतल को चाहिए होता वक़्त से पहले हाजिर हो जाता। ना केवल माँ बाप उसकी हर जरूरत पूरी करते बल्कि भाई भी उस पर प्यार के साथ अपने हिस्से की चीजे भी लुटाते । शीतल थी भी भाइयो से बहुत छोटी। 

स्कूल खत्म कर शीतल कॉलेज मे आ गई कॉलेज मे आते ही शीतल के बड़े बड़े शौक हो गये । नये फैशन के कपड़े ,बढ़िया फोन क्या कुछ डिमांड नही थी उसकी जिसे शीतल के माता पिता सहर्ष पूरी करते रहे। अब तक उसके भाई भी पढ़ लिखकर नौकरी करने लगे थे। क्योकि दोनो भाई इंजीनियर थे तो दोनो की ही नौकरी दूसरे शहरो मे थी। दोनो ने अपनी अपनी पसंद की लड़कियों से माँ बाप की रजामंदी से शादी भी कर ली थी । कुल मिलाकर शीतल का परिवार हर मायने मे एक खुशहाल परिवार था। जहाँ ना प्यार की कमी थी ना पैसो की । 




antarvasna hindi story : कॉलेज आते जाते शीतल की राजीव से निगाह चार हुई । राजीव जो एक गुंडा था जिसको कोई काम धाम तो था नही सारा दिन अपनी टोली के साथ चौराहे पर लड़कियां ताड़ता रहता। वही उसने शीतल को देखा शीतल ने उसे । अठारह वर्षीय नवयुवती शीतल के मन मे राजीव को देख कुछ कुछ होने लगा। राजीव को भी शीतल बाकी लड़कियों से अलग लगी जो उसके छेड़ने पर बजाय चप्पल निकालने के मुस्कुराती हुई निकल गई। उसकी मुस्कुराहट ने राजीव के दिल पर छुरियां चला दी । रही सही कसर शीतल के परिवार के बारे मे जानकर पूरी हो गई। अब तो राजीव को शीतल ही वो जरिया नज़र आ रही थी जिससे उसका भविष्य सुधर सकता था। वो तो शीतल के घर मे घर जमाई बन ससुर के पैसो पर ऐश करने के सपने भी देखने लगा था। 

इधर शीतल भी राजीव के साथ भविष्य के सपने सजाने लगी अब पढ़ाई मे तो उसका ध्यान रहा नही बस दिन रात राजीव् के ख्यालो मे ही खोई रहती कभी कॉलेज छोड़ राजीव के साथ घूमने निकल जाती । यहां तक की अपने पिता से अपनी जरूरतों के नाम पर पैसे ऐंठ कर वो राजीव पर उड़ाने लगी। कॉलेज ना जाने और पढ़ाई पर ना ध्यान देने का नतीजा ये निकला की शीतल प्रथम वर्ष मे ही सभी विषयो मे फेल हो गई। उसके माता पिता ने जब इसका कारण पूछा तो उसने साफ कह दिया उसका मन पढ़ाई मे नही लगता। शहर से उसके भाइयो ने भी फोन पर उसे समझाने और पढ़ाई का महत्व बताने की कोशिश की पर शीतल ने तो एक बम्ब धमाका सा कर दिया कि उसे पढना नही है बल्कि राजीव से शादी करनी है। 




सकते मे आ गये शीतल के माता पिता कितने अरमानो से उसे कॉलेज भेजा था पर उनकी बेटी तो वहाँ प्रेम का पाठ पढ़ रही थी। इधर शीतल को लगता था जैसे उसकव माता पिता उसकी हर जिद पूरी करते आये है ये भी कर देंगे । शीतल के पिता ने अपने सूत्रों से जब राजीव के बारे मे जानना चाहा तो उनके पैरो तले से जमीन खिसक गई। एक  सडक छाप गुंडे से वो अपनी पुत्री का विवाह कतई नही कर सकते थे लिहाजा उन्होंने शीतल को साफ इंकार कर दिया। 

