डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -112)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

आजकल नैना को नींद नहीं आती। अगर कभी भूले- भटके आ भी गई तो एक सपना आता है।

जिसमें वह एक खाई के पास खड़ी रहती है। खाई में बहुत पानी भरा है, जिसकी दूसरी ओर कोई एक आदमी हाथ में मटका रख कर खड़ा है।

फिर वह आदमी हाथ में पकड़े मटकों को एक- एक कर खाई की दीवार से टकरा कर उसे चकनाचूर कर देता है।

नैना नींद में ही सुबकती हुई कितने भी हाथ-पैर मारती हुई अंदर धंसती चली जाती है। वापस बाहर लौट कर नहीं आ पाती है।

एक दिन शोभित ने उसे टटोलते हुए ,

“दुनिया में कुछ भी बेवजह नहीं होता है, तुम हाथ बढ़ा कर तो देखो “

कितने दिन बीत गए किसी ने नैना को इस तरह टटोला है।

उसकी गहन दृष्टि उसे अंतस में उतरती हुई लगी।

“इस समय तुमपर जो बीत रही होती है उससे पूरी तरह वाकिफ हूं। मेरी  सम्वेदना पूर्णतया तुम्हारे साथ हैं

… नैना

” शोभित! अगर मेरे साथ हिमांशु का अंश न पल रहा होता,

तो मैं कब से इस जीवन से मुक्ति मांग लेती।

खुशी-खुशी न सही, दुःख और अफसोस से ही।

बहुत सारी मुश्किलें हैं शोभित,

अब देखो ना चूंकि मैं हिमांशु से रिश्ता नहीं जोड़ पाई तो उसे तोड़ भी नहीं सकती।

हिमांशु की छाया इस कदर बोझिल और वजनी है।

मैंने तो उसे बचाने के हर दम प्रयास किए वह वापस लौट भी रहा था। पर परिपक्व  नहीं होने की वजह से उसने अपने भावनाओं पर आधारित अपनी अलग ही दुनिया रच ली थी। मालूम नहीं इसके लिए कौन दोषी है,

“मां-बाप का विघटन या माया की अतिशय अनुशासन प्रियता

ईश्वर जानें ?

हिमांशु जैसे सीधे – सादे लोग अक्सर ऐसे खेल में फंस कर दबे-कुचले जाते हैं। सिर्फ उसे ही दोष क्यों दूं ?

मैंने, माया ने , पिता ने सबने अपने खुद के मापदंड तैयार कर पंचमेल खिचड़ी पकानी चाही।

अब इतना सारा बोझ और वजन ढ़ोते हुए तुमसे रिश्ता भले कायम कर लूं मगर वह तुम्हारे और इस नवागत के लिए सही नहीं होगा।

इसके बावजूद, शोभित तुम्हारी दोस्ती मेरे लिए बेहद बेशकीमती है।

कितनी बेशकीमती है यह तुम्हें कैसे समझाऊं ?

सोच कर देखो, चाहो तो किसी भी अच्छी भली लड़की के साथ शादी करके सुखी रह सकते हो। मुझे भी शांति मिल जाएगी।

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