ये कैसा दर्द दिया पिया तूने मोहे ? (भाग 1) – बेला पुनिवाला 

    मनोज ज़ोर से आवाज़ लगाता है, ” माया, चलो भी अब, तुम्हें तैयार होने में कितनी देर लगती है ? शादी में मेरे सारे दोस्त पहुँच गए है और उन सब का फ़ोन आ रहा है, कि ” तुम कब आओगें ? मेरे दोस्त की बारात भी वहांँ से निकल गई है और हम अब तक घर में ही है। “

      माया ने ऊपर के कमरें से आवाज़ लगाकर कहा, कि ” हांँ, बस ५ मिनिट ओर। मुन्नी को दूध पीला दिया और दवाई भी पीला दी है, आज उसे थोड़ा बुखार लग रहा है और छोटे को होमवर्क भी करा दिया है, उन की स्कूल यूनिफार्म भी मैंने प्रेस कर दी है, मुन्नी अभी बस अब सो ही जाएगी, उसे अच्छे से सुलाकर ही हम जाएंगे, वार्ना मुझे अपने पास ना पाकर वह बहुत रोएगी। उसके बाद हम निकलते है। आप को तो पता ही है, कि मेरे बिना उसे नींद नहीं आती। मैं बस मुन्नी को सुलाकर अभी आई, तब तक तुम नीचे  t.v देखो। “

         माया की बात सुनकर मनोज बड़बड़ाता है, ” इसका तो हर वक़्त यही बहाना रहता है, कहीं भी जाना हो तो मुन्नी को ये और मुन्ना का ये। मेरे बारे में तो कभी सोचती ही नहीं। वहांँ शादी में मेरे सब दोस्त मेरा इंतज़ार कर रहे है, और शादी में सब मज़ा कर रहे होंगे। चलो आज माया को अपने मुन्ना और मुन्नी को सँभालने दो, मैं अकेला ही शादी में चला जाता हूँ, वार्ना माया के इंतज़ार में वहाँ मेरा दोस्त घोड़ी पे चढ़कर शादी भी कर लेगा और मैं यहीं का यहीं रह जाऊंँगा। सब माया के बारे में पूछेंगे, तो सब को बता दूंँगा, कि मुन्नी और माया की तबियत ठीक नहीं है, इसलिए वे दोनों शादी में नहीं आ पाए, वैसे भी वहांँ माया किसी से कुछ खास बात तो करती नहीं, बस चुप चाप खड़े रहकर सब को देखती रहती है। ” ऐसा सोचते हुए मनोज अकेले ही शादी में चला जाता है। 

        इस तरफ कुछ देर बाद माया अपनी मुन्नी को सुलाकर शादी में जाने के लिए अच्छे से तैयार होकर नीचे आती है, नीचे ड्राइंग रूम में t.v तो चल रहा था, मगर मनोज वहांँ नहीं थे, माया ने मनोज को आवाज़ लगाई, इधर-उधर, रसोई में, वाश-रूम में हर जगह देखा, मगर मनोज कहीं नहीं दिखे, फ़िर माया ने मनोज को कॉल किया, ये जानने के लिए, कि वो कहाँ है ? माया के तीन-चार कॉल का मनोज ने कोई जवाब नहीं दिया। जब मनोज ने फ़ोन नहीं उठाया, तो माया मनोज के लिए परेशांन होने लगी। माया मन ही मन सोचने लगी, कि ” क्या बात होगी, की मनोज यूँ अचानक से कहीं बिना बताए चले गए ? चाहे मनोज जैसे भी हो, उसने आज तक ऐसा तो कभी नहीं किया, मनोज आवाज़ लगाकर मुझे कह कर ही जाते, मगर आज ऐसे कैसे ? उन्हें कुछ हुआ तो नहीं ? मनोज ठीक तो होंगे ना ? ” माया मनोज के बारे में सोचकर ऐसे ही जटपटाने लगी। 



        बस कुछ ही देर मनोज के ना दिखने से और उनका फ़ोन ना लगने से माया के मन में अजीब-अजीब ख्याल आने लगे। उस तरफ मनोज अकेले ही अपने दोस्त की शादी में चला गया और उसने दोस्तों से ये कहाँ की माया और मुन्नी दोनों की तबियत आज कुछ ठीक नहीं, इसलिए माया शादी में ना आ पाई और शादी में दोस्तों के साथ मस्ती करने लगा और अच्छे से शादी वाला मज़ेदार खाना भी खाया। 

        इस तरफ़ माया मनोज को लगातार फ़ोन लगा रही थी, तब मनोज ने माया को मैसेज किया, कि ” मैं यहाँ अपने दोस्त की शादी में आ गया हूँ, अब बार-बार फ़ोन कर के मुझे परेशान मत करो, तुमने तैयार होने में बहुत देर कर दी, अब तुम मुन्नी के साथ ही सो जाओ, मैं रात को देर से आऊँगा। “

     अगला भाग 

 ये कैसा दर्द दिया पिया तूने मोहे ? (भाग 2) – बेला पुनिवाला 

 

स्व-रचित 

एवम 

मौलिक कहानी 

#दर्द 

बेला पुनिवाला 

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