porn hindi story : शीतल ने जब इंकार सुना उससे बर्दाश्त नही हुआ जो माँ बाप उसकी हर छोटी से छोटी खुशी हर जिद पूरी करते थे वो उसके जीवन की इतनी बड़ी खुशी को इंकार कर देंगे इसकी उसे उम्मीद नही थी। शीतल प्यार मे इस कदर अंधी हो गई थी कि उसे राजीव अपने लिए हर लिहाज से बेहतर नज़र आ रहा था और माँ बाप उसे अपने प्यार के दुश्मन लग रहे थे । शीतल की माँ ने इस बारे मे उसके भाइयो से बात की और जब उन्होंने शीतल को समझाया तो उसने गुस्से मे यही कहा ” भैया आपने भी तो अपनी पसंद से शादी की है फिर मुझे बोलने का कोई हक नही रखते आप मुझे भी अपने फैसले लेने का हक है बालिग हूँ मैं !” 

शीतल के भाई अपनी छोटी बहन के मुंह से ये बात सुन दंग रह गये और साथ ही समझ गये शीतल से कुछ भी कहना अपना अपमान करवाना है इसलिए उन्होंने अपने माँ बाप पर छोड़ दिया वो उसे कैसे समझाये। इधर शीतल के माता पिता ने उसका घर से निकलना बंद कर दिया उसका फोन भी छीन लिया जिससे वो राजीव से मिलने ना जा सके उससे बात ना कर सके पर शीतल के लिए ये असहनीय था । एक दिन शीतल के माता पिता को एक रिश्तेदार की मौत पर जाना पड़ा वो बाहर से ताला लगा शीतल को अंदर बंद कर चले गये। 




शीतल ने मौका देख घर के फोन से राजीव को फोन कर खिड़की के रास्ते घर बुला लिया। ” राजीव चलो हम कहीं भाग चलते है !” शीतल राजीव से लिपट कर बोली।

” शीतल भाग कर कहा जाएंगे हम जिंदगी जीने को सिर्फ प्यार नही रूपए पैसे और घर की भी जरूरत होती है । तुम अपने माता पिता को समझाओ , उन्हे धमकी दो कुछ भी करो पर उन्हे हमारी शादी को राजी करो !” राजीव कुटिल मुस्कान के साथ बोला। काफी देर तक दोनो करीब रह बाते करते रहे दोनो ऐसे एकांत मे पहली बार मिले थे तो आज उनके बीच की हर दीवार गिर गई। दोनो एक दूसरे मे खोये थे सारी दुनिया से बेखबर । 

तभी घर का दरवाजा खुला और शीतल के माता पिता ने वो देख लिया जो उन्हे नही देखना चाहिए था या यूँ कहे जो एक माँ बाप के लिए बहुत शर्मनाक होता है अपनी बेटी को किसी लड़के के साथ अमर्यादित अवस्था मे देखना । शीतल माता पिता को देख कपड़े ठीक करने लगी और राजीव वहाँ से भाग गया । शीतल की माँ ने उसके ऊपर थप्पड़ो की बरसात कर दी जिसे शीतल दाँत पीसती हुई चुपचाप सहती रही। 

” शीतल की माँ मैं आज हार गया हार गया मैं !” शीतल के पिता ये बोल फफक कर रो दिये। 

” पापा मैं राजीव से बहुत प्यार करती हूँ वो बहुत अच्छा है मैने तो उसे भाग चलने को बोला था पर उसने यही कहा मैं आप लोगो को मनाऊं उसे आप लोगो की इज्जत का ख्याल है इसलिए ही तो।   !” शीतल निगाह नीची किये पिता से बोली।

” उसे हमारी इज्जत नही हमारे पैसे का ख्याल है समझी तुम और वो कोई तुमसे प्यार नही करता वो आवारा तो हर दूसरी लड़की से यही कहता फिरता है ।” उसके पिता बोले।

