बहू का अनर्थ- सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

” अरी ओ बहू, ये  क्या अनर्थ कर दिया तुमने |” सास शोभा जोर से  चिल्लाकर बोली  |

      ” क्या हुआ मम्मी? क्या किया मैनें |” बहू  नीता पास आते हुए हडबडाकर बोली |

       ” ये मैंने तुम्हें पूजा के लिए प्रसाद बनाने को कहा था |  प्रसाद बनाकर  पूजा के लिए रखना था ना | तुमने पहले इस भिखारिन  के बेटे को पूड़ी  क्यों दे दिया ? ” शोभा जोर से बोली  |

         ” मम्मी, इसे जोर से भूख लगी थी | यह भूख से रो रहा था | इसकी माँ  रो रोकर 

गुहार लगा रही थी कि बच्चा बहुत भूखा है, कुछ खाने को दे दो | मैं बाहर आई और बच्चे को भूख से रोते देखा तो मुझे बहुत दया आई |इसीलिए मैंने इसे पूडिया  दे दी | ” नीता ने मम्मी को बताया |

         ” अरे तो दो चार बिस्कुट दे देती | ” शोभा तुरंत बोली | 

          ” मम्मी, बिस्कुट खाने से पेट भरता क्या? फिर घर में बिस्कुट नहीं था,खत्म हो गया था |” नीता धीरे से बोली |

        ”   तो क्या तुम्हें पता नही कि प्रसाद पहले भगवान् को चढाया जाता है, न कि पहले कोई इंसान खाता है | काम कुछ करना नहीं,बस बोलती रहती है |” शोभा चिढकर बोली |

         ” मम्मी जी, मैंने सारा प्रसाद बना दिया है |”नीता झट बोली |

        ” अच्छा अच्छा, बहस मत कर | ज्यादा होशियार बनने की जरूरत नहीं है | कुछ करने के पहले मुझसे पूछ तो लिया कर | आता – जाता तो कुछ है नहीं, सिर्फ बहस करना सीखा है | ” शोभा और जोर से बोलने लगी | 

        ” क्या हुआ मम्मी, क्यों गुस्सा कर रही हो? ” शोभा का बेटा नवीन आ गया | 

        “यह तो अपनी पत्नी से पूछो | क्या किया इसने ? समझती- बूझती कुछ है नहीं, सिर्फ जबाब देना जानती है | ” शोभा अभी भी गुस्से में थी | 

        ” अरी भाग्यवान, जरा मुझे भी तो बताओ, हुआ क्या? क्या किया बहू ने? ” नवीन के पिता  राजेश भी आ गये |

         ” अरे होना क्या है | आज घर में पूजा है | मैंने बहू को पूजा के लिए प्रसाद बनाने को बोला था |  प्रसाद पहले भगवान् को चढाया जाता, फिर कोई खाता | इसने तो भगवान् को प्रसाद चढाने के पहले ही इसमें से निकाल कर  भिखारिन के बच्चे को दे दिया |  ” शोभा गुस्से से बोले जा रही थी |

        ” सुनो शोभा, प्रसाद पहले भगवान् को चढाया जाता है,पर तुम इतना पूजा-पाठ करती हो तो क्या तुम्हें पता नहीं है कि बच्चे भगवान् का रूप होते हैं | क्या हुआ जो बहू ने बच्चे को  इसमें से कुछ पूडियां दे दी | तुम तो जानती हो भूखे को भोजन देना , प्यासे को पानी पिलाना और किसी जरूरतमंद की मदद करना किसी पूजा से कम नहीं है | तुम  खुद इतनी समझदार हो, फिर भी यह बात नहीं समझ पाई |  इस बच्चे  को पूडियां देने से भगवान्  कभी नाराज नहीं होगें |  सभी मनुष्य भगवान् की संतान हैं | वे तो खुश हो रहे होगें कि इस ने उनके एक संतान की भूख मिटाई | इस बच्चे और माँ का ह्रदय भी 

 आशीर्वाद दे रहा होगा | नर सेवा , नारायण सेवा है | तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम्हारी बहू अच्छी है | उसका ह्रदय  दया, ममता , सदगुण से भरा है और वह दूसरो के लिए इतना सोचती है, वरना तो आजकल लोग अपनों के लिए भी नहीं सोचते हैं |”राजेश जी ने शोभा को समझाते हुए कहा |

         “पर  –” शोभा ने कुछ कहना चाहा तो बीच में ही राजेश जी फिर बोले -“पर, वर कुछ नहीं | बहू पर गुस्सा करना छोडो और शांत मन से पूजा करो |”

        “हाँ आप ठीक कह रहे हैं |  मुझे समझ आ गया | बहू ने अनर्थ नहीं किया  है | चलो बहू अब हमसब पूजा करें | आपलोग भी तैयार होकर जल्द आ जाइये |” शोभा ने शांति से कहा | 

         ” मम्मी, आप बहुत अच्छी है ं |” नीता ने शोभा के पैर छूते हुए कहा |

         ” चल, चल अब पूजा करने चल|”शोभा  हंसने लगी | उसकी हंसी देखकर सब हंसने लगे |

# ये  क्या अनर्थ कर दिया तुमने

स्वलिखित और अप्रकाशित

सुभद्रा प्रसाद

पलामू, झारखंड |

4 thoughts on “बहू का अनर्थ- सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi”

  1. अच्छी कहानी है मोटिवेट करना अच्छी बात है

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