एक निराला सच ( भाग 1)- माधुरी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : मीरा आज एयरपोर्ट पर अपने मंगेतर अंगद को रिसीव करने आई थी,उसे देख कर अंगद खुशी से उछल पड़ा।वाउ मीरा तुम तो ऐसे सज धज कर आई हो मानो आज ही शादी के मंडप में बैठने जारही हो।

कौन जाने हमारी आज ही शादी होजाय,और तुम्हारे लिए तो एक और भी सरप्राइज है ,जिसको सुन कर तो तुम दोबारा खुशी से उछल पड़ेंगे।यह तो तुमको घर पहुंचने पर ही मालूम पडेगा,मीरा ने कहा।

ओह ,मीरा अब वताभी दो क्या सरप्राइज है,मुझ सताने की आदत अभी तक गई नही है तुम्हारी,देखना शादी के बाद मैं इन सब शरारतों का गिन गिन कर बदले लूंगा।इसी तरह बातचीत करते अंगद का घर आगया।घर के अंदर घुसते ही सबने उसका स्वागत किया,परंतु मां को न देखकर उसका माथा ठनका।

भला मां मेरे स्वागत के लिए क्यों नहीं आई।तभी उसकी नजर घर के आंगन में बने दो मंडपों पर पड़ी,उसका मन असमंजस में था कि भला दो मंडप क्यों बनाए गए हैं।अगले ही क्षण उसने देखा कि उसकी मां भी दुल्हन के जोड़े में सजकर मंडप की तरफ आ रही हैं,साथ ही उनके घर में पी जी बन कर रह रहे शर्मा अंकल भी शेरवानी पहने वसिर पर सेहरा बांधा नजर आए।

अब अंगद के माइंड में सब कुछ क्लीयर हो चुका था,कियह सब उसकी मंगेतर मीरा का ही किया धरा है।क्योंकि मीराने हीअंगद को यकीन दिलाया था कि हम दोनों की शादी के साथ ही मां की भी शादी करवा देंगे। ताकि वे भी अपनीशेष जिंदगी खुशी से बिता सकें।अब अंगद के दिल में मीरा के लिए और अधिक प्यार उमड़ आया। वाकई मीरा ने अपने कहे को सच कर दिया था। क्योंकि विदेश जाने से पहले अंगद मां के अकेलेपन को लेकर को लेकर बहुत चिंतित था।

उस समय मीरा ने ही उसे यह सुझाव दिया था कि मां की भी दोबारा शादी करवा देते हैं ,इस बात को सुन कर अंगद मीरा से नाराज़ होकर कहने लगा था कि विना सोचे समझे कुछ भी ऊटपटांग बोलती रहती हो।भला इस उम्र में मां शादी के लिए क्यों व कैसे राजी हो सकती है।लेकिन आज अगंद इस निराले सच पर यकीन करकेबहुत खुश था , सिर्फ अपने लिए ही नही बल्कि अपनी मां केलिए भी।क्यों कि उ सके विदेश जाने की खबर सुन कर मां खुंश तो थी लेकिन अकेले रहने का सोचकर उदास भी थीं।अंगद के माइंड में पिछला सब कुछ किसी फिल्मी रील की तरह घूमने लगा था।

जैसे ही अंगद के बॉस चौहान सर ने उसके प्रमोशन की ख़बर अनाउंस की,सारा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा क्यों की प्रमोशन के साथ साथ उसे ऑफ़िस की तरफ़ से 1 प्रॉजेक्ट के सिलसिले में २ साल के लिए शिकागो भेजा जा रहा था अंगद की टीम वर्क की नेचर व जॉव के प्रति डैडीकेशन कीआदत ने ही सिर्फ़ २ साल मैं ही उसे इस प्रमोशन का हक़दार बनाया था।उसके प्रमोशन से सभी बहुत ख़ुश थे.

“ वाउ यू आर सो लकी अंगद “तेरी तो लॉटरी खुल गयी यार उसके ख़ास दोस्त नितिन ने उसके कंधे पर धोल जमाते हुए कहा उसके कहने पर अंगद थोड़ा सा मुस्कराया “ चल पार्टी दे बढ़िया सी “ नितिन फिर बोला

तभी चौहान सर अंगद की तरफ आए ,क्या हुआ यंग वॉय ,इतनी बड़ी ख़ुशख़बरी सुनकर तुम ख़ुश नहीं नज़र आ रहे “एनी प्रॉब्लम “ नो -नो सर नथिंग कहते हुए न चाहते हुए भी उसकी ज़बान लड़खड़ा गई .

नो एवरी थिंग इज़ नॉट ओके तुम्हारा चेहरा कुछ और कह रहा है और आँखें कुछ और ही बयां कर रही है तुम अपनी प्रोबलम शेयर कर सकते हो शायद मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ

ओके सर थैंक्स सो नाइस ऑफ यू .

घर जाओ पार्टी करो और अपनी इस ख़ुशी को एंजॉय करो,चौहान सर ने कहा

चौहान सर के कहने पर अंगद मिठाई का डब्बा लेकर घर पहुँचा और माँ को गुड न्यूज़ सुनाई ,माँ तेरी बरसों की मेहनत ने रंग दिखा दिया है मुझे आज प्रमोशन मिला है और साथ ही 2 साल के लिए विदेश जाने का मौक़ा भी  .

उसकी माँ मानसी के चेहरे पर प्रमोशन की बात सुनकर ख़ुशी की लहर दौड़ गई परंतु दूसरे ही क्षण दो साल के लिए शिकागो जाने की बात सुनकर चेहरे पर कई रंग आये और गए .

अगला भाग

एक निराला सच ( भाग 2)- माधुरी : Moral Stories in Hindi

स्व रचित व मौलिक

माधुरी

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