डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -10)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

नैना —

जब अगली सुबह नैना स्कूल जाने के लिए तैयार होने लगी तो उसके कदम आगे ही नहीं बढ़ रहे हैं।

किसी तरह उठी चेहरा रुआंसा हो रखा है। जिसे देख कर जया ने ,

तू इतनी सुस्त क्यों और डरी हुई सी क्यों है ?

” कुछ नहीं दीदी, सब ठीक तो है आपमें ना यह वक्त- बेवक्त जासूसों वाली आत्मा किस तरह घुस जाती है ?

कहती हुई निकल गई।

उसे याद आ गया था।  बुक तो हिमांशु सर के घर टेबल पर ही छूट गई थी।

आज नैना ने मैथ्स के क्लास में नोटिस किया । हिमांशु सर ने उसे कितनी दफा नजर चुरा कर देखा है।

अब जो होगा वो देखा जाएगा यह सोच कर नैना ने सिर झुका लिया।

हिमांशु — नैना बाकी सब ने कौपी जंचवा लिए हैं। एक तुम्हारा ही रह गया है। तुम एक्स्ट्रा क्लास लेने के लिए आ जाना।

‘ मैं अकेली ? ‘ नैना को इस ख्याल से ही अंदर तक गुदगुदी हो आई। कुछ अंजाना अजीब सा भय भी हुआ।

” आज तुम्हारे सारे सवाल हल कर दूंगा।

” सर! वो … वो मैं ” नैना हकलाने लगी थी मैं।

” क्या हुआ कुछ परेशानी है ? “

” नहीं , जी नहीं सर कोई परेशानी नहीं है “

” फिर ठीक है तुम पहुंचो मैं आ रहा हूं “

सच है कि, यह उम्र ही ऐसी होती है।

जब चांद को पाने की चाहत में दिल पागल हो जाता है पर साथ ही उस पर जाने के ख्याल से मन सिहर भी उठता है।https://www.betiyan.in/darling-kab-milogi-part-11/

इस समय नैना के साथ ठीक यही हो रहा है ।

‘ हिमांशु ‘ नैना के लिए चांद है । उसकी कमसिन आंखों में पनपता ख्वाब है।

नैना को विधाता ने बहुत प्रेम से मुलायम मिट्टी से गढ़ा है।  वो अभी स्कूल में ही पढ़ रही है। लेकिन ‌‌‌‌‌खूब सुंदरता से पनपती हुई बढ़ती जा रही थी।

नैना की सोच थोड़ी उलझी हुई जरूर है

लेकिन वह बहुत उम्दा सोच रखती है।

बेवजह की टोका- टाकी, छल- प्रपंच और गैर जरूरी बंदिशें जिसे जया  सिर झुका कर चुपचाप मान लिया करती है, नैना को मान्य नहीं है।

वह जया के ठीक  विपरीत अपने लिए एक उन्मुक्त और खुला हुआ आसमान चाहती है।

जिसमें बेरोक – टोक उड़ सके, एक ऐसी उड़ान जो उसके मन की रफ्तार से भी तेज हो।

उसके परिवार ने नैना के मन की इस उड़ान की कल्पना सपने में भी नहीं की होगी।

”  कि यह बित्ते भर की छोकरी नैना!  एक दिन उनके सहयोग के बिना ही अपने लिए स्वयं रास्ता ढूंढ निकालेगी ‌”

उसका जिक्र आते ही अक्सर पिता गहरी सांस लेकर बोलते हैं,

— अपने हाथों से सींचे हुए विष – वृक्ष को मैं किस प्रकार से काट दूं  ?

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