Moral stories in hindi : आज सुबह-सुबह ही चाय की चुस्की यों के साथ मेरी नजर सामने की बालकनी पर पड़ी
आज उसमें एक नए पड़ोसी दिख रहे थे
नव दंपति प्रतीत हो रहे थे दोनों बड़े ही खुश थे
जैसे ही मेरी निगाहें उस युवक से टकराई हम दोनों में एक मीठी मुस्कान के साथ एक दूसरे को संबोधित किया
फिर हमारा यही सिलसिला रोज का हो गया पर उन पड़ोसियों के साथ मेरी मुस्कान के अलावा कोई बात ना हुई
आज मेरे घर की कामवाली रमा ताई मुझे बता रही थी मेरे नए पड़ोसियों के बारे में
उन्होंने बताया कि लड़के का नाम राहुल है जो कि भारतीय सेना में जवान और उसकी पत्नी श्रेया बहुत ही सुशील एवं संस्कारी लड़की है दोनों अपने छोटे से परिवार में बहुत खुश हैं
दोनों की नई-नई शादी हुई है दोनों अभी ही यहां रहने के लिए आए थे
आज बाजार जाते वक्त मैंने अनायास ही राहुल जी से उनके परिवार के संबंध में और उनके विषय में
पूछ लिया एक अजनबी के द्वारा एकाएक ऐसे प्रश्न पूछने पर राहुल जी थोड़ा घबरा गए
फिर उन्होंने मुझे बताएं कि वे जौनपुर के एक छोटे से गांव से संबंधित हैं पिताजी किसान है और मां गृहणी है इन्होंने और श्रेया ने प्रेम विवाह किया है इसीलिए घरवालो ने लोक लाज और समाज के डर से अभी तक इनके रिश्ते को सुकृति नहीं दी है
श्रेया जो कि पेशे से संगीत की अध्यापिका हैं राहुल जी उनसे मुलाकात अपने तैयारी के दिनों में प्रयागराज में ही हुई थी संगम के घाट के किनारे अक्सर राहुल श्रेया को वीणा वादन करते हुए देख ही लेते थे
आज नवरात्र प्रारंभ हो रही थी और राहुल ने यह दृढ़ निश्चय कर लिया था की आज वो श्रेया से अपने दिल की बात कह देगा
और आज अनायास ही राहुल की मुलाकात श्रेया से मां अलोप शंकरी के प्रांगण में हो जाती है
राहुल तनिक भी देर न करते हुए तुरंत श्रेया से दिल की बात कह देता है श्रेया भी उसके इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेती है और कहती है कि तुम से तो मैं खुद ही यह कहना चाह रही थी परंतु तुम्हें देखकर थोड़ा डर भी लग रहा था
श्रेया के इतना कहते हैं दोनों जोर से हंस पड़ते हैं
प्रथम तो राहुल अपने परिवार से अपनी और श्रेया की रिश्ते हेतु स्वीकृति ले लेना चाहता था परंतु नेहा के अंतर्जातीय होने के कारण उसके पिता ठाकुर रणधीर सिंह जी मना कर देते हैं
तब दोनों प्रेम विवाह करने का निश्चय करते हैं
आज इनका हमारे पड़ोस में 17वां दिन है
आज राहुल जी अपने ड्यूटी पर जॉइनिंग हेतु लद्दाख जा रहे हैं श्रेया बहुत ही उदास मन जी उन्हें विदा करने जाती है
इन दिनों वह बहुत उदास रहती है
तब मैंने मेरी मां से कह के उनसे बोलने को कह दिया था अब मेरी मां और श्रेया जी की आपस में खूब बनती है आज राहुल जी को गए 1 माह बीत चुके थे
आज सुबह से ही श्रेया बहुत व्यथित थी आज वो जब सुबह हमारे घर पर आई थी तो अनायास ही मां के आलिंगन में सिमट फफक फफक कर रोने लग गई थी
और अभी शाम को जब मैं और मेरी मां श्रेया से मिलने उनके घर गए तब पूरा घर अस्त-व्यस्त था
श्रेया एक कोने पर मासूम बालक की तरह रो रही थी मा ने ममता के अधीर होकर श्रेया को हृदय से लगाया और उससे इन सब का कारण जानने की कोशिश की
अपनापन पाकर श्रेया का धैर्य टूट रहा था उसने और जोर से रोना शुरू कर दिया और हमें जो बताया वो सुन हमारे पैरों तले की जमीन खिसक गई
श्रेया ने बड़ी जोर से राहुल राहुल कहती विलाप करने लगी और हमें बताया कि आज सुबह शत्रु देश के साथ युद्ध के दौरान राहुल शहीद हो गए
यह सुन मैं स्तब्ध रह गया फिर भी मैंने खुद को संभालते हुए राहुल के पिता श्री रणधीर सिंह जी को फोन के माध्यम से इस बात से अवगत किया
तब उनका जो पहला प्रश्न था वह सुन मैं एकदम आवाक रह गया
उन्होंने सर्वप्रथम यही पूछा की मेरी बेटी कैसी है तब मैंने उन्हें श्रेया के सत्य से अवगत कराया
2 घंटे के भीतर ही ठाकुर रणधीर सिंह जी अपनी पत्नी और अपने बड़े बेटे बहु के साथ प्रयागराज में थे आज राहुल की मां श्रेया को पकड़कर अविरल अश्रु बहाए जा रही थी और श्रेया को सांत्वना भी दे रही थी
परंतु श्रेया की स्थिति देख वहां उपस्थित हर एक व्यक्ति मौन था
दूसरे दिन राहुल का पार्थिव शरीर प्रयागराज पहुंचा तब बेजान पड़ी श्रेया में ना जाने कैसी शक्ति का संचार हुआ कि वह राहुल के देह को आलिंगन मे लेकर ब्लॉक करने लगी
अब उसका धैर्य टूट चुका था परंतु अगली क्षण उसने अपने जीवन का सबसे बड़ा त्याग किया
और राहुल के पार्थिव शरीर को साक्षी मानकर यह प्रतिज्ञा की कि वह अपना पूरा जीवन एक सैनिक की विधवा बनकर गुजार देगी
एक 20 वर्षीय लड़की के मुख से ऐसे शब्द सुन सब आवाक रह जाते हैं
सामने इतना बड़ा जीवन और ऐसी प्रतिज्ञा………….
मैं खड़े खड़े यह सोनाक्ष रहा था कि
सामान्य स्त्री करती है सोलह श्रृंगार
पर सैनिक की पत्नी धैर्य और त्याग मिला
करती है कुल अठारह श्रृंगार
आयुष मिश्र (गोपाल जी)
प्रयागराज उत्तर प्रदेश