” नही पापा वो सिर्फ मुझसे प्यार करता है और अगर आपने मेरी उससे शादी ना कराई तो मैं जान दे दूंगी !” इस बार शीतल बाप की निगाह से निगाह मिला बोली।

” जा दे दे तो जान वैसे भी तेरी जैसी बेटी से बेटी ना होना ही भला । कितने खुश थे कि हमारे घर एक बेटी आई है हर नाज़ उठाये तेरे हर जिद पूरी की शायद यही भूल हो गई हमसे । हमारी इसी भूल ने तुझे इतना ज़िद्दी बना दिया कि तुझे अपना अच्छा बुरा भी नही दिखता …चलिए शीतल के पापा ये लड़की तो निर्लज्ज हो चुकी है इससे बात करना भी बेकार है !” शीतल की माँ शीतल से इतना बोल उसके पिता को वहाँ से ले गई। 




शीतल ने माँ के मुंह से जब ये सुना तो उसके तन बदन मे आग सी लग गई बचपन से हर जिद पूरी हुई तो अब क्यो नही ये बात उसे हजम नही हो रही थी वो नही समझ रही थी कि अब सवाल किसी खिलोने , किसी कपड़े का नही है बल्कि उसकी ज़िंदगी का है। वो प्यार मे अंधी हो चुकी थी और जो इंसान प्यार मे अंधा हो जाता है वो या तो खुद के लिए या दूसरे के लिए हानिकारक हो जाता है। माँ के कहे शब्द उसके कानो मे गूंज रहे थे ” जा दे दे जान “

वो सारी रात सोचती विचारती रही और अंत मे उसके दिमाग़ मे एक खतरनाक मनसूबा बनने लगा अब बस उसे जरूरत थी राजीव से बात करने की । जिसकी राह भी उसे अगले दिन ही मिल गई । अगले दिन उसकी सहेली उससे मिलने आई उसने उसी के फोन से राजीव से बात की और आधी रात को अपने कमरे की खिड़की के नीचे मिलने को कहा । रात को चादरों के सहारे वो नीचे आई और राजीव से अपने मनसूबे को ले बात की पहले तो वो डर गया क्योकि वो एक मामूली गुंडा था जो आती जाती लड़कियों को परेशान करता था उन्हे अपने जाल मे फंसा अपनी जरूरते पूरी करता था पर अब बात जान् लेने की थी …जी हां शीतल ने खुद जान देने की जगह अपने माता पिता जो कि अब उसे अपने सबसे बड़े दुश्मन लग रहे थे उनकी हत्या का मनसूबा बनाया था वो भी इस तरह की किसी को खबर भी ना हो। बाद मे राजीव राजी हो गया क्योकि उसे लगा शीतल के माता पिता ना रहे तो ना तो शादी मे कोई अड़चन आएगी और इतनी सारी दौलत मे से हिस्सा भी मिल जायेगा। दोनो ने मिलकर कत्ल की योजना भी बना ली।

” माँ मुझे माफ़ कर दो मुझे अपनी भूल समझ आ गई है अब आप जहा कहेंगे मैं वही शादी करूंगी !” एक दिन शीतल अपनी माँ से आँखों मे आँसू भरकर बोली।




” क्या सच मे …बहुत सही फैसला किया तूने बेटा !” शीतल की माँ खुश हो बेटी को गले लगा बोली। 

शीतल अब अपने माँ बाप के साथ बहुत प्यार से रहती , भाइयो से भी फोन पर बहुत प्यार से बात करती सबको यकीन आ गया था कि शीतल राजीव को भूल अपनी जिंदगी मे आगे बढ़ रही हैं।

” माँ क्यो ना हम लोग हरिद्वार गंगा स्नान को चले इससे मेरे पाप भी कुछ हद तक धुल जाएंगे जो आपका दिल दुखा मैने किये है !” एक दिन शीतल माँ से बोली।

” भूल जा बेटा अब सब कुछ। वैसे तू हरिद्वार जाना चाहती है तो परसो ही चलते है !” उसके पिता ने कहा। 

