मदद नही जिम्मेदारी -संगीता अग्रवाल । : Moral Stories in Hindi

 नमन यार उठो ना जल्दी देखो कितनी देर हो गई तुम जरा ये बेड ठीक कर दो मैं इतने कमला को रसोई मे बर्तन खाली करके दे दूँ !” रितिका पति को उठाते हुए बोली।

” क्या यार तुम भी थोड़ा सा सोने नही देती !” नमन झुंझला कर उठता हुआ बोला।

” नमन तुम्हे पता है मुझे तुमसे पहले ऑफिस के लिए निकलना होता है इस बीच खाना बनाने से ले कमला से बर्तन , सफाई भी करवानी होती है !” रितिका बोली।

” हां…हां ठीक है तुम अकेले ही तो नौकरी और घर नही संभालती और भी औरते करती है पर वो पति से मदद नही लेती !” नमन बोला और चादर ठीक करने लगा। रितिका के पास इतना समय नही था कि वो नमन से बहस करती इसलिए चुपचाप रसोई मे आ गई वैसे भी ये पहली बार तो था नही । नौकरी के सिलसिले मे दोनो घर परिवार से दूर रहते थे और एक साल की शादीशुदा जिंदगी मे रितिका सौ बार ये बात सुन चुकी थी। इसे हमारे समाज की सोच कहो या पिछडी मानसिकता कुछ पुरुषो को आज भी घर के काम करना शान के खिलाफ लगता है भले औरत खुद से भी ज्यादा कमाती हो वो चाहता है औरत घर और ऑफिस दोनो संभाले। कभी देर होने पर रितिका नमन से थोड़ी बहुत मदद को बोल भी देती तो वो या तो मदद करता ही नही या काम कम करता सुनाता ज्यादा।

” नमन कल ऑफिस मे मेरी एक प्रेसंटेशन है इसलिए मुझे जल्दी जाना होगा तुम जल्दी उठकर मेरी मदद कर देना वरना खाना तुम्हे बाहर खाना पड़ेगा !” कुछ दिन बाद रितिका बोली।

” यार रितिका तुम जल्दी उठकर बना देना तुम्हे पता है मुझे बाहर खाना पसंद नही और मैं थका हुआ आया हूँ तुम मुझे जल्दी उठने को बोल रही हो !” नमन झुंझला कर बोला।

” थकी मैं भी हूँ नमन तो क्या होगा तुम जल्दी उठकर मेरे साथ थोड़ा काम करवा दोगे !” रितिका भी थोड़ा गुस्से मे बोली।

” मैं तुम्हारी पहले से ही बहुत मदद करवा देता हूँ मेरे दोस्त तो इतना भी नही करते समझी तुम !” नमन चिल्लाया।

” मदद !! कैसी मदद करवाते हो मेरी जरा बताओगे ?” उसकी बातो से चिढ़कर आख़िरकार रितिका ने पूछा।

” ये जो सुबह चादर ठीक करता हूँ , कितनी बार सब्जी दूध लेकर आता हूँ । कभी तुम जल्दी ऑफिस जाती हो तो पीछे से कमला से काम करवाता हूँ ये मदद नही तो ओर क्या है !” नमन चिढ कर बोला।

” अच्छा ये मेरी मदद है ??” रितिका मुस्कुरा कर बोली।

” और नही तो क्या …तुम्हे लगता है ये मदद नही तो आइंदा मत कहना मुझे ये सब करने को समझी !” नमन पूरी तरह चिढ चुका था।

” पति देव ये बताइये ये घर किसका है , कौन इसमे रहता है , कौन बेड पर सोता है , किसका खाना बनता है यहाँ , दूध कौन इस्तेमाल करता है !” रितिका अभी भी मुस्कुरा रही थी।

” ये कैसा सवाल है जाहिर सी बात है ये घर दोनो का है दोनो ही यहां रहते , खाते और सोते है !” नमन व्यंग्य भरी हंसी हँसते हुए बोला।

” जब घर दोनो का , दोनो खाते , पीते ,सोते है यहाँ तो फिर यहाँ की जिम्मेदारी भी तो दोनो की हुई या नही हुई।” रितिका बोली।

” तो मैं अपनी कौन सी जिम्मेदारी नही निभा रहा बताओगी जरा ?” नमन बोला।

” जिसे तुम मदद बोल रहे हो ना मेरी ये भी तुम्हारी जिम्मेदारी है । घर दोनो का है तो इसके काम दोनो की जिम्मेदारी है इसमे तुम कोई मेरी मदद नही करते तो ये मदद का झूठा राग गाना बंद करो !” रितिका अबकी बार गुस्से मे बोली।

” घर संभालना तो औरतों की जिम्मेदारी होती है आदमी तो मदद ही करते है ना !” नमन बोला।

” कौन से जमाने की बात कर रहे हो !! तब पत्नियां घर से बाहर बराबर से कमाती नही थी इसलिए घर की जिम्मेदारी उनकी थी और कमाने की जिम्मेदारी पति की । पर अब जब दोनो कमाते घर के खर्चे मे दोनो अपनी जिम्मेदारी निभाते तो घर के काम भी दोनो की जिम्मेदारी है समझे तुम सोच बदलो पति देव तभी पुराने विचार बदलेंगे हमसफर बने हो तो हमसफर का मतलब भी समझो  !” रितिका ये बोल सोने को लेट गई। किन्तु नमन हैरान सा बैठा रहा क्योकि बात तो सही कही थी रितिका ने । घर की किश्ते हो या घर के बाकी खर्चों की जिम्मेदारी रितिका बराबर से उठा रही है फिर वो क्यो नही अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभा रहा जबकि रितिका घर मे भी पूरा काम करती है और वो बस छोटे छोटे काम करता है उसमे भी मदद मदद का राग अलापता है। कैसा हमसफर है वो ? यही सब सोचते सोचते उसे नींद आ गई। 

” रितिका उठो लो कॉफी पियो ऑफिस को देर हो जाएगी वरना !” सुबह रितिका को उठाते हुए नमन बोला।

” अरे कॉफी तुमने बनाई है !” रितिका हैरानी से बोली।

” हाँ क्योकि मदद और जिम्मेदारी का फर्क सीख गया हूँ मैं चलो अब जल्दी से पीकर उठो फिर दोनो मिलकर खाना बनाते है !” नमन बोला तो रितिका मुस्कुरा दी । 

दोस्तों घर पति पत्नी दोनो का होता है पर पति छोटे मोटे काम करने पर अक्सर पत्नियों को मदद का ताना देते रहते है जबकि वो मदद नही करते बल्कि अपनी जिम्मेदारी निभाते है और पति पत्नी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे तभी तो हमसफ़र कहलायेगे। 

क्या आप मुझसे सहमत है ? 

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल

#हमसफ़र

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