कुछ सीखो भाभी से…. (भाग 2)- रश्मि प्रकाश

सुनयना अपनी आदतानुसार जल्दी से साड़ी लपेट कर निकलने लगी…. ये देखते ही मनीष ने बिना ये देखे सामने कौन कौन है सुनयना को सुनाना शुरू कर दिया….,“ आज हमारे बेटे का जन्मदिन है थोड़ा तो ढंग से सज संवर लो… पर तुम तो निहायत ही….।” आगे कुछ कहता सासु माँ ने कहा ,“ठीक ही तो लग रही है….दिन भर कामों में लगी रहती अकेली जान क्या क्या करें…. अब घर में सब मिलकर काम करते तो इस बेचारी को भी बन संवर कर पार्टी में जाने का मौक़ा मिल सकता जैसे तेरी भाभी जाती है…. बेटा तुने भी देखा ही है फिर बेवजह इस तरह बात करने का क्या मतलब वो भी सबके सामने…. ऐसा करो सुनयना बहू जाओ थोड़ा मेकअप कर लो कुछ लोगों को लगता मेकअप कर के ही सुन्दर लगा जा सकता है ।”

सुनयना चुपचाप कमरे की ओर बढ़ी ही थी कि मीनल सुनयना के पीछे पीछे चल दी…

“ सुनयना भाभी… बुरा मत मानिएगा तो एक बात पूछूँ ?”मीनल ने कहा

“ हाँ हाँ पूछो ना…।” सुनयना ड्रेसिंग टेबल खोज कुछ खोजने लगी

“ रूकिए भाभी मैं अभी आई ” कह वो अपने कमरे से मेकअप का बॉक्स ले आई सुनयना को हल्का मेकअप करते हुए पूछी,“आपको ऐसे ही बोलते मनीष भैया…. आपको बुरा नहीं लगता…. क्या आप थकती नहीं हो…. भाभी इंसान हो आप कोई मशीन नहीं… घर में रहने वाले सबको ….अपने अपने काम करने चाहिए पर यहाँ तो सबके काम आप ही करती रहती हो…..खुद पर ध्यान दो भाभी…. मैं शिकायत नहीं कर रही पर कल को छोटे होने के नाते मुझसे कोई इतनी उम्मीद करेगा तो मुझसे तो नहीं होगा…. जब भैया को पसंद है तो आप अब खुद पर ध्यान दो…. जैसे बड़ी भाभी खुद का ध्यान रखती हैं ।” 

मीनल की बात सुन सुनयना ने कहा,“ सब लड़की को शौक़ होता है मीनल पर क्या करूँ जब से यहाँ आई बड़ी भाभी ने सब कामों से पल्ला झाड़ लिया एक दोस्त के कहने पर मिलकर बुटीक खोल लिया बस ये दिखाने को वो काम करती है तो घर का काम कैसे करेंगी…. मुझे कोई शिकायत नहीं इन सब से बस तब तकलीफ़ होती जब मनीष नहीं समझते…. ।” सुनयना उदास हो बोली.

” अभी हम पार्टी में चलते हैं अब आपको खुद से प्यार करना होगा…. किसी और के लिए नहीं खुद के लिए ।” मीनल ने कहा और दोनों बाहर आ सबके साथ निकल गए




दूसरे दिन मीनल ने ऐसे ही सबके सामने कह दिया,“ सुनयना भाभी आप बच्चों की वजह से जल्दी उठ जाती हो तो आप सबका नाश्ता बना लिया करिए …. मैं लंच का देख लूँगी और बड़ी भाभी रात के खाने में हमारी मदद कर दिया करेंगी… इससे हम तीनों को साथ वक़्त बिताने को भी मिलेगा और गपशप भी हो जाएगी….. क्यों बड़ी भाभी सही रहेगा ना…. मुझे तो आपसे बात करना का मौक़ा ही नहीं मिलता आप बुटीक में व्यस्त रहती हैं तो…. ।”

“ हाँ बहू कह तो तुम सही रही हो…. मिलजुल कर काम करो तो जल्दी भी हो जाएगा और तुम तीनों को साथ समय बिताने का मौक़ा भी मिलेगा ।”सासु माँ ने कहा जो खुद हमेशा से यही चाहती थी कि बड़ी बहू भी सुनयना की मदद करें पर वो बुटीक खोल खुद को व्यस्त दिखाती तो वो कुछ कह नहीं पा रही थी