तीनो अपनी गाडी से हरिद्वार के लिए निकल गये रास्ते मे सुनसान जगह पर घात लगाए राजीव और उसके दोस्तों ने उनकी गाडी पर हमला बोल दिया उन्होंने शीतल के माता पिता और ड्राइवर को मार डाला तथा प्लान के मुताबित शीतल को भी जख्मी कर दिया और वहाँ से भाग निकले । थोड़ी देर बाद वहां पुलिस के गश्ती वाहन ने सडक से दूर कच्चे मे गाडी खड़ी देखी पर कोई हलचल ना देख उन्होंने रुक कर देखा तो गाडी मे से बहता खून देख चौंक गये उन्होंने जब गाडी खोल कर देखा तो हैरान रह गये चार जख्मी लोगो को देखकर जिनपर चाकू के वार थे उन्होंने जब उन सबकी नब्ज़ टटोली तो केवल शीतल जिंदा थी बाकी सब मर चुके थे । तुरंत एम्बुलेंस , फोरेंसिक टीम सबको फोन किया गया और सबसे पहले शीतल को अस्पताल भेजा गया । फिर घटना स्थल की सारी कार्यवाही पूरी कर उन्होंने लाशो को पोस्टमार्टम को भेजा । फोरेंसिक टीम ने भी सुबूत जुटाये । 

उधर शीतल के जख्म ज्यादा गहरे नही थी उससे जब इंस्पेक्टर ने बयान लिया तो उसने यही कहा कि वो लोग हरिद्वार जा रहे थे रास्ते मे कुछ गुंडों ने हमला कर दिया। पुलिस को शीतल की बातो पर कुछ शक होने लगा था क्योकि जहाँ तीन लोगो को बुरी तरह मारा गया वही शीतल के जिस्म पर मामूली जख्म । तभी डॉक्टर ने पुलिस को जो बताया उससे पुलिस का शक शीतल पर गहरा गया। डॉक्टर ने बताया शीतल दो माह की गर्भवती है जबकि शीतल ने पुलिस को पहले ही बताया वो अविवाहित है। 




पुलिस ने शीतल के भाइयो को बुलाया और अपनी तहकीकात शुरु की तभी उन्हे शीतल और राजीव के अफेयर का पता लगा बस पुलिस ने इसी बिंदु पर जांच शुरु कर दी। गाडी मे उन्हे एक घड़ी भी मिली थी जो शायद कातिलों से हाथापाई मे गिर गई होगी। चुंकि पुलिस को राजीव पर शक था तो उसने उसके घर के आस पास की घड़ियों की दुकानों पर पता किया पर उनकी तलाश पूरी हुई उसके घर से काफी दूर के एक मॉल से । बस अब शक की कोई गुंजाईश नही थी पुलिस ने राजीव को उठा लिया इधर शीतल भी ठीक हो गई थी तो उसे भी पुलिस स्टेशन बुलाया गया। राजीव से जब इस बाते पूछा गया तो उसने बहुत आनाकानी की पर जब उसके सामने घड़ी रखी गई तो वो टूट गया कोई शातिर कातिल तो था नही वो तो उसने सब उगल दिया। पर शीतल को बहुत देर लगी अपना जुल्म कुबूल करने मे अंतत वो भी टूट गई । अब दोनो पर केस शुरु हुआ। जिसने भी इस कांड के बारे मे सुना उसके मुंह से यही निकला। ” एक बेटी ऐसा कैसे कर सकती है लोग तो यही कहते है बेटा माँ बाप का दर्द समझे ना समझे बेटी जरूर समझती है पर यहां तो एक बेटी जिसे उसके माँ बाप ने लाडो से पाला उसने अपने ही माता पिता के कत्ल की साजिश रच डाली। 

xxx hindi story : राजीव के सुराख़ देने पर उसके दो साथियो को भी गिरफ्तार कर लिया गया। मामले की संजीदगी देखते हुए राजीव जो की मुख्य मुजरिम था उसे फांसी की सजा मिली । उसके दोनो साथियो को उम्र कैद। यूँ तो इस क़त्ल की असली योजना शीतल ने बनाई थी पर चुंकि वो गर्भवती थी इसलिए उसे फांसी की सजा नही दी जा सकती थी इसलिए उसे भी उम्र कैद मिली। शीतल के भाइयो ने उसे खूब खरी खोटी सुनाई और नफरत से निगाह फेर ली।

