डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -111)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

बहरहाल …

सेंटर से निकल कर सीधा घर पहुंचा था। वहां बहुत जतन से रखे हुए पिता पत्र ले कर निकलने जा ही रहा था कि वहां माया को देख कर ठिठक गया। उसे शायद नैना ने मेरे सेंटर से ठीक होकर निकलने की सूचना दी होगी।

मैं अचानक उसे देख कर थोड़ा असहज हो गया,

“तुम ?”

“हां तुम्हें सरप्राइज देना चाहती थी पर यहां तो तुमने ही मुझे सरप्राइज दे दिया “

स्थिति की विडंबना!  मैं लाचार हो उठा।

इसके द्वारा नैना को पता लग जाएगा।

मेरी सारी प्लानिंग पर पानी सा फिरता लग रहा था। लग रहा था दिमाग की नसें तड़क कर फट जाएंगी।

माया को ना जाने किस तरह मेरे अंदर चल रहे भयंकर उथल- पुथल और  पलायन करने की भनक लग गई थी

उसने कहा ,

” हिमांशु थोड़ा व्यवहारिक बनों, सच का सामना करना बेहतर होता है “

मैं सिहर उठा

अब और भावनाओं के जंगल में नहीं बहना चाहता।

चौंक कर उसे देखा।

उसका आक्रोश आंखों से छलक रहा था।

” तुमने नैना की उम्मीदें तोड़ी हैं। अब उसके साथ विश्वासघात करने की सोच रहे हो “

“तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है? मेरा स्वर दुर्बल था।

” यही तो रोना है ! गलत इंसान के साथ समझौता करने से उसे धोखा ही मिलेगा …  “

आगे बोलती हुई चुप हो गई।

हिमांशु का चेहरा जर्द पड़ गया उसने चेहरा नीचे झुका लिया था।

आजकल नैना का मन किसी काम में नहीं लगता। उसका चेहरा भी उतर गया है रिहर्सल भी ठीक से नहीं कर पा रही है।

एक दिन जब घर पर ही वो शोभित के साथ संवाद  बोलने  की प्रैक्टिस कर रही थी उसका फोन बज उठा,

फोन पर माया की घबराई हकलाती आवाज,

“क्लब रोड वाले स्विमिंग पूल में लाश मिली है” आगे कुछ बोल नहीं पाई।

जिसे सुनकर मुर्च्छित हो कर गिरती नैना को पास में ही बैठे शोभित ने बढ़कर थाम लिया था।  उसके हाथ से फोन ले कर,

” क्या कहा ?”

” कुछ नहीं शोभित, कह तो दिया माया ने पर फिर एक ठंडी सांस ली।

” कोई बात तो जरूर है कहिए ना “

” विश्वास नहीं कर पा रही हूं, वो दरअसल पूल में एक लाश मिली है “

शोभित ने फोन रखा और बाहर निकल गया पीछे बदहवास सी नैना भी है।

पूल के पास लगी हुई लोगों की भारी भीड़ को चीरती नैना जमीन पर पड़ी लाश के निकट जा पहुंची।

जहां पीली शर्ट और नीली जींस में हिमांशु के स्पंदन विहीन शरीर को एक बार छू कर देखना चाह रही है।  जिसके स्पर्श के निशान अभी भी उसके शरीर पर जहां – तहां बिखरे हैं।

वह वहीं बैठ गई थी,

हौले से अपने नन्हे उभरे पेट को थाम

हिमांशु पर प्यार से इधर-उधर हाथ फिराती हुई नैना को लगा था,

” एक बार फिर उसके शरीर के नस-नस को अपनी गर्म उष्मा वाली बिजली की करेंट दौड़ा कर शायद जीवित कर पाएगी “

पर बर्फ से ठंडे पड़े हिमांशु के शरीर का स्पर्श उसे सिहरा गया।

भीड़ बढ़ने लगी है।

शोभित ने उसे बांहों के घेरे में ले लिया और बढ़ती भीड़ की चुभती हुई निगाहों से बचाते हुए निकाल कर गाड़ी की तरफ ले चला है।

थोड़ा रुक कर नैना ने फिर पलट कर भीड़ में ओझल होते हिमांशु की ओर देखने की कोशिश की है।

आगे…

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