मिताली ने बस इतना कहा,“ देखूँगी समय मिला तो..।”

“ अरे भाभी मैं तो इसलिए बोल रही थी कि आपकी त्वचा से उम्र का पता ही नहीं चलता तो कुछ ब्यूटी टिप्स हमें भी दे दिया करिएगा फिर सुनयना भाभी को भी उससे मदद मिलेगी…. ।” मीनल मिताली को छोड़ने के लिए क़तई तैयार नहीं थी

“ठीक है कल से हम साथ में रसोई में काम करेंगे ।” तारीफ़ सुन खुश होती मिताली ने कहा

अब मीनल सुनयना की हर संभव मदद करने लगी …. उसके पास अब अपने लिए वक़्त मिलने लगा वो भी अब मिताली की तरह खुद को संवारने लगी ।

एक दिन मनीष सुनयना को आवाज़ दिए जा रहा था वो चेहरे पर पैक लगा कर बैठी थी

उसे देखते ही मनीष ग़ुस्से में बोला,“ कब से आवाज़ दे रहा हूँ सुनाई नहीं दे रहा…?”

सुनयना हाथों से इशारा की बस पाँच मिनट ।




चेहरा धोकर आई और मनीष को बोली,“ क्यों चिल्ला रहे थे… अरे तुम्हारी वजह से ही तो मैं खुद से प्यार करने लगी हूँ…. देखो अब अपना ध्यान रख रही हूँ अब तो मेकअप करना भी सीख गई… तुम खुश हो ना?”

मनीष सुनयना को देखने लगा और बोला,“ यार तुम जब से अपने आप से प्यार करने लगी हो हमसे प्यार करना ही भूल गई हो… पहले मेरी हर चीज़ मुझे जगह पर मिल जाती थी पर अब…. समझ गया सुनयना ज़िम्मेदारियों में तुम इस कदर जकड़ गई थी कि खुद से प्यार करना भूल गई थी …. खुद से प्यार करो पर हमें इस तरह नज़रअंदाज़ ना करो।” कह सुनयना को सीने से लगा लिया

 

 

 

 

 

 

 

“ आप यही चाहते थे ना मैं भी मिताली भाभी की तरह बन संवर कर रहूँ तो बस काम को थोड़े कम करके ही खुद पर ध्यान दे सकती हूँ…. यही बात आप पहले समझ गए होते तो यूँ मुझे बार बार ज़लील तो नहीं करते।” सुनयना मायूस हो बोली

“ हाँ सुनयना तुम सही कह रही हो उसके लिए मुझे माफ कर दो…. चलो अब जरा मेरी मदद कर दो…. तुम्हारे बिना कुछ नहीं कर सकता ये तो समझ आ गया…।” कह मनीष कान पकड़ खड़ा हो गया

सुनयना उसकी हालत देख मुस्कुरा दी देर से ही सही मनीष को समझ तो आया सुनयना क्यों खुद पर ध्यान नहीं दे पा रही थी और जब देने लगी तो उसे क्या परेशानी उठानी पड़ रही है ।

दोस्तों जब परिवार बड़ा हो तो सबको मिलकर काम करना चाहिए कुछ औरतें होती हैं जो काम नहीं करने के तरीक़े निकाल लेती हैं…. कुछ मजबूरी में काम करती रहती है…. साथ मिलकर काम करो तो काम भी जल्दी हो जाता एक दूसरे से बात कर समझने का मौक़ा मिलता…. और खुद का ध्यान रखने का वक़्त भी।

 

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धन्यवाद

रश्मि प्रकाश

2 thoughts on “कुछ सीखो भाभी से…. (भाग 2)- रश्मि प्रकाश”

  1. जब हम सब संगठित परिवार में रहें तो सबकी नेटिक जिम्मेवारी है की सभी कामों में सबको मिलकर काम करेंगे तो किसी एक पर अत्यधिक भार नहीं आयेगा,इस तरह से सभी मिलजुलकर खूब रहेंगे परिवार में,
    साधुवाद

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