” ऐ खाना ले ले !” जेल की कार्यकर्ता द्वारा आवाज़ देने पर शीतल अपनी सोच से बाहर आई। ” रो रही है …जब माँ बाप का कत्ल कराया तब ये आंसू नही आये तो अब क्यो । ये आंसू सजा के है या पछतावे के ?” उसने शीतल से गुस्से मे पूछा । शीतल ने कोई जवाब नही दिया ना ही खाना उठाया वो कार्यकर्ता आगे बढ़ गई।

” शीतल तेरे गर्भ मे बच्चा है जोकि पहले ही नाजायज है उसपर एक खुनी का बच्चा । क्या होगा इसका भविष्य । तुझे सब कुछ मिला प्यार , दुलार , हर चीज तब तू अपराधी बन गई इसे तो सिर्फ तिरस्कार मिलेगी फिर ये किस राह जायेगा। क्यो किया तूने ये सब क्यो तू प्यार मे अंधी हो गई।  तूने ही राजीव को भी मौत के मुंह मे धकेल दिया। कैसे करेगी तू अपने गुनाहो का पछतावा !”  शीतल के मन से आवाज़ आई जो नफरत से भरी थी मतलब इसका मन भी उससे नफरत करने लगा था। 




” नही पछतावा तो करूंगी मैं !” शीतल आँसू पोंछती हुई बोली।

रात गहराने लगी जेल मे अंधेरा और खामोशी पसरी थी। सुबह की पहली किरण जैसे ही निकली जेल मे चिल्लाने की आवाज़ गुंजने लगी। ये आवाजे शीतल के कमरे के सामने वाले कमरे से आ रही थी जहाँ कुछ छोटी मोटी चोरनिया बंद थी। जब जेल का स्टॉफ चीख पुकार सुन वहाँ आया तक स्तब्ध रह गया क्योकि शीतल अपनी ही साडी का फंदा बना लटकी हुई थी। जिसने अपने पछतावे के फलस्वरूप अपनी सजा खुद तय कर ली थी। पोस्टमार्टम के बाद उसके भाइयो ने उसका शव लेंने से इंकार कर दिया लिहाजा जेल कर्मियों द्वारा ही उसका अंतिम संस्कार किया गया।

समाप्त!!!!!

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दोस्तों प्यार अंधा होता है पर क्या इतना कि अपने जन्म दाताओं को ना देख पाए। कैसे कोई औलाद अपने जन्मदाताओं के खून की साजिश रच सकती है । कैसे अपने माँ बाप पर वार करते किसी औलाद का दिल नही पसीजता। क्या शीतल ने जान दे सच मे अपने गुनाह का प्रयाश्चित किया है या खुद को गुनाह की सजा से बचाया है इतनी आसान मौत चुन। इधर मैं सभी माँ बाप से भी कहना चाहूंगी अपने बच्चो को प्यार करो पर उनकी हर जिद पूरी कर उन्हे इतना स्वार्थी भी मत बनाओ की अपनी जिद मनवाने के लिए वो आपके ही कत्ल की साजिश रच दे या खुद को ही नुकसान पहुंचा ले। 

दोस्तों ये एक काल्पनिक कहानी है जिसकी किसी से तुलना सयोग मात्र हो सकती है। अपनी कहानी के द्वारा मैं सभी बेटियों पर ऊँगली नही उठा रही पर फिर भी किसी की भावनाये आहत हुई हो तो मैं क्षमा प्रार्थी हूँ।

#पछतावा

धन्यवाद 

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल

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