“प्रतिरोध” ( भाग 2)- डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral stories in hindi

बुआ बनारसी साड़ी पहनकर माथे पर आँचल डाले बाहर निकली। ये बनारसी साड़ी की भी एक कथा है । बुआ जब विदा होकर ससुराल आई थी तब मैके वाले ने अपने हैसियत से ढेरों साड़ियां दी थीं पर उसमें बनारसी साड़ी नहीं थीं। दुल्हन को साधारण चुनरी में देख बुआ के सास ससुर भड़क गए। … Read more

“प्रतिरोध” ( भाग 1)- डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral stories in hindi

मानसी बुआ आज बहुत खुश थीं। चंदेरी साड़ी और बालों में गजरा लगाए वह पूरे हवेली में चक्कर लगा रही थीं। खुश होने का कारण भी था उनके बेटे की शादी जो तय हो गई थी। सगुन का दिन आज के लिए ही निकल आया था। लड़की वाले पंहुचने वाले थे।  इतने सालों के बाद … Read more

 मोह पाश से मुक्ति (भाग 2)- शुभ्रा बैनर्जी

मानसी और मानव ने एक दूसरे को आश्वासन दिया था कि इस रिश्ते का असर दोनों परिवारों पर कभी नहीं पड़ेगा।समय बीतने के साथ-साथ यह रिश्ता और मजबूत होने लगा था।दोनों ने मिलकर बहुत सारी योजनाएं बनाईं थीं।कब मिलेंगे,कैसे मिलेंगे,कहां मिलेंगे? आज उसने आखिरकार तय कर ही लिया कि दोनों बनारस में मिलेंगे,उसके घर से … Read more

 मोह पाश से मुक्ति (भाग 1)- शुभ्रा बैनर्जी

मानसी ने कभी सोचा भी नहीं था, कि इतनी कमजोर पड़ जाएगी वह उसके सामने।कितनी दलीलें दे डाली उसने इस बेमेल रिश्ते के बारे में,पर वह तो कुछ सुनना ही नहीं चाहता था।अपनी ज़िद पर अड़ा रहा मानव।मानसी ने कितनी लड़ाई की,हर तरीके से समझाया,पर हार गई उसके प्रेम के आगे।एक पत्रिका में छपी कविता … Read more

 ये कैसा दर्द दिया पिया तूने मोहे ? (भाग 3) – बेला पुनिवाला 

लेकिन आज तो माया का दिल एक दम से टूट ही गया, उसके इतनी कोशिश के बावजूद भी मनोज उस से दूर ही रहता। माया के अंदर  जैसे युद्ध चल रहा था, इतने सालो में उसने मनोज के लिए क्या कुछ नहीं किया ? एक के बाद एक सब याद आने लगा, जो दर्द माया … Read more

 ये कैसा दर्द दिया पिया तूने मोहे ? (भाग 2) – बेला पुनिवाला 

 मनोज का मैसेज पढ़ते ही माया की जान में जान आई, कि चलो मनोज ठीक तो है ! लेकिन दूसरे ही पल माया के दिल में ये ख्याल आया, कि ” ऐसी भी क्या जल्दी जाने की, मैं अपने बच्चों की बजह से ही तो लेट हुई थी, क्या मनोज मेरा इतना भी इंतज़ार ना … Read more

 ये कैसा दर्द दिया पिया तूने मोहे ? (भाग 1) – बेला पुनिवाला 

    मनोज ज़ोर से आवाज़ लगाता है, ” माया, चलो भी अब, तुम्हें तैयार होने में कितनी देर लगती है ? शादी में मेरे सारे दोस्त पहुँच गए है और उन सब का फ़ोन आ रहा है, कि ” तुम कब आओगें ? मेरे दोस्त की बारात भी वहांँ से निकल गई है और हम अब … Read more

“भेद नजर का”(भाग 2 ) – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

शहर के एक महंगे होटल में लड़की देखने की व्यवस्था लड़की वाले ने की थी। लड़की तो समान्य थी। नयन नक्स भी उतने तीखे नहीं थे   लेकिन उनके  खातिर दारी और तैयारियों के चकाचौंध में सभी ने लड़की पसंद कर लिया। लड़की के पिता ने बिन मांगे ही बिदाई में उपहारों की ढेर लगा … Read more

“भेद नजर का”(भाग 1) – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

सीमा सुबह से तैयारियां कर रही थी। सबके लिए  नाश्ते बनाने के बाद उसे खुद के लिए तैयार होना था। काम इतना बढ़ गया था कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। सासु माँ बार- बार किचन में आकर बोल रही थीं “-  बहू जल्दी करो,जल्दी से काम निपटा लो और तैयार … Read more

संस्कार नहीं दिए क्या •••• (भाग 2)- अमिता कुचया 

अब रौनक को भी गुस्सा आ गया। वह कहने लगा ” क्यों इतनी देर से बकवास किए जा रही हो। तुम्हें फ्लैट भी चाहिए और  देखने  भी चलना नहीं है ,तो बाद में तुम मुझे दोष मत देना। ऐसा नहीं है या वैसा नहीं है।” फिर सासुमा ने कहा -“बेटा थोड़ी देर से हम सब … Read more

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